पर्यावरण प्रदूषण के कारण लोगों की सेहत पर बुरा असर हो रहा है, बेजुबान पक्षियों का अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है। धरा पर हरियाली बढ़ाकर ही हालात सुधारे जा सकते हैं। इस मर्म को समझते हुए 50 साल से सुरेश कुमार पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कार्य कर रहे हैं।अपने जीवन में उन्होंने 10 हजार से अधिक पौधे रोपित रोपित किए जो अब विशाल वृक्ष बन चुके हैं। सुबह उनके घर का नजारा रोमांचित करने वाला रहता है। सैकड़ों की संख्या में पक्षी उनकी छत पर दाना चुगने के लिए नजर आते हैं।
पर्यावरण संरक्षण की दिशा में समर्पण की वजह से उनको नीम का पेड़ उप नाम से भी जाना जाता है। अपने जीवन को पर्यावरण और बेजुबान जीवों के लिए समर्पित कर दिया है।
सेक्टर-14 निवासी सुरेश कुमार का पैतृक गांव मुरथल है। सुरेश कुमार 1974 में स्नातक करने के बाद पर्यावरण और बेजुबान जीवों के प्रति अपने लगाव को महसूस किया और मुरथल के बीहड़ में पौधे लगाने शुरू कर दिए। आज, यह जगह एक सुंदर बाग में बदल गई है, जहां फलदार पौधे लगे हुए हैं और पक्षियों का कलरव सुनाई देता है।
सोनीपत: पर्यावरण संरक्षण के साथ बेजुबान पक्षियों को जीवन दे रहे सुरेश