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चंडीगढ़ः पंजाब- हरियाणा हाईकोर्ट ने एक सैनिक की विकलांगता पेंशन की मांग के मामले में सुनवाई करते हुए बड़ा फैसला सुनाया. सैनिक ने कोर्ट में याचिका दायर की थी कि उसकी सेवा के दौरान तबीयत खराब हुई. उसके सीने में दर्द रहने लगा और बढ़ते-बढ़ते एक गंभीर बीमारी बन गई. उसने विकलांगता पेंशन की मांग की थी, लेकिन उसे विभाग की ओर से यह हवाला दिया गया कि उसकी ड्यूटी शांतिकालीन इलाके में थी. जिससे उसकी तबीयत पर कोई असर नहीं पड़ा, ऐसे में उसे विकलांगता पेंशन नहीं दी जाएगी. अब कोर्ट ने सुनवाई के बाद सैनिक को विकलांगता पेंशन देने का आदेश दिया.
द टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, पीठ कृष्ण नंदन मिश्रा द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी. पंजाब – हरियाणा उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया है कि शांतिकालीन स्थान पर तैनात सैनिक को होने वाली बीमारी को सैन्य सेवा के कारण गंभीर माना जाना चाहिए. क्योंकि नियमों में ऐसा कोई स्पष्ट आदेश नहीं है, जो अन्यथा बताता हो. न्यायालय ने पिछले शुक्रवार को कहा कि संबंधित नियमों में यह स्पष्ट रूप से नहीं कहा गया है कि शांतिकालीन इलाके में बीमारी की शुरुआत से आगे कोई परिणाम नहीं हो सकते. ऐसे में बीमारी या तो सैन्य सेवा के कारण शुरू हुई या इससे बदतर हो गई.
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चंडीगढ़ स्थित सशस्त्र बल न्यायाधिकरण ने 29 अप्रैल, 2014 को विकलांगता पेंशन के लिए सैनिक के दावे को खारिज करने की चुनौती दी थी. मिश्रा 13 अगस्त, 1997 को रक्षा सुरक्षा कोर में शामिल हुए और 10 वर्ष और 19 दिन की सेवा के बाद 2007 में चिकित्सा आधार पर सेवा से मुक्त हो गए. रिलीज मेडिकल बोर्ड ने कोरोनरी धमनी रोग से जुड़ी उनकी विकलांगता का 30% मूल्यांकन किया, लेकिन उनके विकलांगता दावे को इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि यह न तो सैन्य सेवा के कारण था और न ही इससे गंभीर हुआ था.
अधिकारियों ने यह भी बताया कि बीमारी उस समय हुई जब वह शांतिकालीन स्थान पर तैनात थे. न्यायाधिकरण के आदेश को दरकिनार करते हुए खंडपीठ ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे विकलांगता पेंशन आवेदन पर कार्रवाई करें. याचिकाकर्ता को 3 महीने के भीतर ही उसकी पेंशन का भुगतान किया जाए.
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FIRST PUBLISHED : December 30, 2024, 11:28 IST
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