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इन दिनों दुनिया में दो तरह के वायरस का खौफ है। एक मंकीपॉक्स वायरस, जिसका नया नाम एम पॉक्स (Mpox) भी है और दूसरा ओरोपोच वायरस। इसे स्लॉथ फीवर भी कहते हैं।
एम पॉक्स अफ्रीका के कई हिस्सों को अपनी चपेट में लेने के बाद अब अन्य देशों में भी फैल रहा है, जबकि ओरोपोच (Oropouche) वायरस अमेरिका समेत दुनिया के कई देशों में फैल रहा है। एम पॉक्स को लेकर तो अब लोग काफी सजग हो गए हैं, लेकिन ओरोपोच ने हेल्थ एक्सपर्ट्स की चिंताएं बढ़ा दी हैं।
कुछ समय पहले तक ओरोपोच वायरस अज्ञात बीमारी की तरह था क्योंकि इसका दायरा बहुत सीमित था। यह बीमारी मुख्य रूप से दक्षिण अमेरिका के अमेजन के आसपास के इलाके में ही फैलती थी। साल 2023 के आखिरी दिनों में इस वायरस में कुछ जेनेटिक बदलाव आए और अब यह अपनी सामान्य सीमा से दूर भी फैलना शुरू हो गया है।
दक्षिण अमेरिका में इस साल 1 अगस्त तक इस वायरस के कुल 8000 केस सामने आ चुके हैं। साथ ही यह बीमारी यूरोप के कई देशों में भी फैल रही है। हालांकि भारत में अभी तक इसका कोई मामला सामने नहीं आया है, लेकिन हेल्थ एक्सपर्ट इससे सावधान होने की सलाह दे रहे हैं। कई रिसर्च और स्टडीज के बाद भी ओरोपोच वायरस के बारे में अभी तक कुछ भी बहुत स्पष्ट कह पाना मुश्किल है। इसलिए इसे रहस्यमय वायरस भी कहा जा रहा है।
इसलिए आज ‘सेहतनामा’ में बात करेंगे ओरोपोच वायरस की। साथ ही जानेंगे कि-
- इसके क्या लक्षण हैं और यह कैसे फैलता है?
- इसे स्लॉथ फीवर क्यों कहते हैं?
- इससे बचने के उपाय क्या हैं?
ओरोपोच वायरस डिजीज क्या है
यह एक वायरल संक्रमण है, जो मिज (Midge) या मच्छर के काटने से फैलता है। मिज एक तरह का छोटा कीड़ा है, जो मक्खी या मच्छर की प्रजाति में नहीं आता। यह इन दिनों मध्य और दक्षिण अमेरिका में आम है। हाल ही में क्यूबा में इसके मामले तेजी से सामने आए हैं। ओरोपोच वायरस के कारण बुखार और शरीर में दर्द सहित फ्लू जैसे लक्षण सामने आते है। अधिकांश लोगों को इसके कारण किसी गंभीर समस्या का सामना नहीं करना पड़ता है। हालांकि कुछ मामलों में इसके कारण मस्तिष्क में सूजन की समस्या भी देखने को मिली है।
ओरोपोच के लक्षण क्या हैं
इस वायरस के संक्रमण के कारण लोगों में सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, जोड़ों में अकड़न और रौशनी के प्रति संवेदनशीलता की समस्या पैदा हो सकती है। इसके अलावा ठंड लगने, मतली और उल्टी के साथ फ्लू जैसे बुखार की समस्या भी हो सकती है। आमतौर पर किस तरह के लक्षण सामने आते हैं, ग्राफिक में देखिए।
- गंभीर मामलों में यह मेनिनजाइटिस यानी मस्तिष्क में सूजन का कारण भी बन सकता है। आमतौर पर इसके लक्षण दूसरी मच्छर जनित बीमारियों जैसे ही होते हैं। ठीक वैसे ही जैसे डेंगू, चिकनगुनिया, जीका वायरस और मलेरिया में होते हैं।
- सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक, इसके लक्षण आमतौर पर संक्रमण के तीन से 10 दिन बाद शुरू होते हैं। इसके बाद तीन से छह दिन तक बने रह सकते हैं।
- इससे संक्रमित 60% रोगियों में लक्षण कुछ दिनों या हफ्तों के बाद फिर से नजर आ सकते हैं। हालांकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि लक्षण फिर से लौटने के पीछे क्या कारण है।
इसके कॉम्प्लिकेशन क्या हैं
ओरोपोच वायरस कभी-कभी मस्तिष्क में सूजन (एन्सेफलाइटिस) या उसकी कवरिंग में सूजन (मेनिनजाइटिस) का कारण बन सकता है। अगर कोई महिला गर्भवती है और वह ओरोपोच वायरस से संक्रमित हो जाती है तो इससे निम्न जोखिम बढ़ सकते हैं-
- गर्भपात (Miscarriage) का खतरा है।
- मृत प्रसव (Stillbirth) हो सकता है।
- माइक्रोसेफली (Microcephaly) या अन्य जन्मजात कंडीशंस बन सकती हैं।
- माइक्रोसेफली में बच्चे के मस्तिष्क का आकार सामान्य से बहुत छोटा होता है। ऐसा गर्भावस्था के दौरान ब्रेन डेवलेपमेंट में अवरोध पैदा होने के कारण होता है।
क्या ओरोपोच वायरस डिजीज संक्रामक है
अभी तक इस बात का कोई वैज्ञानिक साक्ष्य नहीं मिला है कि यह वायरस एक इंसान से दूसरे इंसान में भी फैल रहा है। मौजूदा जानकारी के मुताबिक यह बीमारी सिर्फ उस मच्छर या मिज के काटने पर ही होती है, जो इसका वायरस कैरी कर रहा है।
हालांकि अभी तक दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में इसके फैलने का कारण वैज्ञानिक यही समझ पाए हैं कि जेनेटिक म्यूटेशन के कारण यह मच्छर और मिज अब दुनिया के कई हिस्सों में पैदा हो रहे हैं और काटकर लोगों को संक्रमित कर रहे हैं।
यह वायरस सिर्फ एक स्थिति में एक मनुष्य से दूसरे मनुष्य में जा सकता है और वह है गर्भवती महिला से उसके बच्चे में। इसके वायरस के कारण शिशु में डिफेक्ट हो सकते हैं। वह जन्मजात असामान्यताओं का शिकार हो सकता है। कई बार भ्रूणावस्था में उसकी मौत भी हो सकती है।
इसका इलाज कैसे किया जाता है
ओरोपोच वायरस के इलाज के लिए कोई एंटीवायरल दवाएं नहीं हैं। इसके इलाज के लिए उन्हीं दवाओं का प्रयोग होता है, जो किसी भी इस तरह के इंफेक्शन को दूर करने के लिए दी जाती हैं जैसेकि एसिटामिनोफेन। यह दवाएं वायरस के लक्षणों को कम करने में मदद करती हैं।
इसके इलाज के लिए एस्पिरिन (Aspirin) या इबुप्रोफेन (Ibuprofen) जैसी दवाओं का उपयोग बिल्कुल नहीं करना चाहिए। किसी भी तरह की दवा लेने से पहले एक बार डॉक्टर से सलाह अवश्य लें।
ओरोपोच को स्लॉथ फीवर क्यों कहते हैं
माना जाता है कि ओरोपोच वायरस सबसे पहले जंगली जानवर हाउलर बंदरों ने फैलाया। इसके बाद यह साल 1960 में ब्राजील में पीले गले वाले स्लॉथ में पाया गया। स्लॉथ दक्षिण व मध्य अमेरिका में पाया जाने वाला एक शाकाहारी स्तनधारी प्राणी है, जो दिखने में कुछ-कुछ बंदर जैसा लगता है।
स्लॉथ के शरीर में मिलने के बाद यह वारयस चर्चा में आया। इसीलिए इसे स्लॉथ फीवर भी कहते हैं। हालांकि इसके बाद यह वायरस कई जंगली जानवरों में पाया गया है।
ओरोपोच वायरस से बचने के क्या उपाय हैं
इसके खतरे को कम करने का सबसे अच्छा तरीका खुद को बग के काटने से बचाना है।
- इसके लिए घर में किसी कीट विकर्षक का उपयोग कर सकते हैं, जिसमें DEET या अन्य तत्व शामिल हों। जिससे मच्छरों और कीड़ों को दूर रखने में मदद मिल सकती है।
- अगर आप किसी ऐसे स्थान पर हैं, जहां काटने वाले कीड़े होने की संभावना ज्यादा है तो वहां पूरे बाजू के कपड़ पहनें। लंबी पैंट, पूरी बाजू वाली शर्ट और मोजे पहनकर रखें।
- अगर घर के आसपास या घर पर ही किसी बर्तन में कई दिनों से पानी जमा है तो उसे हटा दें। घर के आसपास की नालियों की रेगुलर साफ-सफाई भी जरूरी है।
- घर की खिड़कियों और दरवाजों में महीन जाली लगवाएं।
- जितना संभव हो सके घर की खिड़कियां और दरवाजे बंद रखें, ताकि मच्छर घर में न घुसने पाए।
- अगर किसी ऐसे क्षेत्र में हैं, जहां ओरपोच वायरस संक्रमण आम है तो रात में मच्छरदानी लगाकर सोएं।
- अगर घर में कोई गर्भवती महिला है तो उसकी अतिरिक्त देखभाल करना जरूरी है क्योंकि इससे सबसे अधिक खतरा गर्भ में पल रहे शिशु को ही होता है।
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