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सेहतनामा- प्रेग्नेंट होने पर बदलता महिलाओं का ब्रेन: मेमोरी कमजोर, ब्रेन का इंटर्नल कम्युनिकेशन तेज, इसे वैज्ञानिक ढंग से समझें Health Updates

सेहतनामा- प्रेग्नेंट होने पर बदलता महिलाओं का ब्रेन:  मेमोरी कमजोर, ब्रेन का इंटर्नल कम्युनिकेशन तेज, इसे वैज्ञानिक ढंग से समझें Health Updates

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15 घंटे पहलेलेखक: गौरव तिवारी

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प्रेग्नेंसी के दौरान महिला के शरीर में हर दिन नए बदलाव होते हैं। ज्यादातर शारीरिक बदलाव तो बाहर से देखे जा सकते हैं। लेकिन इसके अलावा ऐसे ढेरों बदलाव होते हैं, जो हमें नहीं दिखते हैं। हॉर्मोनल, हार्ट संबंधी, श्वसन, पाचन और यूरिनरी ट्रैक्ट से जुड़े भी कई बदलाव होते हैं। यह सारे प्राकृतिक बदलाव महिला को सृजन के लिए तैयार कर रहे होते हैं।

अब नेचर न्यूरोसाइंस में पब्लिश एक स्टडी में पता चला है कि प्रेग्नेंसी के दौरान महिला के शरीर के साथ ब्रेन में भी कई बदलाव होते हैं। इससे पहले इस तरह की कोई स्टडी नहीं की गई है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। अव्वल तो यह कि महिलाएं कभी विज्ञान और रिसर्च के केंद्र में नहीं रही हैं। दूसरा कारण यह है कि कभी इस तरह सोचा ही नहीं गया था कि प्रेग्नेंसी के दौरान किसी महिला के ब्रेन में भी बदलाव आते हैं।

ब्रेन में आए ये बदलाव महिलाओं को बेहतर मां बनने में मदद करते हैं। इससे वे अपने बच्चे की भावनाओं और उसकी जरूरतों को समझने में अधिक सक्षम हो जाती हैं। इस बदलाव के कारण उन्हें मेमोरी लॉस जैसी कई समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है।

इसलिए आज ‘सेहतनामा’ में जानेंगे कि प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं के ब्रेन में क्या बदलाव आते हैं?

  • ब्रेन में आए इन बदलावों का क्या मतलब होता है?
  • ब्रेन में ग्रे मैटर और व्हाइट मैटर का काम क्या है?
  • क्या पुरुषों के ब्रेन में भी कोई परिवर्तन आता है?
  • इससे बच्चे और मां के बीच कनेक्शन में कितनी मदद मिलती है?

स्टडी में क्या पता चला

नेचर न्यूरोसाइंस में 16 सितंबर को पब्लिश प्रेग्नेंट महिला के ब्रेन पर हुई स्टडी में पता चला कि प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं में सिर्फ शारीरिक बदलाव ही नहीं होते हैं, बल्कि कई मानसिक बदलाव भी होते हैं। ब्रेन की संरचना तक बदल जाती है। ब्रेन की बाहरी परत पतली होने लगती है। इस भाग का वॉल्यूम भी कम होने लगता है। जबकि ब्रेन की भीतरी परत मोटी होती जाती है और इस दौरान इसका वॉल्यूम भी बढ़ता है।

इस स्टडी की पूरी डिटेल नीचे ग्राफिक में देखिए।

ब्रेन में ग्रे मैटर का क्या काम है

ग्रे मैटर ब्रेन की बाहरी परत है, जो न्यूरॉन्स और उनके काम में मदद करने वाले टिश्यूज से मिलकर बनी होती है। यह ग्रे मैटर क्या काम करता है, ग्राफिक में देखिए-

ब्रेन के इस हिस्से की अच्छी सेहत के लिए नियमित एक्सरसाइज, बैलेंस्ड डाइट और पर्याप्त 7 घंटे की नींद बहुत जरूरी है। चूंकि प्रेग्नेंसी के दौरान महिला के ब्रेन में बदलाव आ रहे होते हैं और ग्रे मैटर घट रहा होता है तो इसका ख्याल रखना और भी जरूरी हो जाता है।

ब्रेन में व्हाइट मैटर का क्या काम है

व्हाइट मैटर ब्रेन की भीतरी परत है। यह न्यूरॉन्स के कनेक्शन को मजबूत बनाकर और सिग्नल्स को तेजी से पहुंचाने में मदद करती है। डिटेल ग्राफिक में देखिए-

इसके अच्छे स्वास्थ्य के लिए जरूरी है कि स्मोकिंग और सभी नशीली चीजों से दूरी बना ली जाए। प्रतिदिन एक्सरसाइज की जाए, पर्याप्त नींद ली जाए और डाइट में ओमेगा-3 से भरपूर चीजें बढ़ाई जाएं।

प्रेग्नेंसी के दौरान ब्रेन में परिवर्तन क्यों आता है

हमारे शरीर में सभी प्रकृतिक परिवर्तन किसी-न-किसी कारणवश होते हैं। इस दौरान प्रकृति हमें भविष्य में आने वाली परिस्थितियों के लिए तैयार कर रही होती है।

इसे इस तरह समझिए कि अगर हमारे सामने अचानक शेर आ जाए या हम कहीं आग में फंस जाएं तो ब्रेन में ‘फाइट ऑर फ्लाइट मोड’ ऑन हो जाता है। इसका मतलब है कि हमारा ब्रेन इस दौरान ऐसे हॉर्मोन्स तेजी से रिलीज करता है, जिसकी मदद से या तो हम इसका सामना करने में सक्षम हो जाते हैं या फिर भागकर खुद को बचाने में सक्षम हो जाते हैं। गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. शिल्पा के मुताबिक, ये सभी बदलाव नॉर्मल हैं।

ब्रेन में ये बदलाव मां बनने से पहले जरूरी हैं

जब कोई महिला पहली बार मां बनती है तो उससे पहले उसे शिशुओं की शारीरिक भाषा का बहुत ज्ञान नहीं होता है। ऐसे में प्रेग्नेंसी के दौरान ब्रेन में आए ये बदलाव महिलाओं को नवजात शिशुओं की शारीरिक भाषा (नॉन वर्बल) को ज्यादा बेहतर तरीके से समझने के लिए तैयार कर रहा होते हैं। नवजात शिशु के पास अपनी जरूरत को कहने के लिए कोई भाषा नहीं है। इसलिए वह भूखा होने पर, पैंट गीली होने पर, चोट लगने पर, प्यास लगने पर, नींद की जरूरत होने पर हर बार रोता है। मां बच्चे के रोने के तरीके से समझ लेती है कि उसे किस चीज की जरूरत है। यह ब्रेन में आए इस बदलाव के कारण ही संभव हो पाता है।

ब्रेन के ग्रै मैटर और व्हाइट मैटर में हुए ये बदलाव मां को उसके बच्चे के और करीब ले जाते हैं। इससे दोनों के बीच कनेक्शन और मजबूत हो जाते हैं।

मेमोरी और डिसिजन मेकिंग में नुकसान होता है

  • ब्रेन में ग्रे-मैटर की मात्रा कम होने से थोड़ा मेमोरी लॉस हो सकता है। यही वजह है कि प्रेग्नेंसी के कुछ महीने बाद महिलाएं छोटी-छोटी बातें भूलने लगती हैं।
  • ग्रे मैटर ही हमारी डिसिजन मेकिंग की क्षमता के लिए जिम्मेदार है। ऐसे में इसका वॉल्यूम कम होने से निर्णय लेने की क्षमता पर भी असर पड़ता है।
  • ग्रे मैटर घटने के कारण किसी काम पर फोकस करने में भी समस्या होने लगती है। अपनी चीजों को व्यवस्थित करके रखने में मुश्किल होने लगती है।
  • इस बारे में नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में एक स्टडी प्रकाशित है। इसमें सामने आया कि 80% से अधिक प्रेग्नेंट महिलाएं प्रेग्नेंसी ब्रेन से गुजरती हैं।

पिता के दिमाग में कोई परिवर्तन नहीं होता

नेचर न्यूरोसाइंस में साल 2016 में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, इस दौरान पिता के ब्रेन की संरचना में कोई परिवर्तन नहीं आता है। यह बदलाव सिर्फ मां के ब्रेन की संरचना में आता है।

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