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सेहतनामा- दिल्ली में सांस लेना रोज 10 सिगरेट पीने जैसा: एयर पॉल्यूशन से ब्रेन स्ट्रोक का खतरा, AQI से जानिए आप रोज कितनी सिगरेट पी रहे Health Updates

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11 दिन पहलेलेखक: गौरव तिवारी

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उत्तर भारत के ज्यादातर हिस्सों में सुबह-शाम गुलाबी ठंड पड़ने लगी है। ठंड की दस्तक के साथ एयर पॉल्यूशन भी बढ़ रहा है। पहले पराली जलने से प्रदूषण बढ़ा, फिर बची–खुची कसर दिवाली में पटाखों ने पूरी कर दी।

उत्तर भारत के ज्यादातर हिस्सों में एयर क्वालिटी इंडेक्स 200 से ऊपर पहुंच गया है। दिल्ली के ज्यादातर इलाकों में AQI लेवल 350 के पार चला गया है। इसका मतलब है कि हवा की गुणवत्ता बहुत खराब है। दिल्ली में तो यह खतरनाक स्तर पर है। इससे सेहत को बहुत नुकसान हो रहे हैं।

जब हम सांस लेते हैं तो हवा में मौजूद पॉल्यूटेंट्स भी हमारे फेफड़ों में समा जाते हैं। ये हमारी ब्लड स्ट्रीम में प्रवेश कर सकते हैं और खांसी या आंखों में खुजली पैदा कर सकते हैं। इससे कई रेस्पिरेटरी और लंग्स से जुड़ी बीमारियों का खतरा भी हो सकता है। कई बार तो यह कैंसर की वजह भी बन सकता है। अब लगातार नई स्टडीज में सामने आ रहा है कि इससे ब्रेन की फंक्शनिंग भी प्रभावित होती है।

इसलिए आज ‘सेहतनामा’ में जानेंगे कि एयर पॉल्यूशन कैसे हमारे ब्रेन की सेहत बिगाड़ रहा है। साथ ही जानेंगे कि-

  • एयर क्वालिटी इंडेक्स का क्या मतलब है?
  • क्या खराब हवा में सांस लेना सिगरेट पीने जैसा है?
  • पॉल्यूशन से हमारी सेहत को क्या नुकसान हो रहे हैं?
  • इससे खुद को कैसे सुरक्षित रख सकते हैं?

वायु प्रदूषण के कारण हो रहा ब्रेन स्ट्रोक

लैंसेट न्यूरोलॉजी जर्नल में पब्लिश एक हालिया ग्लोबल स्टडी के मुताबिक, वायु प्रदूषण सबराकनॉइड हैमरेज (Subarachnoid Haemorrhage) यानी SAH की बड़ी वजह है। इसमें पता चला है कि साल 2021 में सबराकनॉइड हैमरेज के कारण होने वाली लगभग 14% मौतों और विकलांगता के लिए वायु प्रदूषण जिम्मेदार है। यह स्मोकिंग से भी ज्यादा खतरनाक साबित हो रहा है।

सबराकनॉइड हैमरेज क्या है?

ब्रेन को प्रभावित करने वाले इस हैमरेज का सीधा कनेक्शन इस बात से है कि जिस हवा में हम सांस ले रहे हैं, वो कितनी साफ या प्रदूषित है। बेंगलुरु के एसएस स्पर्श हॉस्पिटल में न्यूरोसर्जन और स्पाइन सर्जन डॉ. अभिलाष बंसल सबराकनॉइड हैमरेज को कुछ इस तरह एक्सप्लेन करते हैं–

एयर क्वालिटी इंडेक्स का क्या मतलब है?

एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) एक तरह का टूल है, जो यह मापता है कि हवा कितनी साफ और स्वच्छ है। इसकी मदद से हम इस बात का भी अंदाजा लगा सकते हैं कि इसमें मौजूद एयर पॉल्यूटेंट्स से हमारी सेहत को क्या नुकसान हो सकते हैं।

AQI मुख्य रूप से 5 सामान्य एयर पॉल्यूटेंट्स के कॉन्सन्ट्रेशन को मापता है। इसमें ग्राउंड लेवल ओजोन, पार्टिकल पॉल्यूशन, कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड शामिल हैं। आपने AQI को अपने मोबाइल फोन पर या खबरों में आमतौर पर 80, 102, 184, 250 इन संख्याओं में देखा होगा। इन अंकों का क्या मतलब होता है, ग्राफिक में देखिए।

ग्राफिक में दिए सभी पॉइंट्स विस्तार से समझिए:

0-50: यह एयर क्वालिटी इंडेक्स अच्छा कहा जा सकता है। इसका मतलब है कि वायु प्रदूषण बहुत कम है या इस हवा से कोई खतरा नहीं है।

51-100: यह एयर क्वालिटी स्वीकार्य है। हालांकि, इस हवा में मौजूद कुछ पॉल्यूटेंट्स उन लोगों के लिए स्वास्थ्य से जुड़ी कोई समस्या पैदा कर सकते हैं, जो वायु प्रदूषण के प्रति बहुत अधिक संवेदनशील हैं।

101-150: इस हवा में संवेदनशील लोग (जिन्हें रेस्पिरेटरी कंडीशन है) स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर सकते हैं। आमतौर पर इससे अन्य लोगों पर बहुत प्रभाव नहीं पड़ता है।

151-200: इस हवा में हर किसी को स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। जो लोग प्रदूषण के प्रति संवेदनशील हैं, उन्हें गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

201-300: हवा में पॉल्यूशन का यह स्तर हमारे स्वास्थ्य के लिए चेतावनी की तरह है। इस हवा में हर शख्स पर बहुत गंभीर प्रभाव देखने को मिल सकते हैं।

301-500: अगर हवा में इतना प्रदूषण बढ़ गया है तो इससे इमरजेंसी हेल्थ कंडीशंस ट्रिगर हो सकती हैं। इस हवा से पूरी आबादी पर बेहद गंभीर प्रभाव देखने को मिल सकते हैं।

क्या खराब हवा में सांस लेना सिगरेट पीने जैसा है?

डॉ. अभिलाष शर्मा कहते हैं कि खराब हवा में सांस लेना कई बार सिगरेट पीने से भी ज्यादा खतरनाक हो सकता है। इसमें कई तरह के केमिकल्स, पार्टिकल्स और कार्सिनोजेन मिले होते हैं।

प्रसिद्ध जर्नल BMJ में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, भारत में हर साल एयर पॉल्यूशन के कारण 21 लाख से अधिक लोगों की मौत हो जाती है। साल 2023 में लगभग 21 लाख 80 हजार लोगों की मौत हो गई थी। इस मामले में भारत चीन के बाद दूसरे नंबर पर है, जहां वायु प्रदूषण से हर साल 23 लाख से अधिक लोगों की मौत हो जाती है।

रोज कई सिगरेट पीने के बराबर नुकसान पहुंचा रही है हवा

अमेरिकन शहर बर्कले के रिसर्चर रिचर्ड ए. मिलर और एलिजाबेथ मिलर ने एयर पॉल्यूशन को सिगरेट के धुएं से तुलनात्मक रूप से आंकने के लिए ऑनलाइन कैलकुलेटर बनाया।

इनके मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति 64 AQI लेवल पर 24 घंटे तक सांस ले रहा है तो यह दिन भर में एक सिगरेट पीने जैसा है। जबकि आमतौर पर इस एयर क्वालिटी को बुरा नहीं माना जाता है, यह स्वीकार्य है। अब जरा यह सोचिए कि अगर दिल्ली जैसे शहरों में AQI लेवल 250 से ऊपर पहुंच गया है तो यह कितनी सिगरेट पीने के बराबर है।

इसका सीधा सा हिसाब ये है कि हवा की गुणवत्ता जितनी खराब होती है, यह उतनी ही ज्यादा सिगरेट पीने जैसा होता है। इसका कैलकुलेशन ग्राफिक में देखिए:

एयर पॉल्यूशन के कारण हो सकती हैं कई बीमारियां

एयर पॉल्यूशन से हमारी सेहत पर कई प्रतिकूल प्रभाव पड़ते हैं। इसके कारण कार्डियोवस्कुलर डिजीज और श्वसन संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ता है। इससे और कौन सी बीमारियां हो सकती हैं, ग्राफिक में देखिए।

एयर पॉल्यूशन बढ़ने पर खुद को कैसे रखें सुरक्षित?

  • डॉ. अभिलाष शर्मा कहते हैं कि अपने इलाके में प्रतिदिन एयर पॉल्यूशन के पूर्वानुमान देखें। गूगल पर सिर्फ AQI और अपने शहर का नाम लिखने से वहां की एयर क्वालिटी का ताजा अपडेट मिल जाता है।
  • अगर पॉल्यूशन का लेवल अधिक है तो बाहर यानी खुली हवा में एक्सरसाइज करने से बचें। जब हवा खराब हो तो वर्कआउट घर के अंदर ही करें।
  • अगर पॉल्यूशन ज्यादा है तो अपने बच्चों को ज्यादा बाहर खेलने न दें। बहुत अधिक ट्रैफिक वाले इलाके में जाना अवॉइड करें। वहां एयर पॉल्यूशन आमतौर पर अधिक होता है।
  • घर से बाहर निकलने पर मास्क का प्रयोग कर सकते हैं। इससे हवा छनकर आप तक पहुंचेगी।
  • अपने भोजन में ज्यादा-से-ज्यादा विटामिन C से भरपूर फल और सब्जियां शामिल करें।
  • सब्जियों में धनिया के पत्ते, चौलाई का साग, ड्रमस्टिक, गोभी और शलजम का साग शामिल करें। ये विटामिन C के अच्छे सोर्स हैं।
  • सर्दियों में विटामिन C के लिए आंवला, संतरा जैसे फल शामिल किए जा सकते हैं।
  • इसके अलावा विटामिन E और ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर बादाम भी डाइट में शामिल किए जा सकते हैं।
  • इस दौरान ज्यादा-से-ज्यादा पानी पीते रहें। इससे शरीर के टॉक्सिन्स को बाहर निकलने में मदद मिलती है।

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