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सतगुरु माता सुदीक्षा।
भिवानी। सेवा हमेशा सेवा भाव से युक्त होकर ही करनी चाहिए। यह बात सतगुरु माता सुदीक्षा महाराज ने रविवार को समागम सेवा के शुभ अवसर पर विशाल सत्संग को संबोधित करते हुए कही।
सतगुरु माता सुदीक्षा महाराज और निरंकारी राजपिता के कर-कमलों द्वारा संत निरंकारी आध्यात्मिक स्थल समालखा में होने वाले 77वें वार्षिक निरंकारी संत समागम के लिए तैयार करने की सेवा का शुभारंभ किया गया। जहां भिवानी जोन के भिवानी, रोहतक, हिसार, चरखी दादरी व अन्य ब्रांचों से निरंकारी शामिल हुए। भिवानी जोन के जोनल इंचार्ज बलदेव राज नागपाल ने बताया कि मिशन के लाखों भक्त 16, 17 और 18 नवंबर को वार्षिक निरंकारी संत समागम में पहुंचकर मानवता के महाकुंभ का एक बार फिर से नजारा सजाने जा रहे हैं।
सत्संग में सतगुरु माता सुदीक्षा महाराज ने फरमाया कि सेवा करते समय सेवा को भेदभाव की दृष्टि से नहीं देखना चाहिए अपितु सदैव निष्काम भाव से ही की जानी चाहिए। सेवा तभी वरदान साबित होती है जब उसमें कोई किंतु, परंतु नहीं होता, उसकी कोई समय सीमा नहीं होनी चाहिए। समागम के दौरान तथा समागम के समाप्त होने तक ही सेवा करनी है, बल्कि अगले समागम तक भी सेवा का यही जज्बा बरकरार रहना चाहिए। यह तो निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है। सेवा हमेशा सेवा भाव से युक्त होकर ही करनी चाहिए फिर चाहे हम शारीरिक रूप से अक्षम हो या असमर्थ हो। सेवा परवान होती है क्योंकि वह सेवा भावना से युक्त होती है।
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सेवा हमेशा सेवा भाव से युक्त होकर ही करनी चाहिए : सुदीक्षा महाराज