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बैंडिट क्वीन
ऑस्कर 2025 के लिए यूके की आधिकारिक एंट्री ‘संतोष’ को भारत में रिलीज नहीं किया जा रहा है। कथित तौर पर कहा जा रहा है कि फिल्म में पुलिस का जैसा चित्रण दिखाया गया है, उसे सीबीएफसी यानी सेंसर बोर्ड गलत ठहरा है। इसी वजह से इसे रिलीज होने से रोक दिया गया है। इससे पहले भी कई बार ऐसा हुआ है जब भारत में कई फिल्मों को रिलीज होने से रोका गया। कई फिल्में ऐसी भी रहीं, जिन्हें पहले बैन कर दिया गया था, लेकिन बाद में ये फिल्में रिलीज हो गईं। आइए उन फिल्मों पर एक नजर डालते हैं जो किसी समय सेंसर बोर्ड द्वारा प्रतिबंधित होने के बाद भी रिलीज की गईं।

आंधी (1975)
इंदिरा गांधी द्वारा आपातकाल के दौरान इस फिल्म पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, लेकिन 1977 में जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद इसे सिनेमाघरों में रिलीज किया गया। इस फिल्म में संजीव कुमार और सुतित्रा सेन लीड रोल में थे। कमलेश्वर के उपन्यास ‘काली आंधी’ पर ये फिल्म आधारित थी। कहते हैं इमरजेंसी का दौर फिल्म इंडस्ट्री के लिए किसी भूचाल से कम नहीं था। भारतीय राजनीतिक ड्रामा होने के चलते इस फिल्म को बैन किया गया था।
बैंडिट क्वीन (1994)
दिल्ली उच्च न्यायालय ने फिल्म की सत्यता पर सवाल उठाए जाने के बाद इसे कुछ समय के लिए रिलीज होने से रोक दिया था। दरअसल ये फिल्म फूलन देवी पर आधारित थी और इस कहानी पर खुद फूलन देवी ने ही सवाल खड़े किए थे। इसमें यौन हिंसा और जातिगत भेदभाव के मुद्दों को दिखाया गया था, जो उस समय के सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्य में संवेदनशील थे। इसको लेकर भी सेंसर बोर्ड खासा खुश नहीं था। बाद में फिल्म रिलीज हुई। शेखर कपूर ने इसका निर्देशन किया था। सीमा बिस्वास लीड रोल में नजर आई थीं। इस कहानी ने लोगों को हिलाकर रख दिया था।
कामसूत्र: ए टेल ऑफ लव (1996)
फिल्म को इसके यौन कंटेंट के कारण कुछ समय के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया था। बाद में दो मिनट के न्यूड सीन हटाने के बाद इसे भी भारत में रिलीज कर दिया गया था। वहीं विदेशी एडिशन में ये सीन नहीं हटाया गया था।
फायर (1996)
भारत में इसके पहले दिन, समलैंगिक संबंधों को दर्शाने के कारण हिंदू कट्टरपंथियों ने कुछ फिल्म थिएटरों पर हमला किया था। फिल्म को वापस ले लिया गया और सेंसर बोर्ड को वापस भेज दिया गया। बाद में इसे CBFC द्वारा सुझाए गए कुछ कट्स के साथ रिलीज किया गया।

हवाएं (2003)
1984 के सिख विरोधी दंगों पर आधारित इस फिल्म की पृष्ठभूमि में दिल्ली, जम्मू-कश्मीर, हरियाणा और पंजाब जैसे कुछ भारतीय राज्यों में फिल्म पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।
ब्लैक फ्राइडे (2005)
1993 के बॉम्बे बम धमाकों ने इस फिल्म की प्रेरणा दी। जब तक बॉम्बे हाई कोर्ट ने विचाराधीन कैदियों की याचिका पर फैसला नहीं सुनाया, तब तक फिल्म की रिलीज रोक दी गई थी। भारत में फिल्म की शुरुआती रिलीज की तारीख 28 जनवरी 2005 थी। निर्माताओं की सुप्रीम कोर्ट में अपील के बावजूद हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा गया। फिल्म आखिरकार 9 फरवरी 2007 को रिलीज हुई।
वाटर (2005)
वाराणसी में कट्टरपंथी हिंदू संगठनों ने फिल्म की शूटिंग के दौरान इसका विरोध किया। 31 जनवरी, 2000 को उत्तर प्रदेश सरकार ने शूटिंग रोकने का फैसला किया। बाद में फिल्म की शूटिंग श्रीलंका में स्थानांतरित कर दी गई। एक लंबी कानूनी लड़ाई के बाद फिल्म आखिरकार मार्च 2007 में भारत में रिलीज हुई।

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सेंसर बोर्ड ने पहले किया बैन, फिर रिलीज हुईं ये 7 बॉलीवुड फिल्में – India TV Hindi