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सेंटेड कैंडल से निकलने वाला धुआं फेफड़ों को कर सकता है खराब? जानें क्या है सच Health Updates

सेंटेड कैंडल से निकलने वाला धुआं फेफड़ों को कर सकता है खराब? जानें क्या है सच Health Updates

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एक नए रिसर्च में पाया गया है कि सेंटेड कैंडल जलाने के बाद जो उससे जो धुआं निकलता है. इससे हमारे नाक को बड़ा सुकून मिलता है लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि यह हमारे ओवरऑल हेल्थ के लिए काफी ज्यादा खतरनाक है. यह हमारी घर की हवा को सुगंधित और पॉल्यूशन फ्री नहीं बल्कि यह हमारे के घर के अंदर वाली ओजोन हवा के साथ रिएक्शन करते उसे पूरी तरह से टॉक्सिक बना देती है. जो हमारी सेहत और फेफड़ों के लिए काफी ज्यादा खतरनाक  है. सेंटेंड कैंडल के बारे में पहले भी कहा जा चुका है कि इससे जलाने के बाद यह काफी ज्यादा धुआं निकलता है. जिससे हवा में हाइड्रोकार्बन से बने वाष्पशील कार्बनिक यौगिक (VOCs) जैसे अधिक सुगंध हवा में फैलती है.

सेंटेड कैंडल में होते हैं छोटे-छोटे खतरनाक कण जो सेहत के लिए खतरनाक

रिसर्चर को पता है कि ये केमिकल हवा में मौजूद दूसरे यौगिकों के साथ प्रतिक्रिया करके नैनोमीटर-चौड़े कण बना सकते हैं. जिन्हें सांस लेने पर कई खतरनाक असर शरीर पर दिख सकते हैं.  हालांकि, मोम-पिघलने के इस्तेमाल के दौरान नैनोकणों के निर्माण की संभावना काफी तेजी से बढ़ रही थी. 

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क्या कहता है रिसर्च?

उन्होंने पहले इनडोर एयर पॉल्यूशन  की आधार पर चीजों का ध्यान दिया की और फिर लगभग 2 घंटे के लिए मोम वार्मर चालू किया. इस अवधि के दौरान और उसके बाद शोधकर्ताओं ने मोम पिघल से कुछ गज (मीटर) दूर हवा का लगातार नमूना लिया और हवा में मौजूद नैनोकणों को पाया. जो 1 से 100 नैनोमीटर चौड़े थे और जिनका लेवल पारंपरिक, दहन-आधारित मोमबत्तियों के लिए पहले बताए गए स्तरों के बराबर था.

रिसर्चर ने साफ कहा कि ये कण सांस के ज़रिए शरीर में घुसकर जोखिम पैदा कर सकते हैं क्योंकि ये इतने छोटे होते हैं कि सांस लेने की टिश्यूज से होकर ब्लड सर्कुलेशन में प्रवेश कर सकते हैं. टीम ने यह भी गणना की कि एक व्यक्ति पारंपरिक मोमबत्तियों और गैस स्टोव से निकलने वाले नैनोकणों की तरह ही मोम के पिघले हुए कणों से भी उतनी ही मात्रा में नैनोकणों को सांस के ज़रिए अंदर ले सकता है.

मोम के पिघले हुए कणों से निकलने वाले मुख्य VOCs मोनोटेरपेन और मोनोटेरपेनोइड जैसे टेरपेन थे. शोधकर्ताओं ने पहचाना कि हवा में मौजूद टेरपेन ने ओजोन के साथ रिएक्शन करके चिपचिपे यौगिक बनाए. जो नैनोस्केल कणों में जमा होने लगते हैं. बिना स्मेल वाले कैंडल के पिघले हुए पदार्थ को गर्म करने के बाद, टीम ने कोई टेरपेन का निकलना या नैनोकण निर्माण नहीं देखा. जो बताता है कि ये सुगंध यौगिक नैनोकण निर्माण में योगदान करते हैं.

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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