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सूरजकुंड मेला 2025: भारत की कला और संस्कृति का रंगारंग उत्सव, तैयारियाँ जोर-शोर से जारी Haryana News & Updates

सूरजकुंड मेला 2025: भारत की कला और संस्कृति का रंगारंग उत्सव, तैयारियाँ जोर-शोर से जारी Haryana News & Updates

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Surajkund Mela2025:सूरजकुंड मेला 2025 भारतीय कला और संस्कृति का रंगारंग उत्सव है जो देश और दुनिया के लोगों को जोड़ने का काम करता है. हरियाणा सरकार और स्थानीय समुदायों के प्रयास से यह मेला भारत की विविधता और परंपरा का प्रतीक बन गया है.

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सूरजकुंड मेला: संस्कृति और कला का अनूठा संगम.

विकास झा/फरीदाबाद: अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड मेला, जो हर साल भारत की सांस्कृतिक विविधता और पारंपरिक कला का प्रदर्शन करता है, इस बार 7 फरवरी 2025 से हरियाणा के फरीदाबाद में शुरू होगा. अरावली की खूबसूरत पहाड़ियों के बीच आयोजित यह मेला देश-विदेश के कलाकारों, शिल्पकारों और हस्तशिल्प कारीगरों को अपनी कला का प्रदर्शन करने का एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करता है.

तेज रफ्तार से चल रही तैयारियाँ
सूरजकुंड मेला परिसर में इन दिनों तैयारियाँ ज़ोरों पर हैं. हट्स की छतों की फूस की सजावट और पेंटिंग का काम पूरा हो चुका है. गोबर और मिट्टी से दीवारों की लिपाई का कार्य भी लगभग खत्म हो गया है. अगले सप्ताह से थीम राज्यों और सांस्कृतिक कलाकारों द्वारा मेले की सजावट का कार्य शुरू होगा. यह मेला हर साल लाखों पर्यटकों को आकर्षित करता है और भारत के विभिन्न हिस्सों की कला, संस्कृति और परंपराओं की झलक प्रस्तुत करता है.

मेले की खासियत
सूरजकुंड मेला हरियाणा पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित किया जाता है और यह भारत के सांस्कृतिक और हस्तशिल्प महोत्सव के रूप में जाना जाता है.विभिन्न राज्यों और देशों के शिल्पकार और कारीगर हस्तशिल्प और हथकरघा उत्पाद प्रदर्शित करेंगे.उत्पादों में कपड़े, मिट्टी के बर्तन, लकड़ी के खिलौने, आभूषण और पारंपरिक सजावट शामिल होंगे. मेला लोक नृत्य और संगीत के लिए प्रसिद्ध है, जहां देश के कोने-कोने से आए कलाकार अपनी प्रस्तुति देंगे.थीम राज्यों द्वारा ग्रामीण भारत की झलक पेश करने के लिए मेले को पारंपरिक शैली में सजाया जाएगा.मेला तैयार करने में स्थानीय मजदूर और शिल्पकार बड़ी भूमिका निभा रहे हैं.

हथीन के मजीत, जो पिछले कई वर्षों से इस मेले की सजावट और निर्माण कार्य में शामिल हैं, ने बताया कि उनके साथ 50 से 60 मजदूर काम कर रहे हैं.हरियाणा सरकार हर साल इन्हें यह काम सौंपती है, और यह मेला उनकी मेहनत और कला का नतीजा है.इस बार का सूरजकुंड मेला खास होने वाला है क्योंकि कलाकार अपनी कला और संस्कृति के नए रंग और रूप लेकर आएंगे.

मेला भारत की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और उसे अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रस्तुत करने का प्रयास है.देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों को भारतीय कला और परंपराओं के बारे में जानने का अवसर मिलेगा.सूरजकुंड मेला पर्यटकों को न केवल खरीदारी का आनंद देता है, बल्कि उन्हें भारतीय ग्रामीण जीवन और परंपराओं को करीब से अनुभव करने का मौका भी प्रदान करता है.

मेले में स्थानीय व्यंजनों का स्वाद और पारंपरिक परिधान पहनने का अनुभव भी मिलता है.यह मेला न केवल भारतीय संस्कृति को जीवंत बनाए रखने का प्रयास है, बल्कि कारीगरों और कलाकारों के लिए रोजगार और पहचान का माध्यम भी है.

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सूरजकुंड मेला 2025: भारत की कला और संस्कृति का रंगारंग उत्सव, तैयारियाँ शुरू

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