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सुप्रीम कोर्ट ने इमरान प्रतापगढ़ी के खिलाफ दर्ज FIR को किया खारिज, जानिए मामला? – India TV Hindi Politics & News

सुप्रीम कोर्ट ने इमरान प्रतापगढ़ी के खिलाफ दर्ज FIR को किया खारिज, जानिए मामला? – India TV Hindi Politics & News

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Image Source : FILE PHOTO
इमरान प्रतापगढ़ी और सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने भड़काऊ गीत वाला एक संपादित वीडियो साझा करने के आरोप में कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी के खिलाफ गुजरात पुलिस द्वारा दर्ज की गई FIR को शुक्रवार को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता लोकतंत्र का अभिन्न अंग है। विचारों की अभिव्यक्ति की वकालत करते हुए कोर्ट ने कहा कि मौखिक या लिखित शब्दों के प्रभाव का आकलन उन लोगों के मानकों के आधार पर नहीं किया जा सकता, जिनमें हमेशा असुरक्षा की भावना रहती है या जो आलोचना को अपनी शक्ति या पद के लिए हमेशा खतरा मानते हैं। 

मौलिक अधिकारों की रक्षा करना कोर्ट का कर्तव्य 

जज अभय एस ओका और जज उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने कहा कि नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करना अदालत का कर्तव्य है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मौखिक या लिखित शब्दों को लेकर भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 196 के तहत अपराध के संबंध में फैसला किसी तर्कसंगत एवं मजबूत दिमाग वाले दृढ़ एवं साहसी व्यक्ति के मानकों के आधार पर करना होगा, न कि कमजोर एवं अस्थिर दिमाग वाले लोगों के मानकों के आधार पर। 

अभिव्यक्ति स्वस्थ और सभ्य समाज का अभिन्न अंग 

कोर्ट ने कहा, ‘व्यक्तियों या व्यक्तियों के समूहों द्वारा विचारों की स्वतंत्र अभिव्यक्ति स्वस्थ और सभ्य समाज का अभिन्न अंग है। विचारों और दृष्टिकोणों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बिना वह सम्मानजनक जीवन जीना असंभव है, जिसकी गारंटी संविधान के अनुच्छेद 21 में दी गई है।’ 

 कविता, नाटक, मानव जीवन को बनाते हैं सार्थक

पीठ ने कहा, ‘किसी स्वस्थ लोकतंत्र में विचारों, सोच और मतों का विरोध किसी अन्य दृष्टिकोण से किया जाना चाहिए। भले ही बड़ी संख्या में लोग किसी के व्यक्त विचारों को नापसंद करते हों, लेकिन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का सम्मान और संरक्षण किया जाना चाहिए। कविता, नाटक, फिल्म, व्यंग्य और कला सहित साहित्य मानव जीवन को अधिक सार्थक बनाते हैं।’

कोर्ट ने कहा, ‘नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करना और उन्हें बनाए रखना अदालतों का कर्तव्य है। कभी-कभी हम न्यायाधीशों को मौखिक या लिखित शब्द पसंद नहीं आते, लेकिन फिर भी अनुच्छेद 19(1) के तहत मौलिक अधिकारों को बनाए रखना हमारा कर्तव्य है।’ 

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संविधान और उसके आदर्शों का न हो उल्लंघन 

पीठ ने कहा, ‘हम न्यायाधीशों का संविधान और संबंधित आदर्शों को बनाए रखने का दायित्व है। मौलिक अधिकारों की रक्षा करना न्यायालय का कर्तव्य है।’ कोर्ट ने कहा कि संवैधानिक अदालतों को नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करने में सबसे आगे रहना चाहिए। पीठ ने कहा, ‘यह सुनिश्चित करना न्यायालय का परम कर्तव्य है कि संविधान और उसके आदर्शों का उल्लंघन न हो।’

जामनगर में दर्ज हुआ था केस

कांग्रेस नेता ने गुजरात हाई कोर्ट के 17 जनवरी के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की उनकी याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया गया था कि जांच अभी प्रारंभिक चरण में है। जामनगर शहर में आयोजित एक सामूहिक विवाह समारोह की पृष्ठभूमि में कथित रूप से भड़काऊ गीत सोशल मीडिया पर ‘पोस्ट’ करने के लिए प्रतापगढ़ी के खिलाफ तीन जनवरी को मामला दर्ज किया गया था। 

कांग्रेस सांसद ने शेयर किया था 46 सेकंड का वीडियो क्लिप

प्रतापगढ़ी पर धर्म, नस्ल आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच वैमनस्य को बढ़ावा देने से संबंधित भारतीय न्याय संहिता की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था। इस 46 सेकंड की वीडियो क्लिप में दिखाया गया है कि जब प्रतापगढ़ी अपने हाथ लहराते हुए चल रहे हैं तो उन पर फूल बरसाए जा रहे हैं और पृष्ठभूमि में एक गाना सुनाई दे रहा है। इस गाने के बारे में प्राथमिकी में कहा गया है कि इसमें ऐसे बोल का इस्तेमाल किया गया जो भड़काऊ, राष्ट्रीय एकता के लिए हानिकारक और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले हैं। (भाषा के इनपुट के साथ)

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