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सुपर म्यूटेंट जूग्लोआ प्रोजेक्ट: गुड बैक्टीरिया अब गंदा पानी करेगा साफ, बेहद सस्ता है ये सिस्टम Chandigarh News Updates

सुपर म्यूटेंट जूग्लोआ प्रोजेक्ट: गुड बैक्टीरिया अब गंदा पानी करेगा साफ, बेहद सस्ता है ये सिस्टम Chandigarh News Updates

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इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल 2025 के अंतर्गत सीएसआईओ में आयोजित कार्यक्रम में प्रस्तुत किया गया सुपर म्यूटेंट जूग्लोआ प्रोजेक्ट लोगों का ध्यान खींचने में कामयाब रहा। 

यह इनोवेशन गंदे पानी को कम लागत, कम ऊर्जा और प्राकृतिक तरीके से शुद्ध करने का एक अनोखा समाधान पेश करता है। छात्रों ने बताया कि भारत में जल प्रदूषण बड़ी चुनौती है और पारंपरिक ट्रीटमेंट सिस्टम महंगे व धीमे होने के कारण ग्रामीण इलाकों में कारगर नहीं हो पाते।

इस प्रोजेक्ट को महाराष्ट्र के विद्या प्रतिष्ठान के छात्रों रुद्राणी स्वप्निल देवकाटे और वीरा अभिजीत ओझार्डे ने अपने मेंटर गणेश गोपीनाथ शिंदे की देखरेख में बनाया है। उन्होंने बताया कि इसमें विशेष रूप से विकसित यूवी-म्यूटेटेड सुपर जूग्लोआ स्ट्रेन्स का इस्तेमाल किया है, जो सामान्य माइक्रोब्स की तुलना में दूषित पदार्थों को बहुत तेजी से तोड़ते हैं। इसे ट्रिकलिंग फिल्टर टेक्नोलॉजी के साथ जोड़कर एक ऐसा मॉडल बनाया गया है जो ऑक्सीजन सप्लाई, बायोफिल्म ग्रोथ और नैचुरल डिग्रेडेशन की क्षमता को कई गुना बढ़ा देता है।

गणेश गोपीनाथ ने बताया कि यह सिस्टम बेहद सस्ता है और कम जगह व बहुत कम बिजली में भी काम कर सकता है। इसलिए इसे गांवों, छोटे कस्बों, स्कूलों, कॉलेजों और कम्युनिटी वेस्टवॉटर सिस्टम में लागू करना आसान है। इसकी मॉड्यूलर डिजाइन बड़े प्लांट्स में भी विस्तार की सुविधा देती है, जबकि स्थानीय स्तर पर माइक्रोब्स को उगाकर लागत को और कम किया जा सकता है। यह तकनीक पारंपरिक सिस्टम की तुलना में 60–70% कम खर्च में गंदे पानी को साफ कर सकती है। इससे खेती, सफाई और घरेलू उपयोग के लिए पानी के पुनः इस्तेमाल को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में ग्रीन एंटरप्रेन्योरशिप और रोजगार के नए रास्ते खुल सकते हैं।

ऐसे काम करती है तकनीक

माइक्रोब्स को यूवी से म्यूटेट किया गया।सामान्य जूग्लोआ बैक्टीरिया को यूवी रेडिएशन देकर सुपर स्ट्रेन तैयार किया गया। यह स्ट्रेन अधिक सक्रिय है और जैविक पदार्थों को तेजी से डिग्रेड करता है। ट्रिक्लिंग फिल्टर सेटअप जो कंकड़, पेबल्स, बायोफिल्म लेयर और एक छोटे पंप से बना साधारण मॉडल है। पानी बूंद-बूंद गिरकर इन लेयर्स से गुजरता है, जहां यह सुपर माइक्रोब्स व बायोफिल्म के संपर्क में आता है। ट्रिक्लिंग फिल्टर में ऑक्सीजन अधिक मिलती है, जिससे माइक्रोब्स की क्षमता कई गुना बढ़ जाती है। कम ऊर्जा खर्च में पानी तेजी से साफ होता है।

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