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सीवर बना हत्यारा: जहां पहले हरा भरा जंगल था, अब वहां बची हैं सिर्फ सूखी टहनियां… चंडीगढ़ का एक रुप ये भी Chandigarh News Updates

सीवर बना हत्यारा: जहां पहले हरा भरा जंगल था, अब वहां बची हैं सिर्फ सूखी टहनियां… चंडीगढ़ का एक रुप ये भी Chandigarh News Updates

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चंडीगढ़ में पेड़ों का कब्रिस्तान
– फोटो : अमर उजाला

चंडीगढ़ के रॉक गार्डन के पीछे व कांसल की तरफ जाने वाले रास्ते के दोनों तरफ का जंगल अब पेड़ों के कब्रिस्तान में बदलता जा रहा है। यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति मुख्य रूप से पंजाब के इलाकों से आ रहे सीवरेज और केमिकल युक्त गंदे पानी की वजह से पैदा हुई है। 

इस विनाश का मुख्य कारण पंजाब से बिना ट्रीट किए आ रहा सीवरेज का गंदा पानी है। वर्ष 2009 के बाद कांसल में बड़े स्तर पर निर्माण हुआ है। कई सोसाइटियां बस गई हैं। बड़ी आबादी उन सोसाइटियों में अब रह रही हैं लेकिन बिल्डर्स ने सीवरेज की उचित व्यवस्था नहीं की। न सरकार ने कोई सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) बनाया। 




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सूखे पेड़
– फोटो : अमर उजाला

 

नयागांव के साथ बना था ईंटों का पक्का नाला, अब उस पर भी कब्जा

चंडीगढ़ के बनने के समय नयागांव के साथ एक ईंटों का एक पक्का नाला बनाया गया था, जिसपर धीरे-धीरे कब्जा हो गया। अब कुछ चुनिंदा जगहों पर ही उस नाले के नामों निशान रह गए हैं। ये नाला कांसल ठेके के पास तक खुला था, उसके बाद एक डाट बनाई गई थी, लेकिन कुछ वर्षों पहले वह डाट टूट गई।

कुछ लोगों का कहना है कि उसे जानबूझ तोड़ा गया, क्योंकि इसमें सीवरेज का पानी गिराए जाने लगा था। डाट के टूटने से पानी को आगे जाने का कोई रास्ता नहीं मिला और सीवरेज का पानी जंगल में जाने लगा। यह गंदा पानी बिना किसी ट्रीटमेंट के जंगलों में जाता है, जिसमें खतरनाक केमिकल और जहरीले तत्व होते हैं। सैटेलाइट तस्वीरें भी गवाह हैं कि 2018 तक जो जंगल हरा भरा था अब सीवर के पानी से भरा हुआ है। पेड़ सूख चुके हैं और एक-एक करके रोज गिर रहे हैं।


Forest behind Rock Garden road leading towards Kansal turning into graveyard of trees

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सीवर का पानी
– फोटो : अमर उजाला

रॉक गार्डन की दीवार तक पहुंचा पानी, बर्ड पार्क के अंदर घुसा

कांसल सड़क की दोनों तरफ गंदा पानी जमा हुआ है। बदबू भी बहुत ज्यादा है। गंदा पानी रॉक गार्डन की दीवार के बेहद करीब खड़ा है और बर्ड पार्क के तो अंदर भी घुस गया है। यही स्थिति रही तो सुखना लेक और रॉक गार्डन को नुकसान भी पहुंच सकता है। प्रशासन के एक अधिकारी ने बताया कि मामला उनके संज्ञान में है। चंडीगढ़ की तरफ से कई बार इस संबंध में पंजाब के अधिकारियों को पत्र लिखा गया है कि वहां सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाया जाए ताकि गंदा पानी चंडीगढ़ के जंगलों में न आए लेकिन अब तक जमीन पर इसका कोई असर नहीं देखने को मिला है।


Forest behind Rock Garden road leading towards Kansal turning into graveyard of trees

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सीवर का पानी
– फोटो : अमर उजाला

पेड़ मरे तो जानवर भी हुए लुप्त

जंगल में पेड़ों की मौत का सीधा असर वहां के पारिस्थितिक संतुलन पर पड़ता है। पेड़ों के सूखने और मिट्टी की उर्वरता खत्म होने से जानवरों और पक्षियों के लिए भोजन और आश्रय की कमी हो जाती है। पेड़ जंगल का आधार होते हैं, जो ऑक्सीजन प्रदान करते हैं और जानवरों के लिए घर और भोजन का स्रोत बनते हैं। अब जब जंगल उजड़ रहा है, तो जानवर अपनी मूल जगह छोड़ने को मजबूर हो गए हैं। दरअसल, केमिकल युक्त गंदा पानी मिट्टी की उर्वरता को खत्म कर देता है। सीवरेज का पानी जड़ों को भी सड़ा देता है और पेड़ों की पत्तियों और छाल को भी नुकसान पहुंचाता है, जिससे उनका प्राकृतिक विकास रुक जाता है।


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सूखे पेड़
– फोटो : अमर उजाला

कब एनजीटी और हाईकोर्ट लेगा संज्ञान

रॉक गार्डन के पीछे पेड़ों की स्थिति ऐसी हो गई है कि दिन के समय में देखने पर यह अजीब लगते हैं। पेड़ों पर कोई पत्ते नहीं बचे हैं, सिर्फ टहनियां रह गई हैं। पंजाब का सीवर सिर्फ जंगल में ही नहीं आ रहा है, बल्कि कैंबवाला से आ रही एक सीवरेज की लाइन, जो सेक्टर-7 के पंप तक जाती है। उसमें भी नर्सरी के पास कांसल के कुछ इलाकों का गंदा पानी गिराया जाता है। अधिकारियों की अनदेखी इस समस्या को और बढ़ा रही है। 

यह भी सवाल उठता है कि कब एनजीटी और पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट इस मामले पर संज्ञान लेंगे, क्योंकि हाईकोर्ट के नाक के नीचे सैकड़ों पेड़ों की हत्या हो चुकी है। जंगल तेजी से खत्म होता जा रहा है। यदि इसे अनदेखा किया गया, तो यह न केवल पर्यावरणीय हानि का कारण बनेगा, बल्कि चंडीगढ़ के पारिस्थितिक संतुलन को भी खतरे में डाल देगा।

पंजाब की तरफ से आ रहे सीवरेज के पानी के मुद्दे पर विभाग की तरफ से कई बार पत्र लिखा गया है। पंजाब की तरफ से जवाब नहीं आया है लेकिन अब उनके द्वारा सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाया जा रहा है। उम्मीद है कि उससे यह समस्या खत्म हो जाएगी। – टीसी नौटयाल, मुख्य वन संरक्षक, चंडीगढ़


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