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सीरिया में विद्रोही गुटों के हमले में बुधवार को 89 लोग मारे गए। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक ये पिछले 4 साल में विद्रोहियों की तरफ से किया गया सबसे बड़ा हमला था। उन्होंने सीरियाई आर्मी के एक मिलिट्री बेस पर भी कब्जा कर लिया है।
जिन गुटों ने बुधवार को हमला किया उनमें से एक संगठन हयात तहरीर अल-शम को अल कायदा का समर्थन हासिल है। ये आतंकी संगठन सीरिया के बड़े शहरों में से एक अलेप्पो में साढ़े 9 किलोमीटर तक घुस चुके हैं। इसके लड़ाकों ने बशर अल असद की सरकार के समर्थन वाली सेना के हथियारों और वाहनों पर कब्जा कर लिया है।
46 मिलिट्री बेस पर कब्जे का दावा
सीरिया के विद्रोही गुटों ने टेलीग्राम पर दावा किया है कि उन्होंने सीरियाई सरकार के 46 सैन्य अड्डों को कब्जे में ले लिया है। वे सिर्फ 10 घंटों के भीतर अलेप्पो शहर के कई गांव पर कब्जा करने में कामयाब रहे हैं। हालांकि सीरियाई सरकार ने इन दावों पर कुछ नहीं कहा है।
2020 में तुर्किये की मदद से विद्रोहियों और असद सरकार के बीच एक समझौता कराया गया था, जिससे वहां बड़े हमलों में कमी आई थी।
बुधवार को अलेप्पो में घुसते विद्रोही गुट के लड़ाके।
सीरिया में 2011 में शुरू हुआ गृहयुद्ध
2011 में अरब क्रांति के साथ ही सीरिया में गृहयुद्ध की शुरुआत हुई थी। साल 2000 से सीरिया के सत्ता में काबिज बशर अल असद की तानाशाही सरकार के खिलाफ लोकतंत्र समर्थकों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए थे। इसके बाद एक फ्री सीरियन आर्मी के नाम से एक विद्रोही गुट तैयार हुआ।
विद्रोही गुट के बनने के साथ ही सीरिया में गृहयुद्ध की शुरुआत हो गई थी। इसमें अमेरिका, रूस, ईरान और सउदी अरब के शामिल होने के बाद ये संघर्ष और बढ़ता गया। इस बीच यहां आतंकवादी संगठन ISIS ने भी अपने पैर पसार लिए थे।
2020 के सीजफायर समझौते के बाद यहां सिर्फ छुटपुट झड़प ही हुई हैं। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक एक दशक तक चले गृहयुद्ध में 3 लाख से ज्यादा लोग मारे गए थे। इसके अलावा लाखों लोगों को विस्थापित होना पड़ा था।
सीरियाई गृहयुद्ध 21वीं सदी का दूसरा सबसे विनाशकारी युद्ध है।
सीरिया के गृहयुद्ध में तबाह हो गया अलेप्पो शहर
1986 में UNESCO से वैश्विक धरोहर का दर्जा हासिल करने वाला और दुनिया के सबसे पुराने शहरों में से एक अलप्पो शहर 2012 के आते-आते सीरिया के गृह युद्ध की अहम जगह बन गया था। सीरिया का अलेप्पो शहर न सिर्फ वैश्विक धरोहर बल्कि देश की अर्थव्यवस्था का केंद्र भी था, खूबसूरत मस्जिदों और कलाकृतियों से सजा हुआ यह शहर देखते ही देखते अपनों के हाथों ही तबाह हो गया।
जुलाई 2012 तक अलेप्पो दो हिस्सों में बंट चुका था, जिसका एक हिस्सा फ्री सीरियन आर्मी के पास था और दूसरा बशर अल-असद के कब्जे में। सरकार की मदद करने वाले देशों में रूस, ईरान, इराक, अफगानिस्तान, लेबनान और पाकिस्तान शामिल था।
वहीं विद्रोहियों को अमेरिका, सऊदी अरब और तुर्किये से मदद मिल रही थी। सरकार के हवाई हमलों में वह सारी खूबसूरत कलाकृतियां मस्जिद और सांस्कृतिक धरोहर खो गई जिसके लिए यह शहर जाना जाता था।
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