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सिंधु-झेलम और चिनाब के पानी पर फिर छिड़ी बहस: जम्मू-कश्मीर सीएम का पंजाब को हिस्सा देने से इनकार; AAP बोली-पंजाब को भी चाहिए हक – Amritsar News Chandigarh News Updates

सिंधु-झेलम और चिनाब के पानी पर फिर छिड़ी बहस:  जम्मू-कश्मीर सीएम का पंजाब को हिस्सा देने से इनकार; AAP बोली-पंजाब को भी चाहिए हक – Amritsar News Chandigarh News Updates

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जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला।

जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला द्वारा सिंधु नदी के पानी को पंजाब सहित अन्य राज्यों के साथ साझा करने से इनकार करने संबंधी बयान पर राजनीतिक टकराव तेज हो गया है। आम आदमी पार्टी (AAP) के प्रवक्ता नील गर्ग ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए इसे

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गर्ग ने कहा, “उमर अब्दुल्ला को यह अधिकार नहीं है कि वे सिंधु नदी के पानी को लेकर एकतरफा फैसला लें। यह पानी राष्ट्रीय संपत्ति है और पंजाब को इसका समान अधिकार है।”

आम आदमी पार्टी के नील गर्ग।

क्या कहा उमर अब्दुल्ला ने

मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने शुक्रवार को मीडिया से बात करते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर की सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों का पानी पहले राज्य के लोगों के लिए इस्तेमाल किया जाएगा और उसके बाद ही किसी और को देने पर विचार किया जाएगा। उन्होंने पंजाब, हरियाणा और राजस्थान तक पानी ले जाने के लिए प्रस्तावित 113 किलोमीटर लंबी नहर का विरोध करते हुए कहा, “जब हमें उज्ह और शाहपुर कांडी प्रोजेक्ट पर मदद चाहिए थी, तब पंजाब ने हमें इंतजार करवाया। अब हम क्यों उन्हें पानी दें?”

उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार जल्द तुलबुल नेविगेशन प्रोजेक्ट को दोबारा शुरू करेगी और अखनूर से जम्मू शहर तक चिनाब का पानी डायवर्ट किया जाएगा।

AAP का पलटवार: पंजाब को भी चाहिए हक

AAP प्रवक्ता नील गर्ग ने जवाबी बयान में कहा, “पंजाब एक सीमावर्ती राज्य है, जो हर युद्ध में देश की सुरक्षा में सबसे आगे खड़ा रहता है। वहीं राज्य देश के अन्न भंडार भरता है, लेकिन इस प्रयास में पंजाब का भूजल संकट में आ चुका है और राज्य का बड़ा हिस्सा डार्क जोन में जा चुका है।”

गर्ग ने यह भी याद दिलाया कि जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव था, तब केंद्र सरकार ने सिंधु जल संधि को समाप्त करने का विचार किया था। अब जब भारत ने यह संधि होल्ड पर रख दी है, तो जिम्मेदारी केंद्र सरकार की है कि वह सिंधु नदी के जल का न्यायोचित वितरण करे और पंजाब को उसका हक दे।

सीएम मान पहले ही केंद्र से मांग चुके सिंधु का हिस्सा

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत मान पहले ही केंद्र सरकार से पंजाब को सिंधु का हिस्सा देने की अपील कर चुके हैं, जो पहले पाकिस्तान को जाता था। उन्होंने दो टूक कहा, “यह राजनीति नहीं, बल्कि पंजाब के किसानों के अस्तित्व और न्याय का सवाल है।”

पानी पर बढ़ता टकराव, ले सकता है राजनीतिक रूप

सिंधु जल संधि (1960) के तहत भारत को पूर्वी नदियों रावी, ब्यास, और सतलुज का पूर्ण अधिकार है, जबकि पश्चिमी नदियों सिंधु, झेलम और चिनाब पर भारत को सीमित उपयोग की अनुमति थी। अब जबकि संधि निलंबित है, देश के भीतर इन नदियों के जल वितरण पर बहस छिड़ गई है।

उमर अब्दुल्ला और नील गर्ग के बयानों से यह स्पष्ट हो गया है कि यह मामला जल्द ही एक राजनीतिक-संवैधानिक टकराव का रूप ले सकता है, जिसमें केंद्र सरकार के स्पष्ट हस्तक्षेप करना होगा।

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