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कुरुक्षेत्र। सिमरन।
कुरुक्षेत्र। भारत रत्न गुलजारी लाल नंदा सादा जीवन उच्च विचार की साक्षात प्रतिमूर्ति थे। उन्होंने राजनीति के माध्यम से समाज सेवा एवं कल्याण की भावना को जो स्वरूप प्रदान किया है वह अनुकरणीय है। ये विचार बुधवार को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने ब्रह्मसरोवर स्थित कुवि के भारत रत्न गुलजारी लाल नंदा केंद्र तथा कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के सहयोग में गुलजारी लाल नंदा की पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम में व्यक्त किए।
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अतिथियों ने नंदा स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की तथा पौधारोपण कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। पूर्व राज्यमंत्री सुभाष सुधा ने कहा कि कुरुक्षेत्र का वर्तमान स्वरूप गुलजारी लाल नंदा की देन है। उन्हीं की बदौलत कुरुक्षेत्र में ब्रह्मसरोवर एवं सन्निहित सरोवर का निर्माण एवं विकास हुआ है। केडीबी के मानद सचिव उपेंद्र सिंघल ने कहा कि गुलजारी लाल नंदा ने समाज सेवा के माध्यम से कुरुक्षेत्र के 48 कोस के तीर्थ स्थलों के विकास की जो रूपरेखा तैयार की, आज कुरुक्षेत्र उसी के अनुरूप पूरे विश्व में अपनी पहचान बनाए हुए है। कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड का निर्माण कर कुरुक्षेत्र की प्रगति की आधारशिला रखी।
केंद्र निदेशिका प्रो. शुचिस्मिता ने कहा कि केंद्र में सामाजिक संस्थाओं को जोड़कर अनेक साहित्यिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करेगा। अतिथियों द्वारा नंदा केंद्र की गतिविधियों पर आधारित टेबल कैलेंडर का विमोचन किया। इस मौके पर थानेसर के विधायक अशोक अरोड़ा, जिला उपायुक्त नेहा सिंह, कुवि कुलसचिव डॉ. वीरेंद्र पाल, भद्रकाली मंदिर के पीठाध्यक्ष पंडित सतपाल शर्मा, समाजसेवी जयभगवान सिंगला सहित अन्य सदस्य मौजूद रहे।
काव्य पाठ और चित्रकला प्रतियोगिता में युवाओं ने लिया हिस्सा
अदबी संगम द्वारा गुलजारी लाल नंदा को समर्पित काव्य पाठ का आयोजन किया गया, जिसमें बलवान सिंह एवं सूबे सिंह सुजान सहित अदबी संगम के सदस्यों ने भाग लिया। श्रद्धांजलि कार्यक्रम में खाटू श्याम सत्संग का आयोजन भी किया गया। इससे पहले संगीत विभाग के छात्रों द्वारा भजन कार्यक्रम का आयोजन भी किया गया। कार्यक्रम में श्री गुलजारी लाल नंदा एवं उनके जीवन दर्शन पर आधारित चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें 20 से अधिक ललित कला के विद्यार्थियों ने अपनी प्रतिभा को प्रदर्शित किया।
नंदा केंद्र में लगाई जाएगी हस्तशिल्प प्रदर्शनी
कार्यक्रम अध्यक्ष कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि आने वाले दिनों में गुलजारी लाल नंदा केंद्र और अधिक सक्रिय भूमिका निभाएगा। यहां पर हस्तशिल्प प्रदर्शनी का स्वरोजगार केंद्र के माध्यम से आयोजन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी की विचारधारा को आत्मसात करते हुए गुलजारी लाल नंदा ने दो बार भारत के कार्यकारी प्रधानमंत्री के रूप में कार्य कर देश एवं समाज को नई दिशा प्रदान की। वे ईमानदारी का ऐसा उदाहरण थे कि आखिरी समय में उनके पास अपना स्वयं का मकान भी नहीं था।
कुरुक्षेत्र को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई नंदा जी ने : सिमरन
छात्रा सिमरन ने बताया कि कुरुक्षेत्र को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने में गुलजारी लाल नंदा जी का अहम योगदान रहा है। उन्होंने ही स्वयं ब्रह्मसरोवर के जीर्णोद्धार का बीड़ा उठाया था तथा तीर्थों की रख-रखाव हेतु कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड को बनाया। उसके फलस्वरूप देश-विदेश से लोग कुरुक्षेत्र को देखने आते हैं तथा गीता महोत्सव का आयोजन भी वहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किया जाता है।
गुलजारी लाल नंदा के किए कार्यों से पल रहे कई घर : जशन
कुरुक्षेत्र विवि के छात्र जशनप्रीत का कहना है कि गुलजारी लाल नंदा द्वारा देश के विकास के लिए किए कार्य स्मरणीय हैं। ईमानदार एवं कर्मठ नेता ने अपने अंतिम पलों को किराए के घर में गुजारा कि उनका अपना कोई घर नहीं था लेकिन उनके किए कार्यों और निर्णयों से कईं घर पल रहे हैं तथा कई विभाग, संस्थान एवं केंद्रों को उनके नाम समर्पित किया गया है।
कुरुक्षेत्र। सिमरन।
कुरुक्षेत्र। सिमरन।
कुरुक्षेत्र। सिमरन।
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सादा जीवन, उच्च विचार की साक्षात प्रतिमूर्ति थे भारत रत्न गुलजारी लाल नंदा : प्रो. सचदेवा