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सियोल2 मिनट पहले
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साउथ कोरिया में अपना इस्तीफा सौंपते रक्षा मंत्री किम योंग-ह्यून।
साउथ कोरिया में मार्शल लॉ को लेकर हो रहे विवाद के बीच रक्षा मंत्री किम योंग-ह्यून ने गुरुवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। कोरियाई न्यूज एजेंसी योनहाप के मुताबिक किम योंग ने कहा कि वे देश में हुई भारी उथल-पुथल की जिम्मेदारी ले रहे हैं। राष्ट्रपति कार्यालय ने कहा कि राष्ट्रपति यून सुक योल ने रक्षा मंत्री का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है।
रक्षामंत्री किम की सलाह पर ही राष्ट्रपति ने मार्शल लॉ लगाने की घोषणा की थी। गुरुवार को मीडिया ब्रीफिंग में उप-रक्षा मंत्री ने इसकी पुष्टि की। उन्होंने कहा कि किम योंग के आदेश पर ही सेना संसद में घुसी थी।
उप-रक्षा मंत्री ने यह भी कहा उन्हें मार्शल लॉ के बारे में कुछ भी नहीं पता था। इसकी जानकारी उन्हें टीवी पर मिली। वे इस बात से दुखी हैं कि उन्हें कुछ पता नहीं था और इस वजह से सही समय पर इस घटना को रोक नहीं सके।
किम योंग की जगह अब चोई ब्युंग-ह्यूक को साउथ कोरिया का नया रक्षा मंत्री बनाया गया है। वे सेना में फोर स्टार जनरल रह चुके हैं और फिलहाल सऊदी अरब में साउथ कोरिया के राजदूत के पद पर हैं।
साउथ कोरिया में राष्ट्रपति यून सुक योल के साथ नए रक्षा मंत्री चोई ब्युंग-ह्यूक।
चुंगम गुट क्या है जिस पर मार्शल लॉ की साजिश रचने के आरोप लग रहा
विपक्षी पार्टी के सांसद किम मिन सोक ने आरोप लगाया है कि देश में मार्शल लॉ लगाने के पीछे ‘चुंगम गुट’ का हाथ है। चुंगम राजधानी सियोल में एक हाई स्कूल है जहां से राष्ट्रपति और उनके दोस्तों ने पढ़ाई की है।
राष्ट्रपति बनने के बाद यून ने अपने दोस्तों को अहम पदों पर नियुक्त कर दिया। इन सभी के पास मार्शल लॉ लागू करने को लेकर कई अधिकार थे और ये कई महीने से इसकी तैयारी कर रहे थे। रक्षा मंत्री किम भी चुंगम से ही पढ़ चुके हैं और राष्ट्रपति के पुराने दोस्त हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रपति ने मार्शल लॉ लगाने से 3 घंटे पहले एक कैबिनेट मीटिंग बुलाई थी जिसमें उनके अलावा 4 लोग शामिल थे। प्रधानमंत्री के अलावा, वित्त और विदेश मंत्री ने मार्शल लॉ लगाए जाने का विरोध किया था। हालांकि राष्ट्रपति ने उनकी सलाह को नजरअंदाज कर दिया।
एक पुलिस अधिकारी ने रॉयटर्स को बताया कि मार्शल लॉ लगाने से चार घंटे पहले उन्हें राष्ट्रपति कार्यालय से नेशनल पुलिस चीफ को मैसेज मिला था और उन्हें स्टैंडबाय पर रहने को कहा गया था।
साउथ कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक योल (बाएं) और पूर्व रक्षा मंत्री किम योंग।
राष्ट्रपति योल को मार्शल लॉ लगाने की जरूरत क्यों पड़ी?
दक्षिण कोरिया की संसद में कुल 300 सीटें हैं। इस साल की शुरुआत में हुए चुनाव में जनता ने विपक्षी पार्टी DPK को भारी जनादेश दिया था। सत्ताधारी पीपल पावर को सिर्फ 108 सीटें मिलीं, जबकि विपक्षी पार्टी DPK को 170 सीटें मिलीं। बहुमत में होने की वजह से विपक्षी DPK, राष्ट्रपति सरकार के कामकाज में ज्यादा दखल दे रही थी, और वे अपने एजेंडे के मुताबिक काम नहीं कर पा रहे थे।
राष्ट्रपति योल ने 2022 में मामूली अंतर से चुनाव जीता था। इसके बाद से उनकी लोकप्रियता घटती चली गई। उनकी पत्नी के कई विवादों में फंसने की वजह से भी उनकी इमेज पर असर पड़ा। फिलहाल राष्ट्रपति की लोकप्रियता 17% के करीब है, जो कि देश के तमाम राष्ट्रपतियों में सबसे कम है।
इन सबसे निपटने के लिए राष्ट्रपति ने मार्शल लॉ लगा दिया। उन्होंने DPK पर उत्तर कोरिया के साथ सहानुभूति रखने और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया।
साउथ कोरिया में मार्शल लॉ लगाने की घोषणा करते राष्ट्रपति यून।
पत्नी की वजह से राष्ट्रपति की छवि को नुकसान हुआ
पत्नी और फर्स्ट लेडी किम कियोन के एक लग्जरी ब्रैंड का बैग गिफ्ट लेने की वजह से राष्ट्रपति की साख में बट्टा लग गया। दरअसल इस साल की शुरुआत में एक यूट्यूबर ने वीडियो लीक कर दिया जिसमें राष्ट्रपति की पत्नी को एक पादरी से महंगा गिफ्ट लेते हुए दिखाया गया। इस वीडियो को स्पाई कैमरा से फिल्माया गया था।
यह बैग क्रिस्टियन डायर कंपनी का था जिसकी कीमत 2 लाख भारतीय रुपए बताई जाती है। इतना महंगा गिफ्ट लेने पर देश में उनकी आलोचना होने लगी। साउथ कोरिया में कोई भी सार्वजनिक पद पर बैठा शख्स (परिवार भी शामिल) 1 मिलियन कोरियन वॉन (60 हजार रुपए) से ज्यादा का गिफ्ट लेना गैरकानूनी है।
साउथ कोरिया में पिछले साल डॉग स्लॉटर हाउस बंद करने और डॉग मीट पर बैन लगाया गया था। इसके पीछे फर्स्ट लेडी के कैम्पेन को ही जिम्मेदार माना गया। खुद प्रेसिडेंट ने भी इस मीट बैन को खुला समर्थन दिया था। (फाइल)
राष्ट्रपति की पत्नी का विवादों से पुराना नाता राष्ट्रपति की पत्नी का विवादों से पुराना नाता रहा है। 2021 में उन्होंने प्रोफेशनल रिकॉर्ड को लेकर झूठ बोलने और ph.d थीसिस में नकल का आरोप लगा था। उनपर करीब 13 साल पहले स्टॉक कीमतों में हेरफेर के भी आरोप लगे।
राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग चलेगा?
साउथ कोरिया में विपक्षी दलों ने मिलकर बुधवार को राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया शुरू कर दिया है। विपक्षी दलों के पास कुल 192 सांसद हैं। 300 सीटों वाले कोरियाई संसद में महाभियोग चलाने के लिए दो-तिहाई यानी कि 200 सांसदों की जरूरत होती है।
ऐसे में जबतक सत्ताधारी पार्टी के सांसद राष्ट्रपति के खिलाफ वोटिंग नहीं करेंगे तब तक महाभियोग लाना मुश्किल है। सत्ताधारी पीपुल्स पार्टी ने राष्ट्रपति को हटाने के लिए विपक्ष का समर्थन करने से इनकार कर दिया है।
साउथ कोरिया में मार्शल लॉ लगाने के बाद के हालात…
संसद भवन के ऊपर हेलिकॉप्टर तैनात।
संसद के बाहर सेना और विपक्षी पार्टी के कार्यकर्ताओं में झड़प हुई।
फर्नीचरों से दरवाजे को टूटने से बचाने में जुटे विपक्षी पार्टी के कार्यकर्ता।
दक्षिण कोरिया में सिर्फ 6 घंटे में ही क्यों खत्म हुआ मार्शल लॉ
राष्ट्रपति योल के मार्शल लॉ के ऐलान के बाद पूरा विपक्ष थोड़ी ही देर में संसद पहुंच गया। मार्शल लॉ कानून को हटाने के लिए संसद में 150 से ज्यादा सांसद होने चाहिए। जब तक सेना संसद पर कब्जे के लिए पहुंची पर्याप्त सांसद संसद पहुंच चुके थे और कार्यवाही शुरू हो गई थी।
हालांकि, सेना ने कार्यवाही रोकने की कोशिश की। सांसद में वोटिंग के लिए जा रहे कई विपक्षी सांसदों को हिरासत में लिया गया। अंदर घुसने के लिए संसद की खिड़कियां तोड़नी शुरू कीं। लेकिन, जब तक जवान भीतर पहुंचते, नेशनल असेंबली के 300 में से 190 सांसदों ने राष्ट्रपति के मार्शल लॉ वाले प्रस्ताव को मतदान कर गिरा दिया।
दक्षिण कोरिया के संविधान के मुताबिक अगर संसद में सांसदों का बहुमत देश में मार्शल लॉ हटाने की मांग करता है तो सरकार को इसे मानना होगा। संविधान के इसी प्रावधान का विपक्षी नेताओं को फायदा मिला और सेना को अपनी कार्यवाही रोकनी पड़ी।
सेना ने तुरंत संसद को खाली कर दिया और वापस लौट गए। संसद के ऊपर हेलिकॉप्टर और सड़क पर मिलिट्री टैंक तैनात थे, उन्हें वापस जाना पड़ा।
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साउथ कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक योल ने देश में मार्शल लॉ लगाने का आदेश वापस ले लिया है। राष्ट्रपति ने 3 दिसंबर की शाम 7 बजे (भारतीय समय के मुताबिक) मार्शल लॉ लगाने की घोषणा की थी, जिसके बाद देशभर में विरोध प्रदर्शन होने लगे थे और अराजकता की स्थिति पैदा हो गई थी। पूरी खबर यहां पढ़ें…
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