[ad_1]
फरीदाबाद: ढाई बीघा खेत में पालक उगाने वाले किसान पूरण लाल ने Local18 से बातचीत में अपनी मेहनत और संघर्ष की कहानी साझा की. उन्होंने बताया कि पालक की खेती में उन्हें ज्यादा घाटा नहीं होता, लेकिन इसमें मेहनत और समय की भरपूर जरूरत है. खेत की कई बार जुताई से लेकर बीज बोने और पालक को मंडी तक पहुंचाने तक हर कदम पर मेहनत की गाथा छिपी है. सर्दियों में पालक की मांग बढ़ जाती है, जिससे किसान को लाभ मिलता है.
किसान पूरण लाल ने Local18 को बताया कि पालक गड्डी के हिसाब से बिकती है. बल्लभगढ़ और फरीदाबाद की मंडियों में 100 गड्डियों की कीमत 50 से 200 रुपए तक जाती है. उन्होंने कहा दो सौ से ढाई सौ रुपए गड्डी जाए तो किसान को फायदा है. सर्दियों के मौसम में हर घर के खाने में पालक को शामिल किया जाता है. इसलिए पालक की मांग बढ़ जाती है.
5 से 10 बार करनी पड़ती है खेत की जुताई
पालक की खेती में सबसे ज्यादा मेहनत खेत की जुताई में लगती है. पूरण लाल ने बताया कि खेत की जुताई 5 से 10 बार करनी पड़ती है. इसके बाद बीज बोया जाता है, जिसमें करीब 15-20 किलो बीज लगता है. ये बीज बल्लभगढ़ से लाया जाता है.
ताजे पालक की रहती है ज्यादा डिमांड
पूरण लाल और उनके परिवार के सदस्य सुबह 6 बजे से लेकर शाम 6 बजे तक खेतों में मेहनत करते हैं. पालक तैयार होने के बाद इसे बल्लभगढ़ की मंडियों में ले जाया जाता है. पालक की ताजा और बढ़िया गुणवत्ता के कारण इसकी अच्छी मांग बनी रहती है.
किसानों के लिए पालक की खेती है लाभदायक
पूरण लाल ने बताया कि वे मलेरना गांव में लंबे समय से खेती कर रहे हैं. उनके अनुभव और मेहनत के कारण पालक की खेती में घाटे कम आते हैं. उन्होंने कहा कि सर्दियों के मौसम में पालक की खेती किसानों के लिए लाभदायक है और बाजार में इसकी मांग भी अधिक है.
Tags: Faridabad News, Haryana news, Health, Local18
[ad_2]