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भिवानी। मत्स्य पालन को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार की ओर से अनुदान राशि उपलब्ध करवाई जा रही है, जिससे यह क्षेत्र अब एक लाभकारी व्यवसाय बनता जा रहा है। इच्छुक किसानों को विभाग से प्रशिक्षण और तकनीकी मार्गदर्शन अवश्य लेना चाहिए। यह बात जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अजय चौपड़ा ने शुक्रवार को शहर के डाबर क्षेत्र में मत्स्य पालन विभाग द्वारा आयोजित रांचिंग कार्यक्रम के दौरान कही।
उन्होंने कहा कि मछली पालन के प्रति लोगों की रुचि बढ़ाने और उत्पादन में इजाफा करने के लिए तालाब में मछली बीज डालकर संचय प्रक्रिया को अपनाया जा रहा है। रांचिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें मछली प्रजातियों के संरक्षण और संवर्धन के लिए बीज छोड़ा जाता है। कार्यक्रम के दौरान चौपड़ा ने स्वयं भी मछली बीज पानी में छोड़कर लोगों को प्रोत्साहित किया।
खारा और मीठा पानी दोनों में हो रहा उत्पादन
जिला मत्स्य अधिकारी सिकंदर सिंह सांगवान ने बताया कि वर्तमान में जिले के बहल, सिवानी और भिवानी क्षेत्र में खारे पानी के 625 हेक्टेयर क्षेत्र में मछली पालन किया जा रहा है। इसके अलावा 1440 हेक्टेयर मीठे पानी वाले क्षेत्र में भी मछली उत्पादन हो रहा है। जिले में अब तक 6460 मीट्रिक टन मछली उत्पादन हो चुका है।उन्होंने यह भी बताया कि कोई भी किसान यदि अपनी निजी जमीन पर तालाब बनाकर या पंचायती जोहड़ पट्टे पर लेकर मछली पालन करता है, तो उसे सरकार की ओर से अनुदान राशि दी जाती है। विभाग किसानों को पारंपरिक खेती के साथ मत्स्य पालन अपनाने के लिए निरंतर प्रेरित कर रहा है।
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सरकार से अनुदान पाकर मत्स्य पालन बना किसानों के लिए लाभकारी व्यवसाय : अजय चौपड़ा


