सरकारी स्कूल में अध्यापक छुट्टी के बाद भी करवाते हैं पढ़ाई


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समैन। कहावत है करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान। इस कहावत को चरितार्थ किया है, गांव ललोदा के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के अध्यापकों ने। अपने लगातार अच्छे प्रयासों के दम पर अध्यापकों ने इस स्कूल के गौरव को चार चांद लगा दिए हैं। अध्यापक अपनी भाषा में स्कूल न कहकर इसे पूरा शिक्षण संस्थान बुलाते हैं। इस स्कूल में अध्यापकों ने विद्यार्थियों के लिए अपने स्तर पर हरसंभव सुविधा उपलब्ध करवाई है।
विद्यार्थियों की पढ़ाई में कोई कमी न रह जाए, इसलिए अध्यापक तीन महीने तक सुबह स्कूल के समय से पहले व छुट्टी होने के बाद भी पढ़ाते हैं। गांव ललोदा के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में ललोदा के अलावा रत्ताखेड़ा, पिरथला व नांगला के विद्यार्थी भी पढ़ने आते हैं। विद्यालय में मौजूदा समय में कक्षा छठी से लेकर 12वीं तक 396 विद्यार्थी है। विद्यालय का 10वीं व 12वीं कक्षा का परीक्षा परिणाम भी बेहतर रहा है। संवाद
जहां आठवीं तक पढ़ी, वहीं बनीं प्रिंसिपल
प्रिंसिपल इंद्रजीत कौर गांव ललोदा की ही रहने वाली है। उन्होंने अपनी पहली से आठवीं कक्षा तक की पढ़ाई इसी स्कूल से की है। प्रिंसिपल कहती हैं कि इस स्कूल ने इतने बड़े पद तक पहुंचाया है, उन्हें इस बात का गर्व है कि जिस स्कूल में वह पढ़ी, आज उसी स्कूल में वह प्रिंसिपल है। सभी अध्यापक पूरी समर्पित भावना के साथ स्कूल को अच्छा बनाने के लिए प्रयासरत हैं।
अध्यापकों में नहीं मनमुटाव, यही एकजुटता बनी मजबूती
स्कूल में खेल कोच डॉ. बलबीर भारी कहते है कि यहां अध्यापकों के बीच आपस में कोई भेदभाव या मनमुटाव नहीं है। सभी अध्यापक पूरी ईमानदारी के साथ अपना काम करते हैं। यही एकजुटता स्कूल की मजबूती बनी है।
20 दिनों में अध्यापकों ने स्कूल को बना दिया चकाचक
कोरोना की दूसरी लहर के दौरान स्कूल के अध्यापकों ने अपनी ड्यूटी के समय भी स्कूल की सुंदरता को चार-चांद लगाने का प्लान बनाया। अध्यापकों ने स्वयं अपनी जेब से 25 हजार रुपये एकत्रित किए। स्कूल के रंग-रोगन का सामान स्वयं के पैसों से खरीदा। उसके बाद अध्यापक स्वयं स्कूल को सुंदर बनाने में जुट गए। मिस्त्री का काम भी खुद ही किया। करीब 20 दिनों में अध्यापकों ने स्कूल को चकाचक बना दिया।
120 से अधिक खिलाड़ी कर रहे तैयारी
स्कूल के खिलाड़ियों ने ब्लॉक स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक नाम रोशन किया है। फिलहाल स्कूल के 120 से अधिक खिलाड़ी राज्य व राष्ट्रीय स्तर की खेल प्रतियोगिताओं की तैयारी में जुटे हैं। मिडिल हेड अंजू बाला कहती हैं कि हर अध्यापक इस स्कूल के लिए समर्पित है।
कोट
हमारा उद्देश्य हमारे स्कूल को हरियाणा के टॉप-10 स्कूलों में शामिल करवाना है। स्कूल में सिर्फ गणित विषय के अध्यापक की कमी है, बाकी सभी विषयों के अध्यापक मौजूद है। सुविधाएं बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास जारी हैं।
इंद्रजीत कौर, प्रिंसिपल, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, गांव ललोदा

समैन। कहावत है करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान। इस कहावत को चरितार्थ किया है, गांव ललोदा के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के अध्यापकों ने। अपने लगातार अच्छे प्रयासों के दम पर अध्यापकों ने इस स्कूल के गौरव को चार चांद लगा दिए हैं। अध्यापक अपनी भाषा में स्कूल न कहकर इसे पूरा शिक्षण संस्थान बुलाते हैं। इस स्कूल में अध्यापकों ने विद्यार्थियों के लिए अपने स्तर पर हरसंभव सुविधा उपलब्ध करवाई है।

विद्यार्थियों की पढ़ाई में कोई कमी न रह जाए, इसलिए अध्यापक तीन महीने तक सुबह स्कूल के समय से पहले व छुट्टी होने के बाद भी पढ़ाते हैं। गांव ललोदा के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में ललोदा के अलावा रत्ताखेड़ा, पिरथला व नांगला के विद्यार्थी भी पढ़ने आते हैं। विद्यालय में मौजूदा समय में कक्षा छठी से लेकर 12वीं तक 396 विद्यार्थी है। विद्यालय का 10वीं व 12वीं कक्षा का परीक्षा परिणाम भी बेहतर रहा है। संवाद

जहां आठवीं तक पढ़ी, वहीं बनीं प्रिंसिपल

प्रिंसिपल इंद्रजीत कौर गांव ललोदा की ही रहने वाली है। उन्होंने अपनी पहली से आठवीं कक्षा तक की पढ़ाई इसी स्कूल से की है। प्रिंसिपल कहती हैं कि इस स्कूल ने इतने बड़े पद तक पहुंचाया है, उन्हें इस बात का गर्व है कि जिस स्कूल में वह पढ़ी, आज उसी स्कूल में वह प्रिंसिपल है। सभी अध्यापक पूरी समर्पित भावना के साथ स्कूल को अच्छा बनाने के लिए प्रयासरत हैं।

अध्यापकों में नहीं मनमुटाव, यही एकजुटता बनी मजबूती

स्कूल में खेल कोच डॉ. बलबीर भारी कहते है कि यहां अध्यापकों के बीच आपस में कोई भेदभाव या मनमुटाव नहीं है। सभी अध्यापक पूरी ईमानदारी के साथ अपना काम करते हैं। यही एकजुटता स्कूल की मजबूती बनी है।

20 दिनों में अध्यापकों ने स्कूल को बना दिया चकाचक

कोरोना की दूसरी लहर के दौरान स्कूल के अध्यापकों ने अपनी ड्यूटी के समय भी स्कूल की सुंदरता को चार-चांद लगाने का प्लान बनाया। अध्यापकों ने स्वयं अपनी जेब से 25 हजार रुपये एकत्रित किए। स्कूल के रंग-रोगन का सामान स्वयं के पैसों से खरीदा। उसके बाद अध्यापक स्वयं स्कूल को सुंदर बनाने में जुट गए। मिस्त्री का काम भी खुद ही किया। करीब 20 दिनों में अध्यापकों ने स्कूल को चकाचक बना दिया।

120 से अधिक खिलाड़ी कर रहे तैयारी

स्कूल के खिलाड़ियों ने ब्लॉक स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक नाम रोशन किया है। फिलहाल स्कूल के 120 से अधिक खिलाड़ी राज्य व राष्ट्रीय स्तर की खेल प्रतियोगिताओं की तैयारी में जुटे हैं। मिडिल हेड अंजू बाला कहती हैं कि हर अध्यापक इस स्कूल के लिए समर्पित है।

कोट

हमारा उद्देश्य हमारे स्कूल को हरियाणा के टॉप-10 स्कूलों में शामिल करवाना है। स्कूल में सिर्फ गणित विषय के अध्यापक की कमी है, बाकी सभी विषयों के अध्यापक मौजूद है। सुविधाएं बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास जारी हैं।

इंद्रजीत कौर, प्रिंसिपल, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, गांव ललोदा

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