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16सीटीके37..कथा के दूसरे दिन व्यास आचार्य देव कृष्ण शौनक प्रवचन देते हुए। स्रोत : ट्रस्ट
श्रीमद्भागवत कथा दिव्य कल्पतरु है। यह अर्थ, धर्म, काम के साथ साथ भक्ति और मुक्ति प्रदान करके जीव को परम पद प्राप्त कराती है। श्रीमद्भागवत केवल पुस्तक नहीं, साक्षात श्रीकृष्ण स्वरूप है। इसके एक एक अक्षर में श्रीकृष्ण समाए हुए हैं। उन्होंने कहा कि कथा सुनना समस्त दान, व्रत, तीर्थ, पुण्य आदि कर्मों से बढ़कर है।
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यह प्रवचन कथा के दूसरे दिन व्यास आचार्य देव कृष्ण शौनक ने दिया। कथा व्यास ने बताया कि भगवान की कथा विचार, वैराग्य, ज्ञान और हरि से मिलने का मार्ग बता देती है। राजा परीक्षित के कारण भागवत कथा पृथ्वी के लोगों को सुनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। समाज ने बनाए गए नियम गलत हो सकते हैं किंतु भगवान के नियम ना तो गलत हो सकते हैं और न ही बदले जा सकते हैं। इसी के साथ साथ निष्काम भक्ति, शुकदेव आगमन एवम सती चरित्र की कथा विस्तार से सुनाई।
वहीं, ट्रस्ट के प्रधान मनीष जैन ने बताया कि तीसरे दिन कथा व्यास सुभाष पार्क सुभाष नगर में सायं 3 बजे से 6 बजे तक भगवान कपिल, ध्रुव अवतार एवम गजेंद्र मोक्ष की कथा सुनाएंगे।
16सीटीके37..कथा के दूसरे दिन व्यास आचार्य देव कृष्ण शौनक प्रवचन देते हुए। स्रोत : ट्रस्ट
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समाज के बनाए नियम बदले जा सकते हैं, भगवान के नहीं : आचार्य देव कृष्ण