फरीदाबाद: कहते हैं किसान की मेहनत पसीने की हर बूंद में नजर आती है, लेकिन जब कुदरत ही रूठ जाए तो सारी मेहनत पानी में बह जाती है. फरीदाबाद के मंझावली गांव में इस बार यमुना का जल प्रकोप कुछ ऐसा ही कहर ढा गया है. तेज बहाव ने गांव के खेतों को अपनी लपेट में ले लिया. धान और मूंग की फसल जो कटाई के लिए तैयार खड़ी थी सबकी सब बर्बाद हो गई. किसानों की आंखों के सामने लाखों रुपए की मेहनत यमुना की लहरों में डूब गई. गांव का हाल ऐसा है कि न खेत बचे न ही आने-जाने का रास्ता सुरक्षित है. जिन रास्तों पर रोजाना सैकड़ों लोग आवाजाही करते थे वहां अब घुटनों से ऊपर पानी बह रहा है. सरकारी स्कूल बंद हो गए हैं और बच्चों की पढ़ाई भी ठप पड़ गई है.
किसानों की टूटी उम्मीदें
Local18 से बातचीत में मौजाबाद के निवासी बताते हैं कि 2023 में भी बाढ़ आई थी, मगर इस बार हालात कहीं ज्यादा बिगड़े हैं. किसान महेंद्र ने 50 से 60 एकड़ में धान बोया था लेकिन सब बर्बाद हो गया. उनका कहना है कि इस बार पानी कटाई से ठीक पहले आया है जब मेहनत का फल हाथ आने ही वाला था. गांव के सुमित शर्मा बताते हैं कि उन्होंने 5 एकड़ में धान लगाया था जिसमें एक एकड़ पर करीब 20 हजार का खर्च आया था. कटाई से महज 20 दिन पहले बाढ़ ने सब चौपट कर दिया. करीब 500 एकड़ जमीन पर लगी फसल डूब चुकी है.
लागत की भरपाई तक मुश्किल
किसानों का कहना है कि इस बार लागत की भरपाई तक मुश्किल हो जाएगी. वहीं सोनू यादव ने चार एकड़ में धान लगाया था करीब 16 हजार रुपए प्रति एकड़ का खर्च किया था, लेकिन सारी फसल तबाह हो गई. किसान बेबस हैं, क्योंकि खेती ही यहां उनका एकमात्र सहारा है.
गांवों में बढ़ी परेशानियां
गांवों के लोग सिर्फ किसान ही नहीं, बल्कि दूध बेचने वाले लोग भी बुरी तरह प्रभावित हैं. मौजाबाद के मनजीत और अल्लीपुर के राजेश बताते हैं कि पिछले तीन दिन से दूध बेचने तक नहीं जा पा रहे, क्योंकि मेन रास्ता पूरी तरह पानी में डूबा है. स्थानीय निवासी दयाचंद और मनोज कुमार का कहना है कि यह रास्ता कई गांवों को जोड़ता है और अब 500 से 600 लोगों की आवाजाही पर रोक लग गई है. ट्रैक्टर से जाने की नौबत आ गई है.
हर तरफ पानी ही पानी
गांव का जीवन अस्त-व्यस्त हो चुका है. हर तरफ पानी ही पानी है और खेती का नुक़सान सिर पर भारी है. किसानों की हालत देखकर साफ है कि इस बार बाढ़ ने उनकी कमर तोड़ दी है. मेहनत पर पानी फिरने के साथ-साथ रोज़गार और आजीविका पर भी संकट गहराता जा रहा है.