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IPO Crisis: निवेश का पहला पाठ सीखकर शेयर बाजार की सीढ़ियां चढ़ रहा नया निवेशक हो या शेयर के खेल में माहिर पुराना धाकड़ निवेशक, आईपीओ का इंतजार सबको होता है. सबको यह लगता रहता है कि आईपीओ लाने से पहले कोई भी कंपनी अपना फंडामेंटल पहले मजबूत करती है, उसके बाद ही बाजार से पैसा जुटाने की तैयारी करती है. आईपीओ लाने वाली कंपनी के डॉक्यूमेंट्स भी सेबी कड़ाई से जांचती है. इस कारण निवेशकों को लगता है कि कोई भी कंपनी आईपीओ लाने के कुछ दिन बाद तक जरूर ठीकठाक रहेगी और अच्छा रिटर्न देगी. परंतु हाल के दिनों में ठंडे पड़ते बाजार के कारण निवेशकों को आईपीओ से भी निराशा हाथ लग रही है. इसलिए आईपीओ में आंख मूंदकर निवेश के लिए कूदने वाले निवेशकों का भी इससे मोहभंग हो रहा है. वे भी आईपीओ में निवेश करने से कतराने लगे हैं और पहले की तरह धड़ल्ले से निवेश करने से तो जरूर परहेज कर रहे हैं.

शेयर बाजार का ठंडा होना और जीएमपी गिरना सबसे बड़ा कारण
शेयर बाजार के जानकारों का कहना है कि शेयर बाजार का ठंडा होना, ग्रे मार्केट प्रीमियम का गिरना और फंडिंग कॉस्ट में बढ़ोतरी ने आईपीओ में दिलचस्पी को काफी कम कर दिया है. किसी भी आईपीओ में सब्सक्रिप्शन लेवल, ग्रे मार्केट प्रीमियम पर निर्भर करता है. जैसे-जैसे बाजार ठंडा हुआ और ग्रे मार्केट प्रीमियम गिरने लगा, आईपीओ में दिलचस्पी बहुत कम हो गई. घरेलू और विदेशी चिंताओं की वजह से भारतीय शेयर बाजार में ओवरऑल करेक्शन हुआ है. इसकी वजह से हालिया आईपीओ में डिमांड काफी कमजोर हो गया है.
निगेटिव रिटर्न दे रहे आईपीओ
कुछ समय पहले वेल्थ मैनेजमेंट फर्म कैपिटलमाइंड फाइनेंशियल सर्विसेज की रिपोर्ट में जानकारी दी गई कि देश में उस समय तक आए 30 में से आठ बड़े आईपीओ ने नकारात्मक रिटर्न दिए. रिलायंस पावर जैसे चर्चित आईपीओ की भी यही स्थिति रही. बीते दो वर्षों में आए 10 सबसे बड़े आईपीओ में बजाज हाउसिंग फाइनेंस, भारती हैक्साकॉम और ब्रेनबीज (फर्स्ट क्राई) ने ही निवेशकों को शानदार रिटर्न दिया है. तेज बाजारों के अंतिम चरण में बड़े आईपीओ देखने को मिलते हैं, क्योंकि उन्हें उम्मीद के मुताबिक वैल्यूएशन मिल जाता है. वहीं, जिन कंपनियों की लिस्टिंग के बाद आय में वृद्धि दर वैल्यूएशन के मुताबिक नहीं होती है तो वह उम्मीद से कम रिटर्न देते हैं.

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शेयर मार्केट की गिरावट का असर IPO पर भी दिख रहा, निवेशकों का हो रहा मोहभंग!