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मुंबई1 घंटे पहले

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शेयर बाजार में इस हफ्ते उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है। टैरिफ डेवलपमेंट से लेकर रिटेल महंगाई और कॉरपोरेट अर्निंग्स, FII-DII फ्लो पर बाजार की नजर रहेगी।
ऐसे फैक्टर्स जिनसे इस हफ्ते में बाजार की चाल तय होगी…
कॉरपोरेट अर्निंग्स
इस सप्ताह कई कंपनियां अपने मार्च 2025 तिमाही यानी चौथी तिमाही (Q4FY25-जनवरी-मार्च) के नतीजे जारी करेंगी। इंफोसिस, विप्रो, HDFC बैंक, ICICI बैंक, HDFC लाइफ इंश्योरेंस, HDFC AMC, ICICI लोम्बार्ड, ICICI प्रूडेंशियल, टाटा एलेक्सी, एंजेल वन, वारी रिन्यूएबल्स, नेटवर्क-18 और यस बैंक के रिजल्ट्स आएंगे।
भारत की रिटेल महंगाई
घरेलू स्तर पर बाजार की नजर 15 अप्रैल को आने वाले मार्च महीने की रिटेल महंगाई (CPI) के आंकड़ों पर रहेगी, जो फरवरी में 3.61% थी। एनालिस्टों का मानना है कि खाने-पीने की वस्तुओं की कीमतों में नरमी के चलते महंगाई और कम हो सकती है। इससे रिजर्व बैंक को नीतिगत रुख में नरमी बरकरार रखने का मौका मिलेगा।

रिटेल महंगाई फरवरी में 3.61% रही थी।
एक्सपर्ट्स को उम्मीद है कि फूड इन्फ्लेशन के ठंडा पड़ने से CPI और नीचे जा सकती है, जिससे RBI को नीतिगत राहत मिल सकती है। इसके अलावा 18 अप्रैल को फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व और मार्च के पैसेंजर व्हीकल सेल्स के आंकड़े जारी होंगे।
टैरिफ डेवलपमेंट
अमेरिका-चाइना ट्रेड वॉर अभी भी बाजार के मूड को तय करने वाला बड़ा फैक्टर है। भले ही डोनाल्ड ट्रम्प ने 90 दिनों तक चीन को छोड़ बाकी देशों के लिए टैरिफ में राहत दी हो, लेकिन चीन ने बदले में US प्रोडक्ट्स पर 125% तक टैरिफ बढ़ा दिया है।

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने 2 अप्रैल को दुनिया के 60 देशों पर टैरिफ लगाने का ऐलान किया था।
ट्रम्प ने चीन से आने वाले कुछ टेक्निकल प्रोडक्ट्स जैसे स्मार्टफोन और कंप्यूटर को टैरिफ से छूट दी है, जिससे एपल जैसी कंपनियों को राहत मिली है। मार्केट एक्सपर्ट्स के अनुसार, अगर ट्रेड वॉर और तेज हुई तो उभरते बाजारों पर इसका बुरा असर पड़ेगा। साथ ही भारत और अमेरिका के बीच चल रही द्विपक्षीय बातचीत भी फोकस में रहेगी।

फेडरल रिजर्व बैंक के चेयरमैन जेरोम पॉवेल की स्पीच
16 अप्रैल को फेडरल रिजर्व बैंक के चेयरमैन जेरोम पॉवेल की स्पीच होगी, जिसमें वे मॉनेटरी पॉलिसी पर आगे की रणनीति के संकेत दे सकते हैं। पिछली स्पीच में उन्होंने कहा था कि फेड हालात स्पष्ट नहीं होने तक कोई बड़ा फैसला नहीं लेगा। इसके अलावा US की जॉब्स रिपोर्ट, रिटेल सेल्स डेटा और इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन के आंकड़े भी मार्केट पर असर डालेंगे।

फेडरल रिजर्व बैंक के चेयरमैन जेरोम पॉवेल।
ECB मीटिंग और चीन की GDP
यूरोपियन सेंट्रल बैंक की मीटिंग और चीन की पहली तिमाही की GDP ग्रोथ भी वैश्विक संकेतों में अहम रहेंगी। उम्मीद है कि ECB डिपॉजिट रेट 25 बेसिस पॉइंट घटाकर 2.25% कर सकता है।
ऑयल प्राइस
क्रूड ऑयल की कीमतों की चाल पर भी बाजार की नजर रहेगी। बीते हफ्ते ब्रेंट क्रूड फ्यूचर्स करीब चार साल के निचले स्तर तक गिरने के बाद मामूली रिकवरी करते हुए सप्ताह के आखिरी में 1.25% की गिरावट के साथ 64.76 डॉलर प्रति बैरल पर बंद हुए।

ब्रेंट क्रूड फ्यूचर्स बीते सप्ताह 1.25% की गिरावट के साथ 64.76 डॉलर प्रति बैरल पर बंद हुए।
भारत जैसे तेल इंपोर्टर देशों के लिए यह अच्छी खबर है, क्योंकि इससे कंपनियों की लागत और सरकार का राजकोषीय घाटा दोनों कम हो सकता है। अब निगाहें 5 मई को होने वाली OPEC+ मीटिंग पर होंगी, जो क्रूड ऑयल की सप्लाई को लेकर बड़ा संकेत दे सकती है।
FII-DII फ्लो
फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स यानी (FIIs) इस महीने अब तक नेट सेलर बने हुए हैं। FII अब तक 34,641.79 करोड़ रुपए के शेयर बेच चुके हैं। इसकी बड़ी वजह ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी है। अगर FII का यह रुझान जारी रहता है, तो बाजार की तेजी सीमित रह सकती है। हालांकि, डोमेस्टिक इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (DIIs) ने इस कमजोरी को काफी हद तक बैलेंस किया है और अब तक 27,588.18 करोड़ रुपए के शेयर्स खरीदे हैं।
पिछले हफ्ते सेंसेक्स 207 अंक गिरा था
पिछले हफ्ते सेंसेक्स 207 अंक यानी 0.27% गिरा। निफ्टी में भी बीते सप्ताह 75.9 (0.33%) की गिरावट रही थी। वहीं हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन शुक्रवार (11 अप्रैल) को सेंसेक्स 1310 अंक (1.77%) की तेजी के साथ 75,157 के स्तर पर बंद हुआ। निफ्टी में भी करीब 429 अंकों की तेजी रही, ये 22,829 के स्तर पर पहुंच गया था।

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