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वोडाफोन आइडिया को सुप्रीम कोर्ट से राहत: केंद्र सरकार को AGR ड्यूज पर पुनर्विचार करने की इजाजत मिली; VI का शेयर 10% तक चढ़ा Business News & Hub

वोडाफोन आइडिया को सुप्रीम कोर्ट से राहत:  केंद्र सरकार को AGR ड्यूज पर पुनर्विचार करने की इजाजत मिली; VI का शेयर 10% तक चढ़ा Business News & Hub
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नई दिल्ली34 मिनट पहले

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वित्तीय संकट से जूझ रही टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन आइडिया (VI) को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार को VI के एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) बकाए पर पुनर्विचार करने की इजाजत दे दी है। कोर्ट ने कहा कि यह फैसला केंद्र सरकार की नीतिगत दायरे में आता है, इसलिए सरकार को ऐसा करने से रोका नहीं जा सकता।

मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई की बेंच ने यह आदेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलें सुनने के बाद पारित किया। मेहता ने कोर्ट को बताया कि अगर वोडाफोन आइडिया बंद होती है तो उपभोक्ताओं को परेशानी होगी। उन्होंने दलील दी कि ग्राहकों को डुप्लीकेट बिलिंग या एक्स्ट्रा बिलिंग जैसी समस्याएं भी हैं, जिसके चलते AGR बकाये के कैलकुलेशन को दोबारा देखना जरूरी है।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दूरसंचार विभाग (DoT) की AGR बकाये की गणना अंतिम होगी और कंपनियां इस पर कोई विवाद या दोबारा जांच की मांग नहीं कर सकतीं। सुप्रीम कोर्ट से राहत के बाद वोडाफोन आइडिया का शेयर 10% तक चढ़ गया।

दोपहर 12 बजे शेयर 10.57 रुपए तक पहुंच गया। हालांकि बाजार बंद होने तक ये करीब 4% की तेजी के साथ 10 रुपए के स्तर पर बंद हुआ।

वोडाफोन आइडिया दोबारा जांच क्यों चाहती थी?

वोडाफोन आइडिया ने DoT (डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशंस) से ₹5,606 करोड़ के अतिरिक्त AGR बकाये को रद्द करने या उसकी पूरी तरह से दोबारा जांच करने की मांग की थी। कंपनी का कहना था कि वर्ष 2016-17 में DoT के आकलन में गणितीय गलतियां हुई हैं।

AGR क्या है?

AGR (एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू) टेलीकॉम कंपनियों की कमाई का वह हिस्सा है जिस पर सरकार लाइसेंस शुल्क और स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क (SUC) लगाती है।

तीन चैप्टर में समझिए AGR मामला क्या है?

चैपटर 1: केस की शुरुआत

  • विवाद की शुरुआत तब हुई जब डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम ने कहा कि AGR में नॉन-टेलीकॉम राजस्व (जैसे ब्याज, डिविडेंड, संपत्ति की बिक्री) भी शामिल की जाएगीं। लेकिन कंपनियों का तर्क था कि AGR सिर्फ कोर टेलीकॉम रेवेन्यू होना चाहिए।
  • इसी को लेकर 2005 में COAI (सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया) ने TDSAT (टेलीकॉम डिस्प्यूट्स सेटलमेंट अपील ट्रिब्यूनल) में AGR की परिभाषा को चुनौती दी। यहीं से केस की शुरुआत हुई।

चैप्टर 2- कोर्ट का फैसला

  • इसके बाद 2015 में TDSAT (टेलीकॉम डिस्प्यूट्स सेटलमेंट अपील ट्रिब्यूनल) ने फैसला दिया कि AGR में नॉन-टेलीकॉम राजस्व (कैपिटल रिसीट्स, रेंट, डिविडेंड आदि) शामिल नहीं होंगे। डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।
  • अक्टूबर 2019 में सुप्रीम कोर्टने डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम के AGR फॉर्मूले को सही ठहराते हुए कहा कि टेलीकॉम कंपनियों को पिछले 14 साल के बकाया ADUES (लगभग ₹1.47 लाख करोड़) चुकाना होंगा।
  • जनवरी 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने AGR ड्यूज चुकाने के लिए 10 साल का समय दिया।

चैप्टर 3- कंपनियों पर असर

  • AGR ड्यूज चुकाने में सबसे बड़ी प्रभावित कंपनियां वोडाफोन आइडिया (₹58,254 करोड़), भारती एयरटेल (₹43,980 करोड़), टाटा टेलीकॉम (₹16,798 करोड़) रहीं।
  • 2021 से 2024 के बीच वोडाफोन आइडिया की वित्तीय मुश्किलें बढ़ती गईं। VI ने डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम को चेतावनी दी की बिना सरकारी मदद के वह FY26 के बाद काम नहीं कर पाएगी।
  • इसके मार्च 2025 में सरकार ने वोडाफोन आइडिया के ₹36,950 करोड़ के स्पेक्ट्रम ड्यूज को इक्विटी में कन्वर्ट किया गया, जिससे सरकार को कंपनी में 49% हिस्सेदारी मिली।
  • मई 2025: वोडाफोन आइडिया बकाया AGR ड्यूज को माफ करने की याचिका लगाई। लेकिन याचिका खारिज कर दी गई।

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Source: https://www.bhaskar.com/business/news/supreme-court-gives-relief-to-vodafone-idea-136267247.html

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