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बैड कोलेस्ट्रॉल (खराब वसा) दिल को तेजी से बीमार कर रहा है। सिर्फ चंडीगढ़ में ही नहीं पूरे देश में इसकी समस्या तेजी से बढ़ रही है। विदेशी गाइडलाइन के आधार पर भारत में इलाज करने से मरीजों को पूरा लाभ नहीं मिलता। इसी कारण कार्डियक सोसाइटी ऑफ इंडिया ने भारतीयों की शारीरिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए नई गाइडलाइन जारी की है। यह कहना है सोसाइटी के एग्जीक्यूटिव मेंबर व ट्राई सिटी हार्ट फाउंडेशन के संस्थापक डॉ. एचएस बाली का।
डॉ. बाली ने बताया कि कोलेस्ट्रॉल दो प्रकार का होता है — बैड कोलेस्ट्रॉल (टोटल कोलेस्ट्रॉल, एलडीएल और ट्राइग्लिसराइड) और गुड कोलेस्ट्रॉल (एचडीएल)। भारतीयों में खासकर टोटल कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड की मात्रा ज्यादा पाई जाती है, जबकि एचडीएल और एलडीएल की मात्रा अपेक्षाकृत कम होती है। यही असंतुलन बार-बार हृदय रोगों की वजह बनता है। उन्होंने कहा कि अब 15 साल की उम्र के बाद नियमित कोलेस्ट्रॉल जांच बेहद जरूरी है। वहीं जिन परिवारों में युवावस्था में हार्ट अटैक से मौत का मामला हुआ है, उनके बच्चों की 10 साल की उम्र से ही जांच होनी चाहिए।
डॉ. बाली ने यह भी बताया कि कई बार दवाओं और सावधानियों के बावजूद कोलेस्ट्रॉल कम नहीं होता। ऐसे मामलों में जेनेटिक कारण या लगातार हृदय रोग जिम्मेदार होते हैं। अब इलाज के लिए दवाओं के साथ इंजेक्शन का विकल्प भी उपलब्ध है, जिसे छह महीने में एक बार इंसुलिन की तरह लगाया जा सकता है। यह असरदार साबित हो रहा है, लेकिन विशेषज्ञ की देखरेख में ही इसका प्रयोग किया जाना चाहिए।
कोलेस्ट्रॉल के प्रकार
बैड कोलेस्ट्रॉल (खराब वसा)
टोटल कोलेस्ट्रॉल
एलडीएल (लो-डेंसिटी लिपोप्रोटीन)
ट्राइग्लिसराइड- यह हृदय रोग, स्ट्रोक और ब्लॉकेज का बड़ा कारण बनते हैं।
गुड कोलेस्ट्रॉल (अच्छा वसा)
एचडीएल (हाई-डेंसिटी लिपोप्रोटीन)-
यह शरीर में फैट को कंट्रोल करता है और धमनियों को साफ रखता है।
भारतीयों में टोटल कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड की मात्रा अधिक और एचडीएल कम पाई जाती है। यही असंतुलन दिल की बीमारियों का बड़ा खतरा बनता है।
कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल करने के उपाय
– संतुलित आहार: तैलीय और फास्ट फूड से बचें, फल-सब्जियां, साबुत अनाज और ओट्स का सेवन करें।
– नियमित व्यायाम: रोजाना 30 मिनट वॉक, योग या दौड़ बेहद लाभकारी।
– धूम्रपान व अल्कोहल से दूरी।
– तनाव कम करें: मेडिटेशन और योग अपनाएं।
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विश्व हृदय दिवस: दिल को खतरे में डाल रहा बैड कोलेस्ट्रॉल, 15 साल की उम्र से जांच जरूरी; बदली गाइडलाइन


