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विश्व मौसम संगठन ने दी चौंकाने वाली रिपोर्ट, जानें कैसे होंगे धरती के अगले 5 साल Politics & News

विश्व मौसम संगठन ने दी चौंकाने वाली रिपोर्ट, जानें कैसे होंगे धरती के अगले 5 साल Politics & News

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Image Source : PEXELS REPRESENTATIONAL
वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी चिंता का विषय बनी हुई है।

नई दिल्ली: विश्व मौसम संगठन (WMO) की एक नई रिपोर्ट के मुताबिक, 2025 से 2029 के बीच पृथ्वी का औसत तापमान औद्योगिक युग से पहले (1850-1900) के मुकाबले 1.5 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा होने की 70 प्रतिशत संभावना है। इसके अलावा, अगले 5 वर्षों में से कम से कम एक साल 2024 से भी गर्म होने की 80 प्रतिशत संभावना है, जो अब तक का सबसे गर्म साल रहा है। बता दें कि धरती के तापमान में लगातार वृद्धि होती जा रही है जिसके परिणामस्वरूप होने वाले जलवायु परिवर्तन से समुद्रतल से कम ऊंचाई पर बसे देशों और शहरों के जलमग्न होने का खतरा बढ़ता जा रहा है।

2024: अब तक का सबसे गर्म साल

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2024 पहला ऐसा साल था, जब वैश्विक औसत तापमान 1850-1900 के आधार स्तर से 1.5 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा। यह वह दौर था, जब मानवीय गतिविधियों, जैसे जीवाश्म ईंधन (कोयला, तेल, गैस) का जलना, ने जलवायु पर गंभीर असर डालना शुरू नहीं किया था। 2015 के पेरिस जलवायु सम्मेलन में देशों ने वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने का लक्ष्य रखा था, ताकि जलवायु परिवर्तन के सबसे खतरनाक प्रभावों से बचा जा सके। 

पेरिस समझौते में 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा का मतलब लंबे समय (20-30 साल) तक तापमान में स्थायी वृद्धि से है। इस साल सभी देशों को संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन कार्यालय में 2031-2035 के लिए अपनी नई राष्ट्रीय जलवायु योजनाएं (NDCs) जमा करनी हैं। इन योजनाओं का सामूहिक लक्ष्य तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करना है।

WMO की रिपोर्ट में क्या है?

WMO की रिपोर्ट के मुताबिक:

  1. 2025 से 2029 तक हर साल का औसत वैश्विक तापमान 1850-1900 के मुकाबले 1.2 से 1.9 डिग्री सेल्सियस अधिक होने की उम्मीद है।
  2. इस दौरान कम से कम एक साल में तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक होने की 86 प्रतिशत संभावना है।
  3. पूरे 5 साल के औसत तापमान के 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक होने की 70 प्रतिशत संभावना है।

WMO की उप-महासचिव को बैरेट ने कहा, ‘पिछले 10 साल रिकॉर्ड के सबसे गर्म साल रहे हैं। दुर्भाग्यवश, यह रिपोर्ट आने वाले वर्षों में राहत के कोई संकेत नहीं देती। इसका मतलब है कि हमारी अर्थव्यवस्था, रोज़मर्रा की ज़िंदगी, पारिस्थितिकी तंत्र और ग्रह पर नकारात्मक असर बढ़ेगा।’ उन्होंने जोर देकर कहा कि जलवायु की निरंतर निगरानी और भविष्यवाणी ज़रूरी है, ताकि नीति निर्माताओं को विज्ञान-आधारित जानकारी मिल सके और हम बेहतर अनुकूलन (एडाप्टेशन) कर सकें।

दक्षिण एशिया और भारत में स्थिति

WMO के अनुसार, दक्षिण एशिया में हाल के वर्षों में सामान्य से अधिक बारिश हुई है (2023 को छोड़कर), और यह रुझान 2025-2029 के बीच भी जारी रहने की उम्मीद है, हालांकि कुछ मौसम शुष्क हो सकते हैं। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने बताया कि पिछले 5 वर्षों में से 4 साल भारत में मॉनसून के दौरान सामान्य से अधिक बारिश हुई। IMD ने इस साल भी सामान्य से अधिक मॉनसून बारिश की भविष्यवाणी की है।

आर्कटिक और अन्य क्षेत्रों में असर

रिपोर्ट में कहा गया है कि आर्कटिक में अगले 5 सर्दियों (नवंबर से मार्च) में तापमान वैश्विक औसत से साढ़े तीन गुना तेजी से बढ़ेगा, यानी लगभग 2.4 डिग्री सेल्सियस। बारेंट्स सागर, बेरिंग सागर और ओखोत्स्क सागर जैसे क्षेत्रों में समुद्री बर्फ और कम होगी। 2025-2029 के बीच मई से सितंबर तक साहेल, उत्तरी यूरोप, अलास्का और उत्तरी साइबेरिया में सामान्य से अधिक बारिश की उम्मीद है, जबकि अमेजन क्षेत्र सामान्य से अधिक शुष्क रहेगा।

बचाव के उपाय और सुझाव

जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं:

  1. जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करें: कोयला, तेल और गैस के इस्तेमाल को कम कर सौर, पवन और अन्य नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा दें।
  2. हरित तकनीक अपनाएं: ऊर्जा-कुशल उपकरणों और इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग करें।
  3. वनीकरण और पुनर्वनीकरण: पेड़ लगाकर और जंगलों की रक्षा करके कार्बन उत्सर्जन को कम करें।
  4. जलवायु-अनुकूल नीतियां: सरकारें और संगठन टिकाऊ विकास और कम कार्बन उत्सर्जन वाली नीतियों को लागू करें।
  5. जागरूकता और शिक्षा: लोगों को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों और बचाव के उपायों के बारे में जागरूक करें।

एक अहम चेतावनी है WMO की यह रिपोर्ट

WMO की यह रिपोर्ट चेतावनी है कि अगर समय रहते कदम न उठाए गए, तो जलवायु परिवर्तन के गंभीर परिणाम होंगे। 2025-2029 के बीच तापमान में बढ़ोतरी और मौसम की अनियमितताएं हमारी जिंदगी, अर्थव्यवस्था और पर्यावरण पर गहरा असर डाल सकती हैं। भारत जैसे देशों में, जहां मॉनसून कृषि और अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है, इन बदलावों पर नजर रखना और अनुकूलन करना जरूरी है। सभी देशों को अपनी जलवायु योजनाओं को और मज़बूत करना होगा, ताकि पेरिस समझौते के लक्ष्य को हासिल किया जा सके और हमारी धरती को सुरक्षित रखा जा सके।

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