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विश्व अल्जाइमर दिवस : 60 की उम्र के बाद दिनभर खाली रहते हैं तो हो जाएं सावधान, याददाश्त हो जाती है कमजोर Latest Haryana News

विश्व अल्जाइमर दिवस : 60 की उम्र के बाद दिनभर खाली रहते हैं तो हो जाएं सावधान, याददाश्त हो जाती है कमजोर  Latest Haryana News


हिसार। 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्ग रोजमर्रा की जिंदगी में दिमागी कसरत नहीं कर रहे हैं तो सावधान होने की जरूरत है। उन्हें अल्जाइमर रोग भी हो सकता है। शहर के निजी व सरकारी अस्पतालों में अल्जाइमर से ग्रसित इस आयु वर्ग के हर माह 30-40 रोगी आ रहे हैं। अल्जाइमर एक प्रकार की दिमागी बीमारी है, जिसे हम आम भाषा में भूलने की बीमारी भी कह सकते हैं। 60 वर्ष से अधिक की लगभग 10 प्रतिशत आबादी याददाश्त की कमी से पीड़ित है। याददाश्त की कमी के साथ सोचने व प्रतिदिन के व्यवहार की क्षमता भी प्रभावित हाेती है।

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मनोचिकित्सक डॉ. विनोद डूडी का कहना है कि इस बीमारी का अब तक काेई सटीक इलाज नहीं है, लेकिन जीवनशैली में बदलाव करके कुछ हद तक बीमारी से बचा जा सकता है। नागरिक अस्पताल में ही रोजाना 10 से 12 रोगी इस तरह की शिकायत लेकर ओपीडी में आ रहे हैं। इस रोग के प्रति जागरूक करने के लिए ही हर साल 21 सितंबर को ”विश्व अल्जाइमर दिवस” दिवस मनाया जाता है।

थायराइड व विटामिन बी-12 की कमी के कारण भी हो सकता है रोग

मंथन अस्पताल के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. रमेश वर्मा ने बताया कि ऐसा नहीं है कि यह रोग बुजुर्गों को ही होता है। 15 से 20 फीसदी तक युवाओं में भी पाया जा सकता है। विशेष तौर पर थायराइड से ग्रस्त व विटामिन बी-12 की कमी के कारण भी अल्जाइमर रोग मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव डाल सकता है।

बीमारी के चार चरण

– अल्जाइमर : इस चरण में मरीज के मस्तिष्क में मौजूद एसिटाइलकोलिन तत्व की कमी हो जाती है, जिस कारण हार्मोन के बिगड़ने से व्यक्ति के दिमाग पर असर पड़ना शुरू हो जाता है। धीरे-धीरे याददाश्त कमजोर होने लगती है।

लेवी बाॅडीज : इस चरण में मस्तिष्क के चारों और पाए जाने वाले प्रोटीन का असंतुलन होने लगता है, जिसका प्रभाव रोगी की सोचने, समझने व कार्य करने की क्षमता पड़ता है।

वसेकुलर : इस चरण में मस्तिष्क की धमनियों में खून का प्रवाह कम हो जाता है, जिससे धमनियों में काफी तरह की दिक्कतें शुरू हो जाती हैं। इसका प्रभाव शरीर की हर धमनियों पर पड़ने लगता है।

फ्रंटोटेम्पोरेल : इस चरण में व्यक्ति किसी बाहरी चोट लगने के कारण आता है। यह मस्तिष्क के अंदरूनी भाग में कोई आघात लगने से होता है, जिससे धीरे-धीरे मस्तिष्क काम करना बंद कर देता है।

बीमारी के लक्षण

– मरीज की याददाश्त का कमजोर होना।

– कुछ घंटे बीते समय की बातें याद न रहना।

– जरूरी दस्तावेज या फिर पैसे कहीं रखकर भूलना।

– याददाश्त के साथ भाषा प्रवाह पर भी नकारात्मक असर पड़ना।

बचाव के उपाय

– बुजुर्गों को कभी भी दिमागी तौर पर खाली नहीं बैठना चाहिए।

– पर्याप्त नींद लें, कम से कम 6 से 8 घंटे की।

– अपने शाैक जैसे लेखन, पुस्तकें पढ़ना, संगीत सुनना, गाने गाना, बागवानी, खाना बनाने को नियमित रूप से समय दें।

– रोजाना लूडो, शतरंज जरूर खेलें।

– पार्क में घूमना-फिरना जरूरी है।

– संतुलित आहार व हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन जरूर करना चाहिए।


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