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- Virag Gupta’s Column It Is Important To Understand 5 Aspects Related To YouTube Which Is Surrounded By Controversies
विराग गुप्ता सुप्रीम कोर्ट के वकील
चीनी उत्पादों के वर्चस्व पर चिंता के बीच सीसीटीवी कंपनियों से जासूसी रोकने के लिए कंपनियों को कैमरे का हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर, सोर्स कोड सरकारी लैब में जांच के लिए देना पड़ सकता है। सूचना, संचार और मीडिया में अमेरिकी डिजिटल कंपनियों का कब्जा भी बेहद चिंताजनक है। इसी परिप्रेक्ष्य में विवादों में घिरे यूट्यूब से जुड़े 5 पहलुओं की समझ जरूरी है।
विदेशी कंपनी : भारत में 49 करोड़ यूजर्स वाले यूट्यूब ने 2022-2024 में कंटेंट क्रिएटर्स को 21000 करोड़ रु. से ज्यादा का भुगतान किया। यह प्रिंट या टीवी मीडिया के किसी भी ग्रुप की कुल आमदनी से कई गुना ज्यादा है। केंद्र सरकार के नए नियम के अनुसार विदेशी फंडिंग लेने वाले एनजीओ अखबार नहीं छाप सकते।
लेकिन भारत में सबसे बड़ा मीडिया साम्राज्य स्थापित करने वाले यूट्यूब का टीवी या अखबार जैसा कोई रजिस्ट्रेशन नहीं है। उपभोक्ता अदालत के फैसले के खिलाफ वॉट्सएप ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील में कहा कि भारतीय अदालतों का अमेरिकी कंपनी पर क्षेत्राधिकार नहीं है। यूट्यूब भी अमेरिकी कानून से संचालित होकर भारत की पुलिस और अदालतों के क्षेत्राधिकार से बाहर रहने की कोशिश करता है।
जासूसी : 4 यूट्यूब चैनलों में 41 करोड़ सब्स्क्राइबर्स वाले अमेरिका के मिस्टर बीस्ट के पास टॉम क्रूज और शाहरुख खान से ज्यादा संपत्ति है। यूट्यूब से कमाई को देखकर भारत में भी रील बनाने वालों की बाढ़ आई है। भारत में 15000 यूट्यूब चैनल ऐसे हैं, जिनमें से प्रत्येक के पास 10 लाख से ज्यादा सब्स्क्राइबर्स हैं।
मुनाफे की अंधी दौड़ में इनमें से अनेक आपराधिक और देश-विरोधी गतिविधियों में भी लिप्त रहते हैं। शेयर मार्केट में इन्फ्लुएंसर्स से बढ़ रहे फ्रॉड और फर्जी कंटेंट को रोकने के लिए सेबी ने अनेक निर्देश जारी किए हैं। दिल्ली पुलिस, मेट्रो और रेलवे ने रील बनाने के खिलाफ सख्त निर्देश जारी किए हैं।
गिरफ्तार यूट्यूबर्स की जासूसी से जुड़े मुकदमों में सरकार को अदालत में यह साबित करने में मुश्किल हो सकती है कि सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध जानकारी को विदेश में साझा करने से किस कानून का उल्लंघन हुआ है?
कॉपीराइट : कंटेंट आईडी टूल के माध्यम से कॉपीराइट उल्लंघन का पता चलने पर तीन स्ट्राइक के बाद यूट्यूब खाते पर रोक लग सकती है। एएनआई के साथ विवाद पर यूट्यूबर्स के तीन तर्क हैं। कॉपीराइट कानून में फेयर यूज के अनुसार कम समय की वीडियो क्लिपिंग का इस्तेमाल हो सकता है।
दूसरा, कॉपीराइट के उल्लंघन के मामले में एएनआई उस वीडियो की आमदनी पर दावा कर सकती है। तीसरा, यूट्यूब चैनल पर मनमाने तरीके से रोक लगाना अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला है। अमेरिका में कॉपीराइट उल्लंघन के मामले में यूट्यूब चैनल को ब्लॉक नहीं किया जाता।
यह भी समझना जरूरी है कि गूगल और सोशल मीडिया कंपनियों के सारे एआई प्लेटफॉर्म भारत में जनता और सरकार के डेटा का गैर-कानूनी तरीके से व्यावसायिक इस्तेमाल करके कॉपीराइट कानून को धता बता रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया की तर्ज पर यूट्यूब से हो रही आमदनी में भारत के पब्लिशर्स और सरकार के साथ टेक कंपनियों की रेवेन्यू शेयरिंग क्यों नहीं होनी चाहिए?
टैक्स चोरी : साल 2016 में गूगल इंडिया ने भारत में नंबर एक कंपनी का दर्जा हासिल करने के लिए 4.29 लाख करोड़ की आमदनी का आंकड़ा दिया था। लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट में केंद्र सरकार के हलफनामे के अनुसार गूगल इंडिया 5904 करोड़ की आमदनी पर ही टैक्स देती थी।
विवाद बढ़ने के बाद गूगल ने अगले साल से रैंकिंग वाली कम्पनियों के चार्ट में आमदनी के आंकड़े देना बंद कर दिया। गौरतलब है कि ग्राहक फीस और विज्ञापन के अलावा भारत के 50 करोड़ लोगों के डेटा के कारोबार से अरबों डॉलर कमाने वाली टेक कंपनियां डेटा शेयरिंग के अनुबंधों पर जीएसटी और दूसरे टैक्सों का भुगतान नहीं करतीं।
सरकारी कंटेंट : नेता, अफसर, सरकार और पार्टियों के यूट्यूब चैनल में अमूमन विज्ञापन नहीं होने की वजह से आमदनी नहीं होती। लेकिन ऐसे वीडियोज का इन्फ्लुएंसर और दूसरी कंपनियां इस्तेमाल करके बड़े पैमाने पर आमदनी करती हैं। सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के सीधे प्रसारण के वीडियोज का भी गैर-कानूनी तरीके से व्यावसायिक इस्तेमाल होता है।
यूट्यूब के विदेशी प्लेटफार्म को सरकारी तौर पर बढ़ावा दिया जाना गलत है। एएनआई के बजाय प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो या दूरदर्शन के पास सरकारी वीडियोज और कंटेंट का एकाधिकार हो तो सामरिक सुरक्षा बढ़ने के साथ कॉपीराइट से जुड़े विवादों में कमी आएगी।
आज भारत में लगभग 15000 यूट्यूब चैनल ऐसे हैं, जिनमें से प्रत्येक के पास 10 लाख यानी एक मिलियन से ज्यादा सब्स्क्राइबर्स हैं। मुनाफे की अंधी दौड़ में इनमें से अनेक आपराधिक और देश-विरोधी गतिविधियों में भी लिप्त रहते हैं। (ये लेखक के अपने विचार हैं।)
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विराग गुप्ता का कॉलम: विवादों में घिरे यूट्यूब से जुड़े 5 पहलुओं की समझ जरूरी