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- Virag Gupta’s Column The War Is Over, But The Challenges Of Digital War Are Still There
विराग गुप्ता सुप्रीम कोर्ट के वकील
पाकिस्तान को ड्रोन और हथियार उपलब्ध कराने की वजह से तुर्किये का भारत में विरोध हो रहा है। ट्रम्प भी व्यापार-युद्ध को बढ़ावा देने के साथ अपने कारोबारी हितों को आगे बढ़ा रहे हैं। विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए युद्ध की आपदा में अवसर तलाशने से जुड़े 7 पहलुओं की समझ जरूरी है।
1. क्रिप्टो : ट्रम्प के बेटे और दामाद की 60% हिस्सेदारी वाले वर्ल्ड लिबर्टी फाउंडेशन के साथ पाकिस्तान क्रिप्टो काउंसिल की डील के बाद पाकिस्तान दक्षिण एशिया की क्रिप्टो राजधानी बन सकता है। भारत-पाक के बीच हालिया टकरावों के सूत्रधार जनरल मुनीर की इसमें बड़ी भूमिका बताई जा रही है। अफगानिस्तान दुनिया में ड्रग्स का बड़ा केंद्र है। अब पाकिस्तान में क्रिप्टो के फैलाव से भारतीय उपमहाद्वीप में आतंकवाद, ड्रग्स, हवाला और गैर-कानूनी गतिविधियों में बढ़ोतरी हो सकती है। 2. साइबर हमले : महाराष्ट्र साइबर पुलिस की रिपोर्ट के अनुसार युद्ध के दौरान पाकिस्तान से जुड़े समूहों ने भारत पर 15 लाख से ज्यादा साइबर हमले किए। सीजफायर के बावजूद पाकिस्तान, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, मोरक्को और मध्य पूर्वी देशों से भारत के साइबर ढांचे और वेबसाइट्स पर साइबर हमले जारी हैं। सभी राज्यों की रिपोर्ट जारी हो तो युद्ध के दौरान साइबर हमलों की संख्या करोड़ों में पहुंच सकती है।
3. चीनी कैमरे : भारत के एयर डिफेंस सिस्टम ने पाकिस्तानी ड्रोनों के हमलों को नाकाम किया, जिसमें इसरो के कार्टोसैट और रिसैट सीरीज के उपग्रहों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। निगरानी करने वाले उपग्रहों में रडार इमेजिंग, माइक्रोवेव रिमोट सेंसिंग, अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट (ईओएस) और कार्टोग्राफिक सैटेलाइट होते हैं। इनमें ऑप्टिकल, इन्फ्रारेड, थर्मल और नाइट विजन कैमरों का इस्तेमाल होता है। चीन और दूसरे देशों से आयातित मोबाइल और सीसीटीवी से भारत में जासूसी पर सख्त रोक लगाना जरूरी है। 4. मस्क का स्टारलिंक : मणिपुर में हुई हिंसा की घटनाओं में स्टारलिंक के संचार के इस्तेमाल के सबूत मिले थे। सैटेलाइट इंटरनेट के कारोबार वाली यह ट्रम्प के दोस्त और दुनिया के बड़े उद्योगपति मस्क की कम्पनी है। गृह मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय ने सैटेलाइट इंटरनेट से राष्ट्रीय सुरक्षा के खतरे की ओर कई बार चेतावनी दी है। सुरक्षा सम्बंधी अनेक मानकों का पालन नहीं करने के बावजूद ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत में मस्क के स्टारलिंक को एलओआई मिलने की खबर चौंकाने वाली है। 5. आईफोन : ट्रम्प ने 500 अरब डॉलर की कंपनी एपल के सीईओ टिम कुक से कहा है कि वो भारत के बजाय अमेरिका में आईफोन बनाएं। साल 2024 में एपल ने भारत में लगभग 4 करोड़ आईफोन बनाए, जो एपल के वैश्विक उत्पादन का लगभग 18 फीसदी था। गौरतलब है कि दुनिया की 18 फीसदी आबादी के साथ भारत एपल और दूसरी अमेरिकी कम्पनियों के लिए सबसे बड़ा बाजार भी है। भारत में आईफोन के उत्पादन के बजाय उनकी एसेम्बलिंग ही होती है। एपल जैसी बड़ी कम्पनियों को भारत सरकार से पीएलआई के तहत बड़े पैमाने पर सब्सिडी मिलती है। ट्रम्प के दबाव के बाद स्मार्टफोन के घटकों पर भारत में टैरिफ कम होने से घरेलू उद्योगों को नुकसान हो रहा है। 6. टैक्स : अमेरिका में रहने वाले लगभग 45 लाख भारतीयों ने साल 2023-24 में लगभग 32 अरब डॉलर की रकम भारत भेजी थी। अमेरिका में पेश बिल के अनुसार एच-1-बी वीजा और ग्रीन कार्ड होल्डर वाले गैर-नागरिकों को भारत में पैसे भेजने पर 5 फीसदी का अतिरिक्त टैक्स देना पड़ सकता है। दूसरी तरफ ट्रम्प के दबाव की वजह से भारत में टेक कम्पनियों पर दस सालों से लगाया जा रहा 6 फीसदी गूगल टैक्स खत्म हो गया है। फेसबुक, गूगल, यूट्यूब, वॉट्सएप, एपल जैसी कम्पनियां भारत में खरबों डॉलर का कारोबार करती हैं। लेकिन मुख्य कम्पनी का स्थायी ऑफिस भारत में नहीं होने की तकनीकी आड़ में टेक कम्पनियां बड़े मुनाफे में कोई टैक्स नहीं देतीं। 7. व्यापार-युद्ध : आपदा में अवसर देखते हुए ट्रम्प के व्यापारिक दबाव की काट में भारत को भी अमेरिकी टेक कम्पनियों से कम्पनी कानून, जीएसटी और आयकर कानून के अनुसार टैक्स की पूरी वसूली करनी चाहिए। डेटा सुरक्षा कानून लागू हो तो सुरक्षित संचार प्रणाली के विकास के साथ विदेशों से बढ़ रहे साइबर हमले और अपराध कम होंगे। विदेशी कंपनियों से टैक्स वसूली से स्वदेशी उद्योगों का विकास, युवाओं को रोजगार, सरकारी खजाने में बढ़ोतरी से विकास कार्यों के लिए वित्तपोषण के साथ आर्थिक विषमता भी कम होगी।
महाराष्ट्र साइबर पुलिस की रिपोर्ट के अनुसार युद्ध के दौरान पाकिस्तान से जुड़े समूहों ने भारत पर 15 लाख से ज्यादा साइबर हमले किए। सीजफायर के बावजूद भारत के साइबर ढांचे और वेबसाइट्स पर साइबर हमले जारी हैं। (ये लेखक के अपने विचार हैं।)
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विराग गुप्ता का कॉलम: युद्ध थमा, पर डिजिटल-युद्ध की चुनौतियां अभी बाकी हैं