विभाग सतर्क, 600 पशुओं में दिख रहे लंपी के लक्षण


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पशुओं में फैल रहे लंपी वायरस को लेकर जहां पशु पालकों में भय बना हुआ है, तो वहीं पशु पालन विभाग में हड़कंप मचा है। हालांकि इसे रोकने के लिए पशु पालक से लेकर विभाग के अस्पतालों में तैनात पशु चिकित्सक भी भरसक प्रयासों में जुटे हैं, लेकिन जिला में आज भी करीब 600 पशु लंपी वायरस से ग्रस्त माने जा रहे हैं। अब यह वायरस अब बेसहारा पशुओं में भी दिखाई देने लगा है। थानेसर व पिहोवा में कई बेसहारा पशुुओं में ये लक्षण दिखाई दिए हैं। पशुओं के झुंड में रहने से यह वायरस और भी फैलने की आशंका बनी हुई है।
थानेसर रेलवे रोड पर घूम रहे कुछ गोवंश के शरीर में गांठें बनी थी, जिनमें जख्म भी बन चुके हैं, जिस कारण यह बीमारी दूसरों गोवंश में भी पहुंच सकती है। वहीं पिहोवा में सरस्वती तीर्थ और सरस्वती चौक पर दो गोवंश में इस बीमारी के लक्षण दिखे। अब यह गोवंश गली-गली और सड़क पर घूमकर अन्य गोवंश को भी संक्रमित कर रहे हैं, जो बेहद चिंतनीय है।
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भेजे सैंपल की रिपोर्ट का इंतजार
पशुपालन एवं डेयरी विभाग ने पूरे जिले से 22 संदिग्ध गोवंश के सैंपल जांच के लिए जालंधर भेजे हैं, जहां से इन्हें भोपाल स्थित लैब भेजा गया है। अधिकारियों की मानें तो अभी करीब 15 दिन और रिपोर्ट का इंतजार करना होगा। पूरे देश में यह एकमात्र लैब हैं, जहां इस वायरस की जांच की जाती है।
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अब तक मिल चुके 2800 संदिग्ध पशु
अभी तक जिला भर में इस वायरस से संदिग्ध संक्रमित पशुओं की संख्या 2800 हैं। जिनमें से 2200 पशु ठीक भी हो चुके हैं। लेकिन अभी भी करीब 600 पशु ऐसे बचे हैं, जिनमें इस वायरस के लक्षण दिख रहे हैं। पशु चिकित्सकों की मानें तो करीब 99 फीसदी रिकवरी हो रही है। जिला में 49 पशु अस्पताल है तो 72 डिस्पेंसरी है, जहां 40 सर्जन व 36 वीएलडीए तैनात है।
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आठ हजार एमएल वैक्सीन पहुंची, बनाए जांएगे जोन
पशु पालन विभाग के चिकित्सक डॉ. जसबीर सिंह का कहना है कि विभाग के पास आठ हजार एमएल गाटेफोक्स वैक्सीन आ चुकी है, जिनका सुरक्षित एरिया में छिड़काव किया जाना है। यह छिड़काव उन गांव व क्षेत्रों में किया जाना है, जहां अभी कोई संदिग्ध पशु नहीं मिला है, ताकि यह बीमारी आगे न बढ़े। इसके लिए पूरे जिला में जोन बनाए जा रहे हैं।
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पशु पालन विभाग जारी कर चुका एडवाइजरी
इस वायरस के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए प्रशासन ने पशुपालकों को अलर्ट रहने की एडवाइजरी जारी की है। पशुपालक इन दिनों गोवंश को सड़क पर बेसहारा न छोड़े और संक्रमित पशु का दूध भी न बेचें। पशुपालन विभाग की ओर से अपने-अपने क्षेत्र में डेयरियों में भी जाकर संचालकों को जागरूक किया जा रहा है तो वहीं चिकित्सक भी लगातार निगरानी कर रहे हैं।
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पशु पालकों को घबराने की जरूरत नहीं : डॉ. धर्मेंद्र
पशु पालन विभाग के उपनिदेशक डॉ. धर्मेंद्र का कहना है कि पशु पालकों को इस बीमारी के चलते घबराने की जरूरत नहीं है। संदिग्ध पशु को अन्य पशुओं से अलग रखें और किसी प्रकार की बीमारी की आशंका होने पर तत्काल पशु चिकित्सक से संपर्क करें। विभाग की ओर से पूरी सतर्कता बरती जा रही है। पशुपालकों व डेयरी संचालकों को लगातार जागरूक किया जा रहा है। बेसहारा पशुओं को लेकर स्थानीय निकाय की प्रबंध करने की जिम्मेदारी है।

पशुओं में फैल रहे लंपी वायरस को लेकर जहां पशु पालकों में भय बना हुआ है, तो वहीं पशु पालन विभाग में हड़कंप मचा है। हालांकि इसे रोकने के लिए पशु पालक से लेकर विभाग के अस्पतालों में तैनात पशु चिकित्सक भी भरसक प्रयासों में जुटे हैं, लेकिन जिला में आज भी करीब 600 पशु लंपी वायरस से ग्रस्त माने जा रहे हैं। अब यह वायरस अब बेसहारा पशुओं में भी दिखाई देने लगा है। थानेसर व पिहोवा में कई बेसहारा पशुुओं में ये लक्षण दिखाई दिए हैं। पशुओं के झुंड में रहने से यह वायरस और भी फैलने की आशंका बनी हुई है।

थानेसर रेलवे रोड पर घूम रहे कुछ गोवंश के शरीर में गांठें बनी थी, जिनमें जख्म भी बन चुके हैं, जिस कारण यह बीमारी दूसरों गोवंश में भी पहुंच सकती है। वहीं पिहोवा में सरस्वती तीर्थ और सरस्वती चौक पर दो गोवंश में इस बीमारी के लक्षण दिखे। अब यह गोवंश गली-गली और सड़क पर घूमकर अन्य गोवंश को भी संक्रमित कर रहे हैं, जो बेहद चिंतनीय है।

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भेजे सैंपल की रिपोर्ट का इंतजार

पशुपालन एवं डेयरी विभाग ने पूरे जिले से 22 संदिग्ध गोवंश के सैंपल जांच के लिए जालंधर भेजे हैं, जहां से इन्हें भोपाल स्थित लैब भेजा गया है। अधिकारियों की मानें तो अभी करीब 15 दिन और रिपोर्ट का इंतजार करना होगा। पूरे देश में यह एकमात्र लैब हैं, जहां इस वायरस की जांच की जाती है।

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अब तक मिल चुके 2800 संदिग्ध पशु

अभी तक जिला भर में इस वायरस से संदिग्ध संक्रमित पशुओं की संख्या 2800 हैं। जिनमें से 2200 पशु ठीक भी हो चुके हैं। लेकिन अभी भी करीब 600 पशु ऐसे बचे हैं, जिनमें इस वायरस के लक्षण दिख रहे हैं। पशु चिकित्सकों की मानें तो करीब 99 फीसदी रिकवरी हो रही है। जिला में 49 पशु अस्पताल है तो 72 डिस्पेंसरी है, जहां 40 सर्जन व 36 वीएलडीए तैनात है।

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आठ हजार एमएल वैक्सीन पहुंची, बनाए जांएगे जोन

पशु पालन विभाग के चिकित्सक डॉ. जसबीर सिंह का कहना है कि विभाग के पास आठ हजार एमएल गाटेफोक्स वैक्सीन आ चुकी है, जिनका सुरक्षित एरिया में छिड़काव किया जाना है। यह छिड़काव उन गांव व क्षेत्रों में किया जाना है, जहां अभी कोई संदिग्ध पशु नहीं मिला है, ताकि यह बीमारी आगे न बढ़े। इसके लिए पूरे जिला में जोन बनाए जा रहे हैं।

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पशु पालन विभाग जारी कर चुका एडवाइजरी

इस वायरस के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए प्रशासन ने पशुपालकों को अलर्ट रहने की एडवाइजरी जारी की है। पशुपालक इन दिनों गोवंश को सड़क पर बेसहारा न छोड़े और संक्रमित पशु का दूध भी न बेचें। पशुपालन विभाग की ओर से अपने-अपने क्षेत्र में डेयरियों में भी जाकर संचालकों को जागरूक किया जा रहा है तो वहीं चिकित्सक भी लगातार निगरानी कर रहे हैं।

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पशु पालकों को घबराने की जरूरत नहीं : डॉ. धर्मेंद्र

पशु पालन विभाग के उपनिदेशक डॉ. धर्मेंद्र का कहना है कि पशु पालकों को इस बीमारी के चलते घबराने की जरूरत नहीं है। संदिग्ध पशु को अन्य पशुओं से अलग रखें और किसी प्रकार की बीमारी की आशंका होने पर तत्काल पशु चिकित्सक से संपर्क करें। विभाग की ओर से पूरी सतर्कता बरती जा रही है। पशुपालकों व डेयरी संचालकों को लगातार जागरूक किया जा रहा है। बेसहारा पशुओं को लेकर स्थानीय निकाय की प्रबंध करने की जिम्मेदारी है।

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