विधानसभा में उठा एलिवेटेड ट्रैक प्रोजेक्ट पर संकट का मुद्दा


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कैथल। अमर उजाला द्वारा उठाए गए एलिवेटेड ट्रैक प्रोजेक्ट पर संकट संबंधी मुद्दा बुधवार को विधानसभा में उठा। विधायक लीला राम ने अमर उजाला में इस संदर्भ में प्रकाशित खबर का जिक्र करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा घोषित एलिवेटेड ट्रैक परियोजना लटकी हुई है और इसके लिए प्रशासनिक अफसरों की लापरवाही जिम्मेवार है।
उन्होंने कहा कि जिस प्रोजेक्ट को सीएम द्वारा घोषित किया है, उसे आखिरकार क्यों लटकाया जा रहा है। इसी प्रकार से ग्योंग ड्रेन का मुद्दा उठाते हुए विधायक ने अधिकारियों की शिकायत की। उन्होंने कहा कि सीएम ने ग्योंग ड्रेन को कवर करने की घोषणा की थी। यहां लोग ड्रेन में गिरने से चोटिल हो रहे हैं। पशु इसमें गिरकर मर रहे हैं, लोग नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं लेकिन अधिकारी इस प्रोजेक्ट को ‘नॉट फिजिबल’ बताकर रिजेक्ट कर रहे हैं, जो सही नहीं है।
उन्होंने कहा कि सिंचाई विभाग के अफसरों ने तो कमाल ही कर दिया। उन्होंने क्योड़क से कैथल तक ड्रेन के सहारे बनने वाली सड़क को उनके गांव उझाना क्षेत्र में यह कहकर रोक दिया कि इसकी मंजूरी नहीं है। विधायक ने कहा कि जब किसी सड़क के दोनों सिरों की मंजूरी मिल जाए तो क्या यह संभव है कि बीच में से उसकी अनुमति न मिले। सिंचाई विभाग के अफसर इस काम को करने में लापरवाही बरत रहे हैं जबकि यह काम सीएम ने मनोहर लाल ने स्वीकृत किया है।
अमर उजाला से बातचीत में विधायक ने कहा कि सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने हैरान कर देने वाला तर्क दिया है। इसी प्रकार से एलिवेटेड ट्रैक व ग्योंग ड्रेन पर अधिकारियों का रवैया हैरानी वाला है जबकि मुख्यमंत्री बिना किसी भेदभाव के सार्वजनिक कार्यों की मंजूरी दे रहे हैं। सीएम ने उनके एक ही आग्रह पर अलग-अलग प्रोजेक्ट मंजूर किए हैं लेकिन न जाने अधिकारी इन्हें पूरा क्यों नहीं करते। विधानसभा में उन्होंने ये सभी मुद्दे उठाए हैं। सरकार ने आश्वासन दिया है कि इन परियोजनाओं पर जल्द काम शुरू होगा।
प्रदेश सरकार ने 194 करोड़ रुपये का बजट प्रस्तावित किया था
गौरतलब है कि रोहतक व कुरुक्षेत्र के बाद कैथल में प्रदेश का तीसरा एलिवेटेड ट्रैक का निर्माण किया जाना है। इसके लिए रेलवे की स्वीकृति के बाद प्रदेश सरकार ने भी 194 करोड़ रुपये के बजट प्रस्तावित किया गया है। इसके बावजूद रेलवे के अधिकारियों ने राज्य सरकार को दो रेलवे ओवरब्रिज व रेलवे अंडरपास बनाने की सिफारिश की है। इस पर राज्य सरकार पर फैसला लेने के लिए आग्रह किया था।
कैथल में चार किलोमीटर तक रेलवे एलिवेटेड ट्रैक का निर्माण करने का प्राविधान किया गया है। यह ट्रैक जींद रोड स्थित आरओबी से शुरू होकर गांव ग्योंग के रेलवे स्टेशन से पहले आने वाल फाटक तक बनाने का प्रस्तावित है। इसके डेढ़ किलोमीटर की चढ़ाई, डेढ़ किलोमीटर की ऊंचाई और डेढ़ किलोमीटर नीचे उतरते समय होगा। जबकि शहर के करनाल रोड पर स्थित फाटक से यह बिल्कुल ऊपर उठा हुआ होगा। यहां पर पास में स्थित नया कैथल रेलवे स्टेशन हाल्ट को ऊंचा उठाए जाने की योजना बनाई गई है।

कैथल। अमर उजाला द्वारा उठाए गए एलिवेटेड ट्रैक प्रोजेक्ट पर संकट संबंधी मुद्दा बुधवार को विधानसभा में उठा। विधायक लीला राम ने अमर उजाला में इस संदर्भ में प्रकाशित खबर का जिक्र करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा घोषित एलिवेटेड ट्रैक परियोजना लटकी हुई है और इसके लिए प्रशासनिक अफसरों की लापरवाही जिम्मेवार है।

उन्होंने कहा कि जिस प्रोजेक्ट को सीएम द्वारा घोषित किया है, उसे आखिरकार क्यों लटकाया जा रहा है। इसी प्रकार से ग्योंग ड्रेन का मुद्दा उठाते हुए विधायक ने अधिकारियों की शिकायत की। उन्होंने कहा कि सीएम ने ग्योंग ड्रेन को कवर करने की घोषणा की थी। यहां लोग ड्रेन में गिरने से चोटिल हो रहे हैं। पशु इसमें गिरकर मर रहे हैं, लोग नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं लेकिन अधिकारी इस प्रोजेक्ट को ‘नॉट फिजिबल’ बताकर रिजेक्ट कर रहे हैं, जो सही नहीं है।

उन्होंने कहा कि सिंचाई विभाग के अफसरों ने तो कमाल ही कर दिया। उन्होंने क्योड़क से कैथल तक ड्रेन के सहारे बनने वाली सड़क को उनके गांव उझाना क्षेत्र में यह कहकर रोक दिया कि इसकी मंजूरी नहीं है। विधायक ने कहा कि जब किसी सड़क के दोनों सिरों की मंजूरी मिल जाए तो क्या यह संभव है कि बीच में से उसकी अनुमति न मिले। सिंचाई विभाग के अफसर इस काम को करने में लापरवाही बरत रहे हैं जबकि यह काम सीएम ने मनोहर लाल ने स्वीकृत किया है।

अमर उजाला से बातचीत में विधायक ने कहा कि सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने हैरान कर देने वाला तर्क दिया है। इसी प्रकार से एलिवेटेड ट्रैक व ग्योंग ड्रेन पर अधिकारियों का रवैया हैरानी वाला है जबकि मुख्यमंत्री बिना किसी भेदभाव के सार्वजनिक कार्यों की मंजूरी दे रहे हैं। सीएम ने उनके एक ही आग्रह पर अलग-अलग प्रोजेक्ट मंजूर किए हैं लेकिन न जाने अधिकारी इन्हें पूरा क्यों नहीं करते। विधानसभा में उन्होंने ये सभी मुद्दे उठाए हैं। सरकार ने आश्वासन दिया है कि इन परियोजनाओं पर जल्द काम शुरू होगा।

प्रदेश सरकार ने 194 करोड़ रुपये का बजट प्रस्तावित किया था

गौरतलब है कि रोहतक व कुरुक्षेत्र के बाद कैथल में प्रदेश का तीसरा एलिवेटेड ट्रैक का निर्माण किया जाना है। इसके लिए रेलवे की स्वीकृति के बाद प्रदेश सरकार ने भी 194 करोड़ रुपये के बजट प्रस्तावित किया गया है। इसके बावजूद रेलवे के अधिकारियों ने राज्य सरकार को दो रेलवे ओवरब्रिज व रेलवे अंडरपास बनाने की सिफारिश की है। इस पर राज्य सरकार पर फैसला लेने के लिए आग्रह किया था।

कैथल में चार किलोमीटर तक रेलवे एलिवेटेड ट्रैक का निर्माण करने का प्राविधान किया गया है। यह ट्रैक जींद रोड स्थित आरओबी से शुरू होकर गांव ग्योंग के रेलवे स्टेशन से पहले आने वाल फाटक तक बनाने का प्रस्तावित है। इसके डेढ़ किलोमीटर की चढ़ाई, डेढ़ किलोमीटर की ऊंचाई और डेढ़ किलोमीटर नीचे उतरते समय होगा। जबकि शहर के करनाल रोड पर स्थित फाटक से यह बिल्कुल ऊपर उठा हुआ होगा। यहां पर पास में स्थित नया कैथल रेलवे स्टेशन हाल्ट को ऊंचा उठाए जाने की योजना बनाई गई है।

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