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FPI Data: क्या विदेशी निवेशकों ने ठान लिया है कि वो भारतीय शेयर बाजार को बर्बाद कर ही दम लेंगे? आखिर उनकी मंसा क्या है? न तो भारतीय इकोनॉमी मंदी की चपेट में आ गई है, न ही कंपनियों की बुरी स्थिति हो गई है। लेकिन वो लगातार भारतीय बाजार से पैसा निकालना नहीं छोड़ रहे हैं। इसका असर शेयर बाजार पर दिखाई दे रहा है। घरेलू निवेशकों के दम पर बाजार क्रैश तो नहीं हुआ लेकिन लाखों करोड़ रुपये निवेशकों के डूब गए हैं।
31,575 करोड़ रुपये निकाले
आपको बता दें कि अमेरिका द्वारा भारत समेत कई देशों पर लगाए गए टैरिफ की आशंकाओं के चलते विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने अप्रैल माह में अबतक भारतीय शेयर बाजारों से 31,575 करोड़ रुपये की बड़ी निकासी की है। डिपॉजिटरी आंकड़ों के मुताबिक, 1 अप्रैल से 11 अप्रैल, 2025 के बीच एफपीआई द्वारा की गई यह निकासी की गई। इसके चलते 2025 में अबतक कुल एफपीआई निकासी बढ़ाकर 1.48 लाख करोड़ रुपये हो गई है। इससे पहले मार्च के अंतिम सप्ताह (21 से 28 मार्च) में छह कारोबारी सत्रों के दौरान एफपीआई ने 30,927 करोड़ रुपये का निवेश किया था, जिससे मार्च महीने में कुल निकासी घटकर 3,973 करोड़ रुपये रह गई थी। यह आंकड़े वैश्विक वित्तीय बाजारों में अस्थिरता और तेजी से बदलते आर्थिक परिदृश्य को दर्शाते हैं, जिसने निवेशकों की धारणा को प्रभावित किया है।

मार्केट एक्सपर्ट का क्या कहना है?
जियोजीत इन्वेस्टमेंट के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि अमेरिका के शुल्कों के जवाब में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लिए गए निर्णयों ने वैश्विक बाजारों में भारी उथल-पुथल मचा दी है। इसका असर भारत में एफपीआई निवेश पर भी पड़ा है। हालांकि, जैसे ही यह अनिश्चितता कम होगी, एफपीआई रणनीति में स्पष्टता आएगी। उन्होंने आगे कहा कि मध्यम अवधि में एफपीआई भारत में दोबारा खरीदार बन सकते हैं, क्योंकि अमेरिका और चीन दोनों व्यापारिक तनाव के कारण आर्थिक सुस्ती की ओर बढ़ रहे हैं। इसके विपरीत, भारत अगले वित्त वर्ष 2025-26 में छह प्रतिशत की विकास दर दर्ज कर सकता है।
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विदेशी निवेशक क्या बर्बाद करने पर ही तुले? भारतीय शेयर बाजारों से फिर निकाले इतने हजार करोड़ – India TV Hindi