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वन्स इन अ व्हाइल केस’ होता है Vaccine Derived Polio, जानें कितना खतरनाक Health Updates

वन्स इन अ व्हाइल केस’ होता है Vaccine Derived Polio, जानें कितना खतरनाक Health Updates

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Vaccine Derived Polio : पोलियो मुक्त भारत में 10 साल बाद फिर से पोलियो का केस मिला है. मेघालय में वैक्सीन डिराइव्ड पोलियो का एक केस मिलने से अफरा-तफरी मच गई है. दरअसल, पोल‍िया वैक्‍सीन सेहत के ल‍िए सुरक्ष‍ित मानी जाती है. मेघालय में 2 साल के बच्‍चे में पोल‍ियो वायरस के मॉड‍िफाइड स्‍ट्रेन से इंफेक्‍शन मिला है, जो रेयर केस है. इससे डर ज्यादा बढ़ गया है. हालांकि, स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि इसमें घबराने की बात नहीं है लेकिन लोगों के मन में कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. ऐसे में आइए जानते हैं वैक्सीन डिराइव्ड पोलियो के बारें में हर डिटेल्स…  

वैक्सीन डिराइव्ड पोलियो क्या है

वैक्सीन डिराइव्ड पोलियो (Vaccine Derived Polio Virus) इंफेक्शन पोलियो की वैक्सीन में मौजूद वायरस क कमजोर स्ट्रेन से होता है. इसे ही वैक्सीन डिराइव्ड पोलियो कहा जाता है. यह ‘वन्स इन अ व्हाइल केस’ है, जिसका सबसे ज्यादा खतरा उन बच्चों को होता है, जिनकी इम्यूनिटी कमजोर होती है. जब ओरल वैक्सीन का वायरस बॉडी में म्यूटेट होकर इंफेक्‍शन फैलाता है, तब ऐसा होता है. अगर यह इंफेक्शन बच्चों में बढ़ने लगे तो खाने पीने की चीजें या स्टूल के जरिए दूसरों में भी फैल सकते हैं.

वैक्सीन डिराइव्ड पोलियो का कारण

वैक्‍सीन ड‍िराइव्‍ड पोल‍ियो तब होता है, जब वैक्सीन में इस्‍तेमाल होने वाला कमजोर वायरस म्यूटेट हो जाता है और फैलने की क्षमता बना लेता है. जब किसी एरिया में वैक्सीनेशन कम होती है तो यह कमजजोर वायरस म्यूटेट होकर बाकी लोगों में फैल सकता है. कमजोर इम्यूनिटी वालों में यह वायरस ज्यादा समय तक रह सकता है. इसके अलावा पोषण की कमी, गंदगी या खराब पानी की वजह से भी यह वायरस फैल सकता है.

वैक्‍सीन ड‍िराइव्‍ड पोल‍ियो के लक्षण

1. पोलियो होने पर बच्चों की मांसपेश‍ियों में कमजोरी हो सकती है.

2. बच्चों को चलने में परेशानी आ सकती है.

3. क‍ोई अंग पैरालिसिस हो सकता है.

वैक्‍सीन ड‍िराइव्‍ड पोल‍ियो का इलाज

वैक्‍सीन ड‍िराइव्‍ड पोल‍ियो का लक्षण नजर आते ही तुरंत डॉक्टर के पास बच्चे को लेकर जाना चाहिए. डॉक्‍टर स्टूल और थ्रोट स्वाब की मदद से इसकी जांच करते हैं. इसके लिए फिजिकल थेरेपी की मदद भी ली जाती है. मांसपेशियों में दर्द को दूर करने के लिए पेनकिलर का इस्तेमाल किया जाता है. कुछ केस में इम्युनोग्लोबुलिन थेरेपी भी काम आ सकती है. इससे इम्‍यून‍िटी मजबूत होती है. किसी बच्चे में इस इंफेक्शन की पुष्टि होने पर तुरंत मेडिकल ट्रीटमेंट के लिए ले जाना चाहिए. समय पर सही इलाज से उसकी सेहत को बेहतर बना सकते हैं.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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