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वजन घटाने के चक्कर में कहीं खुद को कैंसर के मुंह में तो नहीं डाल रहे आप? Health Updates

वजन घटाने के चक्कर में कहीं खुद को कैंसर के मुंह में तो नहीं डाल रहे आप? Health Updates

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Keto Diet Side Effects : वजन बढ़ना सेहत के लिए खतरनाक माना जाता है. इससे कई बीमारियों का जोखिम होता है. वेट लॉस करने के लिए लोग तमाम तरह के उपाय करते हैं. कुछ उपाय जानलेवा बीमारियों का कारण बन सकते हैं. एक नई स्टडी में चेतावनी दी गई है कि वजन घटाने वाली डाइट कीटो (Keto Diet) कोलन कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकता है, यह बीमारी युवाओं में तेजी से बढ़ रही है. नेचर जर्नल में पब्लिश कनाडाई रिसर्चर के एक ग्रुप की ओर से की गई इस स्टडी में अतिरिक्त चर्बी या वजन से छुटकारा पाने के लिए कीटो जैसे लो कार्ब्स डाइट को लेकर आगाह किया है. 

लो कार्ब्स डाइट के नुकसान

स्टडी के अनुसार, लो कार्ब्स डाइट आंत (Intestine) में कोलोरेक्टल कैंसर से जुड़े टॉक्सिक चीजों को बढ़ा सकते हैं. लो कार्ब डाइट से मेटाबॉलिज्म को फायदा होता है और माना जाता है कि यह एनर्जी को खर्च करने को बढ़ाता है, जिससे वजन कम करने में ज्यादा मदद मिलती है. कई लो कार्ब डाइट प्रोटीन में भी हाई होते हैं, जो भूख को कम कर सकते हैं और मेटाबॉलिज्म को बढ़ावा दे सकते हैं.

कम कार्ब्स लेना है खतरनाक

नई स्टडी में शोधकर्ताओं ने कम मात्रा में कार्ब के सेवन के साइड इफेक्ट्स को बताया है. इससे बॉडी में मौजूद ई कोली बैक्टीरिया स्ट्रेन कोलीबैक्टिन नाम के जहर का प्रोडक्शन कर सकता है, जिससे कोलन में पॉलीप्स असामान्य तौर पर बढ़ सकता है, जो ट्यूमर का कारण बन सकता है. चूहों पर किए गए अध्ययन से पता चलता है कि कैसे आहार से कार्बोहाइड्रेट को पूरी तरह से हटाना कोलन कैंसर (Colon Cancer) के रिस्क को बढ़ा सकता है. हालांकि, यह भी कहा है कि अभी इसे लेकर इंसानों पर अध्ययन की जरूरत है.

क्या कहती है स्टडी

अध्ययन के लिए, शोधकर्ताओं ने बैक्टेरॉइड्स फ्रैगिलिस, हेलिकोबैक्टर हेपेटिकस या ई कोली स्ट्रेन NC101 बैक्टीरिया से पहले से प्रभावित चूहों का विश्लेषण किया। बैक्टेरॉइड्स फ्रैगिलिस एक जहर पैदान करता है जो कोलन में सूजन और टिश्यू के नुकसान का कारण बनता है, जो कोलन कैंसर में बढ़ावा देता है. इसी तरह, अध्ययनों से पता चलता है कि हेलिकोबैक्टर हेपेटिकस इंसानों में कोलन कैंसर को बढ़ाने और उसे जानलेवा बना सकता है.

बैक्टेरॉइड्स फ्रैगिलिस और हेलिकोबैक्टर हेपेटिकस दोनों ही इंसानों में कोलन में पहले से ही मौजूद होते हैं. अध्ययन के अनुसार, ई कोली स्ट्रेन NC101 कोलोरेक्टल कैंसर के करीब 60 प्रतिशत मामलों में पाया गया है. यह स्वाभाविक रूप से आंतों में पाया जाता है और फूड्स कंपाउंड्स को तोड़ने और विटामिन बनाने में मदद करता है.  

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लो कार्ब डाइट से नुकसान

चूहों को या तो संतुलित, कम कार्ब या वेस्टर्न कल्चर की डाइट दी गई. ई. कोली NC101 से संक्रमित और कम कार्ब वाला आहार खिलाए गए चूहों में कोलीबैक्टिन नाम का जहरीला कंपाउंड पाया गया, जो कोलन सेल DNA को नुकसान पहुंचाता है और पॉलीप्स बनाने में मदद करता है. शोधकर्ताओं की टीम ने यह भी पाया कि लो कार्ब डाइट वाले चूहों के ग्रुप में दूसरों की तुलना में रंग में पतली आंत की बलगम परत थी. ठोस बलगम परत न होने का मतलब यह हो सकता है कि ज्यादा कोलीबैक्टिन कोलन कोशिकाओं तक पहुंच सकता है, जिससे जेनेटिक तौर पर नुकसान पहुंच सकता है और कैंसर ट्यूमर को बढ़ावा दे सकता है.

बहुत ज़्यादा कार्बोहाइड्रेट खाने से क्या होगा

बहुत ज़्यादा कार्बोहाइड्रेट खाने से सेहत को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है. इससे वजन बढ़ने, ब्लड शुगर लेवल बढ़ने और टाइप 2 डायबिटीज का रिस्क होता है. अत्यधिक कार्बोहाइड्रेट का सेवन, खासकर से व्हाइट ब्रेड और मीठे स्नैक्स खाने से इंसुलिन रेजिस्टेंस, सूजन और खराब गट हेल्थ को बढ़ावा दे सकता है. इससे हार्ट को भी नुकसान पहुंच सकता है और मेटाबॉलिज्म में भी दिक्कतें आ सकती हैं. बहुत ज्यादा कार्ब्स भी कुछ कैंसर को बढ़ावा दे सकते हैं. इसेक अलावा कार्बोहाइड्रेट से भरपूर चीजें खाने से एनर्जी की कमी, क्रेविंग और पाचन से जुड़ी समस्याएं जैसे सूजन, गैस हो सकती हैं.

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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