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लाल सागर में 4 दिन से जल रहा जहाज: ग्रीस के ऑयल कंटनेर पर हूतियों ने किया था हमला; अब तेल के रिसाव का खतरा Today World News

लाल सागर में 4 दिन से जल रहा जहाज:  ग्रीस के ऑयल कंटनेर पर हूतियों ने किया था हमला; अब तेल के रिसाव का खतरा Today World News

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25 मिनट पहले

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जहाज के मुख्य डेक पर पांच जगह आग लगी हुई है।

लाल सागर में ग्रीस के एक जहाज पर चार दिन से आग लगी हुई है। इस जहाज पर गुरुवार को यमन के हूती विद्रोहियों ने हमला किया था। इसके बाद जहाज पर आग लग गई थी, जिसे अभी तक नहीं बुझाया जा सका है।

लाल सागर में यूरोपियन यूनियन की नौसेना के एस्पाइड्स मिशन ने सोमवार को सोशल मीडिया पोस्ट पर यह जानकारी दी।

एस्पाइड्स मिशन टीम ने जहाज के डेक से धुआं निकलते हुए फोटो शेयर की है। जहाज के मुख्य डेक पर पांच जगह आग लगी हुई है। इसके अलावा, जहाज के सुपरस्ट्रक्चर का एक हिस्सा भी आग की चपेट में है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, जहाज पर 1.5 लाख टन क्रूड ऑयल है। जहाज के क्षतिग्रस्त होने से तेल रिसाव हो सकता है, जिससे पर्यावरण को भी खतरा है। फिलहाल जहाज से तेल लीक होने की कोई सूचना नहीं है।

हूती विद्रोहियों ने गुरुवार को इस हमले की जिम्मेदारी ली थी। ईरान से जुड़े हूती विद्रोहियों का एक समूह, इजराइल – हमास के बीच जारी जंग में फिलीस्तिनियों के समर्थन में हमले कर रहा है। वह इजराइल पर युद्ध रोकने का दबाव बना रहा है।

यमन के हूती विद्रोही इजराइल पर युद्ध को खत्म करने का दबाव बना रहे हैं।

यमन के हूती विद्रोही इजराइल पर युद्ध को खत्म करने का दबाव बना रहे हैं।

हूती विद्रोही लाल सागर में 100 से ज्यादा हमले कर चुके हैं
पिछले कुछ महीनों में हूती विद्रोहियों ने लाल सागर और उसके आसपास 100 से ज्यादा हमले किए हैं।

इन हमलों से बचने के लिए नवंबर से दुनियाभर के कॉमर्शियल जहाज लाल सागर के बदले अफ्रीका से होते हुए गुजर रहे हैं। इसके साथ ही हूती विद्रोही हिंद महासागर में भी हमले कर रहे हैं।

हूती विद्रोहियों ने जून में यूएन एजेंसी से जुड़े 9 लोगों को बंधक भी बना लिया था। बंधक बनाए गए लोगों में यूएन ह्यूमन राइट्स एजेंसी, वर्ल्ड फूड प्रोग्राम के स्टाफ और यूएन के स्पेशल एम्बेसडर के कार्यालय में काम करने वाला एक व्यक्ति भी शामिल था।

कौन हैं हूती विद्रोही

  • साल 2014 में यमन में गृह युद्ध शुरू हुआ। इसकी जड़ शिया-सुन्नी विवाद है। कार्नेजी मिडिल ईस्ट सेंटर की रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों समुदायों में हमेशा से विवाद था जो 2011 में अरब क्रांति की शुरुआत से गृह युद्ध में बदल गया। 2014 में शिया विद्रोहियों ने सुन्नी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।
  • इस सरकार का नेतृत्व राष्ट्रपति अब्दरब्बू मंसूर हादी कर रहे थे। हादी ने अरब क्रांति के बाद लंबे समय से सत्ता पर काबिज पूर्व राष्ट्रपति अली अब्दुल्ला सालेह से फरवरी 2012 में सत्ता छीनी थी। हादी देश में बदलाव के बीच स्थिरता लाने के लिए जूझ रहे थे। उसी समय सेना दो फाड़ हो गई और अलगाववादी हूती दक्षिण में लामबंद हो गए।
  • अरब देशों में दबदबा बनाने की होड़ में ईरान और सऊदी अरब भी इस गृह युद्ध में कूद पड़े। एक तरफ हूती विद्रोहियों को शिया बहुल देश ईरान का समर्थन मिला। तो सरकार को सुन्नी बहुल देश सऊदी अरब का।
  • देखते ही देखते हूती के नाम से मशहूर विद्रोहियों ने देश के एक बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया। 2015 में हालात ये हो गए थे कि विद्रोहियों ने पूरी सरकार को निर्वासन में जाने पर मजबूर कर दिया था।

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