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दिल्ली-जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग 48 पर रेवाड़ी शहर से 12 किलोमीटर दूर है गांव बनीपुर। बाहर से शांत दिखने वाला यह गांव अंदर ही अंदर एक ऐसी त्रासदी ढो रहा है जिसे शब्दों में बयां करना मुश्किल है। साल 2006 में आईएमटी बावल की स्थापना के बाद पानी में इतना फ्लोराइड घोल दिया गया कि आज 3,500 की आबादी में से 70 प्रतिशत लोग गठिया, जोड़ों के दर्द और फ्लोरोसिस से अपंगता की ओर धकेल दिए गए हैं। यहां हर घर में कोई न कोई टूटी हुई चाल, मुड़े हुए हाथ-पैर या धीमे-धीमे झुकती रीढ़ के साथ जी रहा है। जो पानी जीवन का आधार है, उसी ने बनीपुर को बेड़ियों में जकड़ दिया है।
गांव के रण सिंह लोर (60) बताते हैं कि पानी की यह समस्या करीब 20 साल से है। शुरुआत में जब लोगों को गठिया और जोड़ों में दर्द उठा तो डॉक्टरों से पता लगा कि गांव के पानी में फ्लोराइड है। फैक्टरियों का खतरनाक रसायन युक्त पानी जमीन में डालने से यह जहर हो गया है। साल 2007 में इस पानी का टीडीएस 1000 से अधिक मिला था। इसके बाद सक्षम लोगों ने घरों में आरओ लगवा लिया। दिहाड़ी मजदूर और गरीब इसी पानी को पीते रहे। यही आज बीमार हैं।
लोर बताते हैं कि गांव वाले जन स्वास्थ्य मंत्री डॉ. बनवारी लाल से मिले तो उन्होंने पेयजल लाइन बिछवा दी। लेकिन, यह पाइप लाइन भी गांव तक आते-आते प्रदूषित हो गई।
कंपनी का आरओ प्लांट…नए सरपंच ने कराया चालू
गांव के सरपंच पवन कुमार (48) बताते हैं कि साल 2016-17 में जेटीईकेटी सोना कंपनी ने कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व के तहत दलित बस्ती में आरओ प्लांट लगवाया था। यहीं के 300 लोगों को रियायती पानी के टोकन भी बांटे थे। कुछ समय तक सबकुछ ठीक भी रहा लेकिन आरओ चलाने में बिजली का खर्च 60-70 हजार पहुंच जाने से प्लांट बंद हो गया। दो वर्ष पहले सरपंच बनने के बाद पवन ने अपने पास से बिल भरा और आरओ प्लांट शुरू करवाया। शुल्क बंद कराकर पानी भी फ्री कर दिया है। शेष गांव को इस आरओ का कोई फायदा नहीं। यहां के लोग कैंपर का पानी खरीदकर पी रहे हैं। एक कैंपर का मासिक बिल भी 300 रुपये है।
सेना-पुलिस में जाने का ख्वाब भी निगल रहा पानी
रेवाड़ी। गांव की कंचन (17) बीए प्रथम वर्ष की छात्रा है। उसे अभी से चलने-फिरने में दिक्कत होती है। कंचन बताती हैं, पिता मनीष कुमार की 10 वर्ष पूर्व एक सड़क हादसे में मौत हो गई थी। मां आरती किसी तरह चार बच्चों का पालन-पोषण करती हैं। बड़ी बेटी होने के नाते वह पुलिस में भर्ती होकर मां के हाथों को मजबूत करना चाहती है लेकिन फ्लोराइड युक्त पानी धीरे-धीरे उसे अपाहिज बनाता जा रहा है। घुटने में दर्द के कारण उसे लगने लगा है कि वह शायद ही पुलिस भर्ती में फिजिकल टेस्ट पास कर पाए। कंचन के मुताबिक, उसके घुटनों में हमेशा दर्द बना रहता है। सुबह-शाम तकलीफ ज्यादा रहती है। बहन वर्षा (15) के भी हाथ-पैर अक्सर सुन्न हो जाते हैं। 11 साल के भाई रमन को भी चलने-फिरने में दिक्कत होने लगी है। यह सिर्फ कंचन की नहीं…उसके दोस्तों के घर की भी यही कहानी है।
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रेवाड़ी: पानी में फ्लोराइड ने अपंग बना दी 3500 लोगों की बस्ती