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रूस ने 17 नवंबर को कैंसर वैक्सीन बनाने की जानकारी दी थी।
रूस के कैंसर वैक्सीन के ऐलान के बाद से दुनियाभर के कैंसर मरीजों में उम्मीद जगी है। रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय के रेडियोलॉजी मेडिकल रिसर्च सेंटर के डायरेक्टर आंद्रेई काप्रिन के मुताबिक, रूस की इस कैंसर वैक्सीन को अलग-अलग तरह के मरीजों के लिए अलग-अलग बनाया जाएगा।
इस खासियत की वजह से इसकी कीमत करीब 2.5 लाख रुपए होगी। रूसी नागरिकों को ये वैक्सीन मुफ्त में मिलेगी। हालांकि दुनिया के बाकी देशों के ये वैक्सीन कब मिलेगी, इसके बारे में काप्रिन ने कोई जानकारी दी है।
काप्रिन ने बताया कि प्रीक्लिनकल ट्रायल में वैक्सीन प्रभावी साबित हुई है। इससे ट्यूमर के विकास को धीमा होने के साथ उस पर 80% तक कमी देखी गई है। इस वैक्सीन को मरीजों के ट्यूमर सेल्स के डेटा के आधार पर स्पेशल प्रोग्राम के जरिए डिजाइन किया जाता है।
काप्रिन के मुताबिक रूसी कैंसर वैक्सीन का विकास एडवांस टेक्नोलॉजी पर बेस्ड है।
वैक्सीन के काम करने का पूरा प्रोसेस
रूस की फेडरल मेडिकल बायोलॉजिकल एजेंसी की प्रमुख वेरोनिका स्वोर्त्सकोवा ने वैक्सीन के काम करने के तरीके को मेलानोमा (स्किन कैंसर) से समझाया है। सबसे पहले कैंसर के रोगी में से कैंसर सेल्स का सैंपल लिया जाता है।
इसके बाद वैज्ञानिक इस ट्यूमर के जीन की सीक्वेंसिंग करते हैं। इसके जरिए कैंसर सेल्स में बने प्रोटीन की पहचान की जाती है। प्रोटीन की पहचान के बाद पर्सनलाइज्ड mRNA वैक्सीन बनाई जाती है। र को लगने वाली कैंसर वैक्सीन शरीर को T सेल्स बनाने का आदेश देती है।
ये T सेल्स ट्यूमर पर हमला कर कैंसर को खत्म कर देती हैं। इसके बाद इंसानी शरीर ट्यूमर सेल के पहचानने लगता है, जिससे कैंसर दोबारा नहीं लौटता है।
अमेरिकी राज्य फ्लोरिडा के कैंसर एक्सपर्ट एलियास सयूर के मुताबिक इस तकनीक से बन रही वैक्सीन ने बैन कैंसर के लिए 48 घंटों से भी कम वक्त में असर दिखा दिया था।
काप्रिन के मुताबिक रूसी वैक्सीन भी इसी तेजी के साथ काम करेगी।
कैंसर की एक और वैक्सीन का ऐलान जल्द
रूसी स्वास्थ्य मंत्रालय के नेशनल मेडिकल रिसर्च रेडियोलॉजिकल सेंटर की वेबसाइट के मुताबिक कैंसर से लड़ने के लिए दो तरह की खोज में जुटे हुए थे। इनमें पहली mRNA वैक्सीन और दूसरी दूसरी ऑन्कोलिटिक वायरोथेरेपी है।
इस थेरेपी के तहत लैब में मॉडिफाई किए गए इंसानी वायरस से कैंसर सेल्स को टारगेट कर संक्रमित किया जाता है। इससे वायरस कैंसर सेल्स में खुद की मल्टीप्लाय करता है। इसका नतीजा ये होता है कि कैंसर सेल नष्ट हो जाती है। यानी इस थेरेपी में ट्यूमर को सीधे तौर पर नष्ट करने बजाय इम्युनिटी को सक्रिय करके कैंसर सेल्स नष्ट किया जाता है।
इस थेरेपी के लिए बनाई जा रही वैक्सीन का नाम एंटेरोमिक्स है। इस वैक्सीन का रिसर्च साइकिल पूरा हो चुका है। जल्द ही इसका ऐलान हो सकता है।
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