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काला सागर (फाइल फोटो)
मॉस्कोः रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध विराम के पहले चरण की शुरुआत काला सागर से हो रही है। अमेरिकी मध्यस्थता के बीच रूस और यूक्रेन लगभग सीजफायर पर सहमत हो चुके हैं, लेकिन अभी कई मुद्दों पर रूस ने अपनी शर्तें भी रख दी हैं। अमेरिका दोनों देशों को इस सीजफायर के करीब पहुंचाकर रणनीतिक रूप से काफी खुश है। वहीं तुर्की भी डील पर वक्रदृष्टि गड़ाए बैठा है। काला सागर रूस और यूक्रेन के लिए कितना महत्वपूर्ण है, इस डील से तुर्की का क्या लेना, यहां युद्ध विराम से ज्यादा फायदा किस पक्ष को होगा?…आइये जानते हैं कालासागर में सीजफायर का सीक्रेट क्या है।

दरअसल रूस और तुर्की काला सागर में अहम महाशक्तियां हैं। इन दोनों देशों में काला सागर में सबसे ज्यादा और जबरदस्त प्रतिस्पर्धा है। घातक प्रतिस्पर्धा के दौर में दोनों देश एक दूसरे पर नियंत्रण रखने के इरादे से काला सागर में बेहद नाजुक संतुलन बनाए हुए हैं। काला सागर का एक बड़ा हिस्सा तुर्की के चंगुल में है। इसीलिए ब्लैक सी में हमले से रूस और यूक्रेन के साथ तुर्की को भी व्यापक नुकसान उठाना पड़ा है। तुर्की रूस से जबरदस्त प्रतिस्पर्धा तो बनाए रखना चाहता है, लेकिन वह काला सागर में युद्ध नहीं चाहता, क्योंकि इससे उसके अपने व्यापारिक और सामरिक हित प्रभावित होते हैं।
कालासागर में युद्ध विराम के लिए रूस की क्या है शर्त
काला सागर में युद्ध विराम के लिए वैसे तो यूक्रेन के साथ रूस भी सहमत हो गया है, जिसमें काला सागर में सीजफायर करने और यूक्रेन के ऊर्जा ठिकानों पर हमले रोकना शामिल है। इसके बदले में अमेरिका रूस के खिलाफ कई तरह के प्रतिबंधों को हटाने पर राजी हुआ है। मगर रूस अपने राज्य कृषि बैंक रोसेलखोजबैंक को स्विफ्ट अंतर्राष्ट्रीय भुगतान प्रणाली से फिर से जोड़ना चाहता है, जिस पर अमेरिका ने प्रतिबंध लगा रखा है। अमेरिका ने अभी स्विफ्ट से प्रतिबंध हटाने की बात नहीं कही है। इसलिए रूस ने इस प्वाइंट पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। अगर अमेरिका स्विफ्ट से मॉस्को पर प्रतिबंध हटाता है तो उसे इसके लिए और अन्य कदमों के लिए यूरोपीय देशों से सहमति की आवश्यकता हो सकती है। इसीलिए रूस ने कहा है कि यदि शर्तें पूरी होती हैं तो काला सागर सुरक्षा समझौता सक्रिय हो सकता है।
अमेरिका ने यूक्रेन को किन बिंदुओं पर किया है राजी
अमेरिका ने मंगलवार को यूक्रेन और रूस के साथ ब्लैक सी में लड़ाई बंद करने और ऊर्जा लक्ष्यों के खिलाफ हमलों को रोकने के लिए अलग-अलग समझौते कराए हैं। वाशिंगटन ने मॉस्को के खिलाफ कुछ प्रतिबंधों को हटाने के लिए दबाव बनाने पर सहमति जताई। जबकि खाद्य और उर्वरक के रूसी निर्यात पश्चिमी प्रतिबंधों के अधीन नहीं हैं। इस पर मॉस्को ने कहा है कि भुगतान, रसद और बीमा पर प्रतिबंध शिपमेंट में बाधा बन गए हैं। क्रेमलिन ने बुधवार को कहा कि अमेरिका के साथ बातचीत करके ब्लैक सी समुद्री सुरक्षा समझौते को क्रियान्वित करने से पहले कई शर्तें पूरी होनी चाहिए, उन्होंने पहले हुए एक समझौते की ओर इशारा किया जिसमें कहा गया था कि मॉस्को की जरूरतों को नजरअंदाज किया गया था।
काला सागर के जरिये यूरोप से पश्चिम तक होती है अनाज सप्लाई
काला सागर यूरोप से लेकर पश्चिम तक के देशों में अनाज सप्लाई का प्रमुख मार्ग है। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने संवाददाताओं से कहा, “ब्लैक सी सीजफायर अनाज पहल के लिए कई शर्तों के लागू होने के बाद सक्रिय किया जा सकता है।” हालांकि इनमें से ज्यादातर वही शर्तें हैं जो (मूल) ब्लैक सी पहल में शामिल थीं…जिनमें से सभी शर्तें पूरी की गई थीं, सिवाय रूसी पक्ष से संबंधित शर्तों के। मास्को ने कहा कि निश्चित रूप से, इस बार न्याय की जीत होनी चाहिए और हम अमेरिकियों के साथ अपना काम जारी रखेंगे। हालांकि 2023 में मॉस्को ने यह शिकायत करते हुए कि खुद को समझौते से अलग कर लिया था कि उसके अपने खाद्य और उर्वरक निर्यात में बाधाओं को समझौते की शर्तों के तहत किए वादे के अनुसार कम नहीं किया गया। इसकी मध्यस्थता 2022 में संयुक्त राष्ट्र और तुर्की ने की थी।
तुर्की और रूस का काला सागर में प्रभुत्व
तुर्की और रूस काला सागर में 2 प्रमुख शक्तियाँ हैं। रूस के प्रति तुर्की के सतर्क दृष्टिकोण ने इसे यूरोपीय संघ और नाटो नीतियों के साथ तालमेल बिठाने की तुलना में क्षेत्रीय स्थिरता को प्राथमिकता देने के लिए प्रेरित किया है, जिससे पश्चिम के साथ संबंध तनावपूर्ण हो गए हैं। यूरोप के सामने अमेरिका की बदलती नीतियों और युद्ध के बाद रूस को नियंत्रित करने की चुनौती है, इसलिए तुर्की के साथ नए सिरे से सहयोग आवश्यक है। ऐसे में काला सागर उसके लिए पहला कदम हो सकता है। इसलिए नाटो को तुर्की, रोमानिया और बुल्गारिया के साथ क्षेत्रीय सहयोग की प्राथमिकता का उपयोग करते हुए काला सागर में अंकारा के साथ छोटी-छोटी साझेदारी को प्राथमिकता देनी चाहिए।
तुर्की यूरोप के आ सकता है बड़े काम
अगर यूरोप तुर्की के साथ दोस्ती गहरी करता है तो वह यूरोपीय संघ के बड़े काम आ सकता है। ऐसे में विशेषज्ञ यूरोपीय संघ को तुर्की के साथ अपने संबंधों को बेहतर बनाने के लिए आपसी हितों के क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देना जरूरी मानते हैं। जैसे कि काला सागर सुरक्षा, काकेशस स्थिरता और रक्षा-औद्योगिक सहयोग। तुर्की-यूरोपीय संघ संबंधों में एक व्यावहारिक रीसेट रूस को नियंत्रित करने की प्रत्येक पक्ष की क्षमता को बढ़ा सकता है, जो एक साझा लक्ष्य है।
तुर्की और रूस में क्या है प्रतिद्वंदिता
सितंबर 2023 में तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने अपने रूसी समकक्ष व्लादिमीर पुतिन से मिलने के दौरान इसे “अपना काला सागर” बताया था। इस बैठक में एक ऐसे सौदे को पुनर्जीवित किया जाएगा, जिसके तहत संकटग्रस्त यूक्रेन को काला सागर स्थित अपने बंदरगाहों से अनाज और अन्य वस्तुओं का निर्यात करने की अनुमति दी गई थी। बता दें कि तुर्की और रूस ही काला सागर में प्रमुख खिलाड़ी हैं। यह समुद्र पुतिन की महान शक्ति महत्वाकांक्षाओं का भी केंद्र है। रूस ने ऐतिहासिक रूप से इसे अपनी साम्राज्यवादी शक्ति प्रक्षेपणों के लिए लॉन्चपैड और अपनी सेनाओं के पूर्वी यूरोप या काकेशस की ओर बढ़ने से पहले अपने दक्षिणी हिस्से की रक्षा के लिए इसका इस्तेमाल किया है। यह भूमध्य सागर और स्वेज नहर के गर्म पानी तक रूस का सबसे छोटा रास्ता भी है।
लेकिन तुर्की के पास काला सागर में सबसे लंबा तट है और तुर्की जलडमरूमध्य: बोस्फोरस और डार्डानेल्स के माध्यम से भूमध्य सागर तक पहुँच को नियंत्रित करता है। 1936 के मॉन्ट्रो कन्वेंशन ने तुर्की को जलडमरूमध्य के माध्यम से काला सागर तक नौसैनिक पहुँच को विनियमित करने का अधिकार दिया। यह विवाद का एक ऐसा मुद्दा है, जिसने पिछली कुछ शताब्दियों में रूस के साथ लगभग एक दर्जन युद्धों को जन्म दिया। ऐसे में यह युद्ध विराम लागू होने से सभी पक्षों को फायदा होगा। मगर रूस और तुर्की ज्यादा लाभान्वित होंगे।
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रूस और यूक्रेन के लिए कितना महत्वपूर्ण है काला सागर, तुर्की को इस डील से क्या लेना – India TV Hindi