in

रुचिर शर्मा का कॉलम: चीन की जनसंख्या के साथ ही उत्पादकता भी घट रही है Politics & News

रुचिर शर्मा का कॉलम:  चीन की जनसंख्या के साथ ही उत्पादकता भी घट रही है Politics & News

[ad_1]

  • Hindi News
  • Opinion
  • Ruchir Sharma’s Column Along With China’s Population, Productivity Is Also Decreasing

3 घंटे पहले

  • कॉपी लिंक

रुचिर शर्मा ग्लोबल इन्वेस्टर व बेस्टसेलिंग राइटर

चीन के बारे में सबसे बड़ा अर्द्धसत्य यह है कि उसकी अर्थव्यवस्था बहुत कम उपभोग करती है और बहुत ज्यादा निवेश करती है। ज्यादा निवेश भले समस्या हो, लेकिन कम खपत नहीं है। इसलिए ज्यादा उपभोक्ता-खर्च को प्रोत्साहित करके पुनर्संतुलन कायम करने के लिए बढ़ते आह्वान गुमराह करने वाले हैं।

चीन ने 1980 के दशक में एक मैन्युफैक्चरिंग ताकत बनने की शुरुआत की थी और तब से उपभोक्ताओं द्वारा किए जाने वाले खर्च को दबा दिया था, ताकि वह अपनी बचतों को बंदरगाहों और कारखानों के निर्माण में लगा सके। लेकिन दबा हुआ उपभोक्ता एक मिथक है।

इस सदी में अब तक चीन में निजी उपभोक्ता खर्च सालाना 8% से ज्यादा बढ़ा है, जो किसी भी अर्थव्यवस्था से तेज है। पिछले कुछ वर्षों में ज्यादातर देशों में उपभोक्ता-खर्च की वृद्धि धीमी हुई है, जिसका कारण आबादी की बढ़ती उम्र और घटती वास्तविक आय है। चीन में भी यह गिरकर 5% पर आ गई है।

यह मिथक चीन की जीडीपी में खपत के हिस्से पर आधारित है, जो वैश्विक मानकों से काफी कम यानी सिर्फ 40% है। लेकिन इस विसंगति का कारण यह नहीं है कि खपत में धीमी वृद्धि हुई है, बल्कि यह है कि जीडीपी का दूसरा बड़ा घटक निवेश- बुनियादी ढांचे, रियल एस्टेट, निर्यात उद्योगों में- इस सदी में औसतन 10% प्रति वर्ष की दर से और भी तेजी से बढ़ा है। यह गति भी किसी भी प्रमुख अर्थव्यवस्था की तुलना में तेज है। अति-निवेश के इस दीर्घकालिक पैटर्न को ठीक किया जाए, तो चीन की जीडीपी में खपत का हिस्सा लगभग 55% होगा, जो सामान्य के करीब है।

जापान और दक्षिण कोरिया से लेकर इंडोनेशिया और मलेशिया तक, स्थापित और नई एशियाई मैन्युफैक्चरिंग ताकतों की तुलना में चीन में उपभोक्ता-खर्च भी बहुत तेजी से बढ़ा है। फिर भी, चीनी उपभोक्ताओं को मुक्त करने की मांग उनके खर्च में लगातार वृद्धि के बढ़ते सबूतों के साथ जारी है।

शंघाई से पेरिस तक लग्जरी स्टोर्स में चीनी खरीदारों के बीच इस प्रकार के लक्षणों को पहचानना मुश्किल है कि उन्हें दबाया जा रहा है। उपभोक्ता-खर्च में गहराई से झांकें तो उनमें वृद्धि मुख्य रूप से सेवाओं के लिए कमजोर दिखती है, न कि वस्तुओं के लिए। यदि हम चीन की सरकार द्वारा कम या बिना किसी शुल्क के प्रदान की जाने वाली सेवाओं को ध्यान में रखें- जिनमें स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा शामिल हैं- तो जीडीपी के हिस्से के रूप में उपभोग में उल्लेखनीय वृद्धि दिखती है।

दूसरी ओर, निवेश स्पष्ट रूप से जीडीपी के 40% हिस्से के रूप में ब​हुत अधिक है और खपत के लगभग बराबर है। किसी भी परिपक्व अर्थव्यवस्था में निवेश जीडीपी के एक हिस्से के रूप में खपत से कम होता है, लेकिन आर्थिक चक्र के लिए अधिक महत्वपूर्ण होता है।

मंदी के समय उपभोक्ता अपनी जरूरतों पर खर्च करना बंद नहीं कर सकते, लेकिन व्यवसाय जरूर निवेश करना बंद कर सकते हैं, कम से कम कुछ समय के लिए। लगातार बना हुआ अत्यधिक निवेश व्यापार-भागीदारों के साथ तनाव बढ़ा रहा है, क्योंकि चीन अपने अतिरिक्त उत्पादन का बहुत सारा हिस्सा निर्यात कर देता है, जिससे उसके यहां अव्यवस्थाएं जन्म लेती हैं। समय के साथ, इस तरह की लत पूंजी को रियल एस्टेट जैसे कम उत्पादक लक्ष्यों की ओर मोड़ देती है। अब आप समझ सकते हैं कि आज चीन का संपत्ति बाजार कर्ज से क्यों लदा है।

चीन का उपभोक्ता-खर्च दुनिया भर में तेजी से बढ़ रहा है और इसमें तेजी लाने की बहुत गुंजाइश नहीं है, खासकर तब जब कई परिवार कर्ज में डूबे हुए हैं। पिछले 15 वर्षों में यह ऋण तीन गुना बढ़कर जीडीपी के 60% से अधिक हो गया है, जो उभरते बाजारों में सबसे अधिक है। व​हां की सरकार अपने बढ़े हुए विकास-लक्ष्यों को प्राप्त करने के नाम पर बहुत समय से अत्यधिक निवेश कर रही है। उपभोग को बढ़ाना इसका हल नहीं है।

यह स्वीकार करना होगा कि चीन घटती जनसंख्या, घटती उत्पादकता और भारी कर्ज के बोझ से दबा हुआ है। इसकी वास्तविक संभावित विकास दर 5% के बजाय 2.5% के करीब है। जैसे-जैसे विकास धीमा होगा, उपभोग बढ़ेगा।

(ये लेखक के अपने विचार हैं)

खबरें और भी हैं…

[ad_2]
रुचिर शर्मा का कॉलम: चीन की जनसंख्या के साथ ही उत्पादकता भी घट रही है

रेवाड़ी: गांव बीकानेर में संकल्प से सिद्धी अभियान पर चौपाल कार्यक्रम का हुआ आयोजन  Latest Haryana News

रेवाड़ी: गांव बीकानेर में संकल्प से सिद्धी अभियान पर चौपाल कार्यक्रम का हुआ आयोजन Latest Haryana News

नारनौल डिपो में जलभराव होने से यात्रियों की बढ़ी परेशानी  haryanacircle.com

नारनौल डिपो में जलभराव होने से यात्रियों की बढ़ी परेशानी haryanacircle.com