राष्ट्रीय शिक्षा नीति से बदल जाएगा शैक्षणिक परिदृश्य : प्रो. चौधरी


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कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के सीनेट हॉल में शुक्रवार को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के लिए आईआईएचएस के नेतृत्व में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय एवं संबंधित कॉलेजों के शिक्षकों के लिए आयोजित पांच दिवसीय कार्यशाला का समापन हुआ।
डीन एकेडमिक अफेयर्स प्रो मंजुला चौधरी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा योजना का स्वरूप अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत है। यह कार्यशाला प्रदेश सरकार और विश्वविद्यालय के संयुक्त प्रयास का परिणाम है। उन्होंने कहा कि इससे विश्वविद्यालय का शैक्षणिक परिदृश्य पूरी तरह बदल जाएगा। वर्कलोड के नियमों के साथ-साथ पूरा कैलेंडर भी बदलेगा। समापन सत्र में आईआईएचएस के प्राचार्य प्रो. संजीव कुमार गुप्ता ने कहा कि इस कार्यशाला का उद्देश्य श्रम की गरिमा को बढ़ाना और पूरे समाज को शिक्षण संस्थानों के साथ जोड़ना है। कॉर्डिनेटर प्रो. अनीता दुआ ने कार्यशाला की रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए कहा कि एनईपी का आने वाले समय में अत्यंत सकारात्मक प्रभाव होगा और युवा पीढ़ी कुशल, शिक्षित और संस्कारित बनेगी।
डीन ऑफ कॉलेजिज प्रो. अनिल वोहरा ने कहा कि एनईपी छात्र एवं शिक्षक दोनों के लिए उपयोगी है। आज विज्ञान एवं वर्चुअल युग में युवा का चिंतन भी बदल रहा है। इसके माध्यम से युग एवं इंडस्ट्री के अनुरूप सक्षम युवा पीढ़ी का निर्माण होगा। प्रतिभागियों में से डॉ. बीनु जैन, डॉ. रेखा शर्मा, डॉ. वीरेंद्र, डॉ. अशोक चौधरी, डॉ. आंध्रा और डॉ. मोनिका ने अनुभव साझा किए।
प्रथम सत्र में परीक्षा नियंत्रक प्रो. अंकेश्वर प्रकाश ने राष्ट्रीय शिक्षा योजना के एबीसी (एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट) के बारे में जानकारी दी। एबीसी के माध्यम से छात्र के क्रेडिट डिजिटल बैंक में सुरक्षित हो जाएंगे। एक वर्ष के बाद वह अपने क्रेडिट के आधार पर दूसरे संस्थान में भी प्रवेश लेकर वहां से भी डिग्री ले सकता है। उन्होंने क्रेडिट ट्रांसफर और रिडम्पशन की जानकारी देते हुए कहा कि ये सब दो रजिस्टर्ड संस्थान में ही होगा। सत्र की अध्यक्षता डॉ. जसविंदर संधु ने की। समापन सत्र में 58 महाविद्यालयों के 149 प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र दिए गए। कार्यक्रम का संचालन प्रो. विवेक चावला ने किया। इस अवसर पर प्रो. रीटा, प्रो. सुनीता मदान, प्रो. अश्वनी कुश, प्रो. अतुल रसिका, प्रो. परमेश कुमार, डॉ. दीपक राय बब्बर, डॉ. रामचंद्र और डॉ. वंदना शर्मा उपस्थित रहीं।

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के सीनेट हॉल में शुक्रवार को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के लिए आईआईएचएस के नेतृत्व में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय एवं संबंधित कॉलेजों के शिक्षकों के लिए आयोजित पांच दिवसीय कार्यशाला का समापन हुआ।

डीन एकेडमिक अफेयर्स प्रो मंजुला चौधरी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा योजना का स्वरूप अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत है। यह कार्यशाला प्रदेश सरकार और विश्वविद्यालय के संयुक्त प्रयास का परिणाम है। उन्होंने कहा कि इससे विश्वविद्यालय का शैक्षणिक परिदृश्य पूरी तरह बदल जाएगा। वर्कलोड के नियमों के साथ-साथ पूरा कैलेंडर भी बदलेगा। समापन सत्र में आईआईएचएस के प्राचार्य प्रो. संजीव कुमार गुप्ता ने कहा कि इस कार्यशाला का उद्देश्य श्रम की गरिमा को बढ़ाना और पूरे समाज को शिक्षण संस्थानों के साथ जोड़ना है। कॉर्डिनेटर प्रो. अनीता दुआ ने कार्यशाला की रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए कहा कि एनईपी का आने वाले समय में अत्यंत सकारात्मक प्रभाव होगा और युवा पीढ़ी कुशल, शिक्षित और संस्कारित बनेगी।

डीन ऑफ कॉलेजिज प्रो. अनिल वोहरा ने कहा कि एनईपी छात्र एवं शिक्षक दोनों के लिए उपयोगी है। आज विज्ञान एवं वर्चुअल युग में युवा का चिंतन भी बदल रहा है। इसके माध्यम से युग एवं इंडस्ट्री के अनुरूप सक्षम युवा पीढ़ी का निर्माण होगा। प्रतिभागियों में से डॉ. बीनु जैन, डॉ. रेखा शर्मा, डॉ. वीरेंद्र, डॉ. अशोक चौधरी, डॉ. आंध्रा और डॉ. मोनिका ने अनुभव साझा किए।

प्रथम सत्र में परीक्षा नियंत्रक प्रो. अंकेश्वर प्रकाश ने राष्ट्रीय शिक्षा योजना के एबीसी (एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट) के बारे में जानकारी दी। एबीसी के माध्यम से छात्र के क्रेडिट डिजिटल बैंक में सुरक्षित हो जाएंगे। एक वर्ष के बाद वह अपने क्रेडिट के आधार पर दूसरे संस्थान में भी प्रवेश लेकर वहां से भी डिग्री ले सकता है। उन्होंने क्रेडिट ट्रांसफर और रिडम्पशन की जानकारी देते हुए कहा कि ये सब दो रजिस्टर्ड संस्थान में ही होगा। सत्र की अध्यक्षता डॉ. जसविंदर संधु ने की। समापन सत्र में 58 महाविद्यालयों के 149 प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र दिए गए। कार्यक्रम का संचालन प्रो. विवेक चावला ने किया। इस अवसर पर प्रो. रीटा, प्रो. सुनीता मदान, प्रो. अश्वनी कुश, प्रो. अतुल रसिका, प्रो. परमेश कुमार, डॉ. दीपक राय बब्बर, डॉ. रामचंद्र और डॉ. वंदना शर्मा उपस्थित रहीं।

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