राजा बली का अभिमान दूर करने के लिए भगवान वामन को लेना पड़ा अवतार


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अंबाला सिटी। मानव चौक स्थित श्रीकृष्ण मंदिर और श्री गोपीनाथ सत्संग भवन में संगीतमय श्रीमद्भागवत अमर कथा का आयोजन किया जा रहा है। कथा के चौथे दिन कथा व्यास आचार्य सनातन चैतन्य महाराज ने अजामिल कथा, गजेंद्र मोक्ष कथा, समुद्र मंथन कथा, वामन अवतार कथा, सूर्यवंश व चंद्रवंश राजाओं की कथाओं का सुंदर वर्णन किया। उन्होंने बताया कि भक्त प्रहलाद के कुल में राजा बली हुए। वो गुरु शुक्राचार्य की सेवा करते करते बहुत ही बलशाली हो गया। उधर, स्वर्ग के राजा इंद्र अपने गुरु का अनादर करने की वजह से बलहीन व ऐश्वर्य हीन हो गए।
राजा बली ने अनेक यज्ञ किए और यज्ञोपरांत याचकों को खूब दान दिया। 99 यज्ञ पूर्ण करने के उपरांत वह सौवां यज्ञ कर रहे थे। देवताओं की माता अदिति अपने पुत्रों की दयनीय स्थिति को देख कर दुखी थी। माता अदिति ने अपने पति कश्यप ऋषि से याचना करते हुए कहा कि मुझे ऐसा पुत्र चाहिए जो असुरों को पराभूत कर हमारे देव पुत्रों का मान बढ़ाए। कश्यप ऋषि ने इसके लिए एक विशेष अनुष्ठान करने की बात अदिति को कही। अदिति के यहां भाद्र शुक्ल द्वादसी को वामन भगवान अवतरित होते हैं। देव गुरु बृहस्पति ने भगवान वामन से कहा कि इस समय कच्छ क्षेत्र नर्मदा नदी के तट पर राजा बली यज्ञ कर रहा है। वामन भगवान राजा बली के पास गए और भिक्षा मांगने लगे। जहां पर राजा बली ने भिक्षा देने के उद्देश्य से बोले कि भिक्षा में आपको क्या चाहिए।
इस पर वामन भगवान ने भिक्षा में तीन पग भूमि मांगते हुए राजा बली से संकल्प करवाया। भगवान विराट रूप लेकर एक पग से पूरा अंतरिक्ष लोक व दूसरे पग से पूरे पाताल लोक नाप लेते हैं। तीसरे पग रखने के लिए कोई स्थान नहीं बचा। इस दौरान राजा बली ने वामन भगवान के चरणों में अपना सिर रखते हुए कहा कि तीसरा पग आप मेरे सिर पर रख दीजिए। इस प्रकार भगवान वामन राजा बली को सुतल लोक का राजा नियुक्त कर स्वयं उसके चौकीदार बन जाते हैं। वामन भगवान ने राजा बली के अंदर आए हुए अभिमान को नष्ट करने के लिए वामन रूप धारण किया था।
इसी प्रकार कथा व्यास आचार्य सनातन चैतन्य महाराज ने कथा के प्रसंग को आगे बढ़ाते हुए कहा कि सूर्य वंश में भगवान श्रीराम और चंद्रवंश में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म होता है। भगवान के इन दोनों अवतारों के बारे में विस्तारपूर्वक प्रसंग भक्तों को सुनाया। इस अवसर पर पूर्वांचल पूजा समिति सदस्यों द्वारा भगवान श्रीकृष्ण की सुंदर झूला झांकी सजाई गई। भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव पर पूरे सत्संग भवन को तोरण पताका, गुब्बारे से भव्य सुंदर ढंग से सजाया गया।

अंबाला सिटी। मानव चौक स्थित श्रीकृष्ण मंदिर और श्री गोपीनाथ सत्संग भवन में संगीतमय श्रीमद्भागवत अमर कथा का आयोजन किया जा रहा है। कथा के चौथे दिन कथा व्यास आचार्य सनातन चैतन्य महाराज ने अजामिल कथा, गजेंद्र मोक्ष कथा, समुद्र मंथन कथा, वामन अवतार कथा, सूर्यवंश व चंद्रवंश राजाओं की कथाओं का सुंदर वर्णन किया। उन्होंने बताया कि भक्त प्रहलाद के कुल में राजा बली हुए। वो गुरु शुक्राचार्य की सेवा करते करते बहुत ही बलशाली हो गया। उधर, स्वर्ग के राजा इंद्र अपने गुरु का अनादर करने की वजह से बलहीन व ऐश्वर्य हीन हो गए।

राजा बली ने अनेक यज्ञ किए और यज्ञोपरांत याचकों को खूब दान दिया। 99 यज्ञ पूर्ण करने के उपरांत वह सौवां यज्ञ कर रहे थे। देवताओं की माता अदिति अपने पुत्रों की दयनीय स्थिति को देख कर दुखी थी। माता अदिति ने अपने पति कश्यप ऋषि से याचना करते हुए कहा कि मुझे ऐसा पुत्र चाहिए जो असुरों को पराभूत कर हमारे देव पुत्रों का मान बढ़ाए। कश्यप ऋषि ने इसके लिए एक विशेष अनुष्ठान करने की बात अदिति को कही। अदिति के यहां भाद्र शुक्ल द्वादसी को वामन भगवान अवतरित होते हैं। देव गुरु बृहस्पति ने भगवान वामन से कहा कि इस समय कच्छ क्षेत्र नर्मदा नदी के तट पर राजा बली यज्ञ कर रहा है। वामन भगवान राजा बली के पास गए और भिक्षा मांगने लगे। जहां पर राजा बली ने भिक्षा देने के उद्देश्य से बोले कि भिक्षा में आपको क्या चाहिए।

इस पर वामन भगवान ने भिक्षा में तीन पग भूमि मांगते हुए राजा बली से संकल्प करवाया। भगवान विराट रूप लेकर एक पग से पूरा अंतरिक्ष लोक व दूसरे पग से पूरे पाताल लोक नाप लेते हैं। तीसरे पग रखने के लिए कोई स्थान नहीं बचा। इस दौरान राजा बली ने वामन भगवान के चरणों में अपना सिर रखते हुए कहा कि तीसरा पग आप मेरे सिर पर रख दीजिए। इस प्रकार भगवान वामन राजा बली को सुतल लोक का राजा नियुक्त कर स्वयं उसके चौकीदार बन जाते हैं। वामन भगवान ने राजा बली के अंदर आए हुए अभिमान को नष्ट करने के लिए वामन रूप धारण किया था।

इसी प्रकार कथा व्यास आचार्य सनातन चैतन्य महाराज ने कथा के प्रसंग को आगे बढ़ाते हुए कहा कि सूर्य वंश में भगवान श्रीराम और चंद्रवंश में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म होता है। भगवान के इन दोनों अवतारों के बारे में विस्तारपूर्वक प्रसंग भक्तों को सुनाया। इस अवसर पर पूर्वांचल पूजा समिति सदस्यों द्वारा भगवान श्रीकृष्ण की सुंदर झूला झांकी सजाई गई। भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव पर पूरे सत्संग भवन को तोरण पताका, गुब्बारे से भव्य सुंदर ढंग से सजाया गया।

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