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राजस्थान की अंता विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी और कांग्रेस की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. इस सीट पर बीजेपी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की प्रतिष्ठा दांव पर है. वहीं कांग्रेस पार्टी ने गहलोत सरकार में मंत्री रहे प्रमोद जैन भाया पर एक बार फिर से दांव लगाया है. हालांकि, निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा ने मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है. यहां उपचुनाव के लिए 11 नवंबर को मतदान संपन्न कराया जाएगा.
अंता विधानसभा सीट पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की प्रभाव वाली है. वह यहां से सांसद रही हैं और मौजूदा समय में उनके बेटे दुष्यंत यहां से सांसद हैं. बीजेपी ने किराना की दुकान चलाने वाले ग्राम प्रधान व क्षेत्र की राजनीति करने वाले मोरपाल सुमन को वसुंधरा राजे की पसंद के आधार पर ही उम्मीदवार बनाया है. नाक का सवाल होने की वजह से ही वसुंधरा राजे ने यहां अपनी कोर कमेटी और समर्थकों के साथ डेरा जमा रखा है.
कांग्रेस ने पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया पर लगाया दांव
वहीं, कांग्रेस पार्टी ने यहां से दो बार विधायक और गहलोत सरकार में मंत्री रहे प्रमोद जैन भाया पर एक बार फिर से दांव लगाया है. मोरपाल सुमन जहां साफ सुथरी और सीधी सादी इमेज के हैं, वहीं कांग्रेस के प्रमोद जैन भाया ने बेहद पिछड़े हुए इस इलाके में विधायक व मंत्री रहते हुए जो काम कराए हैं और लोगों के बीच एक्टिव रहे हैं, वह उनकी ताकत व पहचान है.
युवा नेता नरेश मीणा ने मुकाबले को बनाया त्रिकोणीय
हालांकि, निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा की एंट्री ने अंता के मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है. नरेश मीणा युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय है और मीणा समाज का उसे भरपूर समर्थन मिल रहा है. नरेश मीणा बीजेपी और कांग्रेस दोनों के ही वोटो में बड़ी सेंधमारी करते हुए दिखाई दे रहा है. अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी और सांसद हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी का समर्थन मिलने के बाद नरेश मीणा मुख्य मुकाबले में आ गए है.
अंता में स्थानीय मुद्दे हावी है. विकास और किसानों की समस्याएं बड़ा फैक्टर है. हालांकि कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही विकास को अपना मुद्दा बता रही हैं. यहां बीजेपी और कांग्रेस दोनों को ही आपसी खींचतान और भितरघात का सामना करना पड़ रहा है. बीजेपी ने एकजुटता दिखाने के लिए मौजूदा सीएम भजनलाल शर्मा और पूर्व सीएम वसुंधरा राजे का साझा तौर पर रोड शो कराया.
पूर्व सीएम अशोक गहलोत वोटर साधने की करेंगे कोशिश
वहीं कांग्रेस की तरफ से पूर्व सीएम अशोक गहलोत प्रचार के आखिरी दिन अंता के वोटरों को साधने की कोशिश करेंगे. यहां तीनों ही उम्मीदवार अपनी अपनी जीत के बड़े दावे कर रहे हैं. बीजेपी प्रत्याशी मोरपाल सुमन का कहना है कि वह स्थानीय है जबकि उन्हें टक्कर देने वाले बाकी बड़े चेहरे बाहरी हैं. दावा है कि उन्हें इसका फायदा मिलेगा.
क्यों आई उपचुनाव की नौबत?
आपको बता दें कि राजस्थान की अंता विधानसभा सीट साल 2008 में अस्तित्व में आई थी. इस सीट पर विधानसभा का पांचवा चुनाव हो रहा है. 2023 के आखिरी चुनाव में यहां से बीजेपी के कंवरलाल मीणा विधायक चुने गए थे. करीब दो दशक पुराने एक आपराधिक मामले में दोषी करार दिए जाने और दो साल से ज्यादा की सजा होने की वजह से उनकी विधानसभा की सदस्यता निरस्त कर दी गई थी.
अंता में 11 नवंबर को सुरक्षा के कड़े इंतजामों के बीच वोट डाले जाएंगे. अब देखना यह होगा कि 14 नवंबर को चुनाव नतीजे आने पर जीत का सेहरा किसके सिर बंधता है. यहां का वोटर मुखर है. खुलकर अपनी बात रख रहा है, लेकिन इसके बावजूद अभी तक किसी के पक्ष में कोई लहर नजर नहीं आ रही है. बता दें कि अंता विधानसभा सीट पर कुल दो लाख अट्ठाइस हजार वोटर है. इनमें 116783 पुरुष और 111477 महिला के साथ चार वोटर थर्ड जेंडर के हैं.
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राजस्थान: अंता उपचुनाव में वसुंधरा राजे की साख दांव पर? जानें पूरा सियासी समीकरण

