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रश्मि बंसल का कॉलम: अपना सालभर का ऑडिट करने का समय आ गया है Politics & News

रश्मि बंसल का कॉलम:  अपना सालभर का ऑडिट करने का समय आ गया है Politics & News

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7 मिनट पहले

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रश्मि बंसल, लेखिका और स्पीकर

साल खत्म होने को आया, समय कहां गया कुछ पता नहीं। कल ही तो नन्ही की शादी की तैयारियां चल रही थीं। जनवरी की सर्दी में ठिठुरते हुए बिना शॉल के हम घूम रहे थे। खैर यूं ही जिंदगी का पहिया चलता रहता है। कभी रुकता नहीं। मगर साल के अंत में आप जरा-सा रुक सकते हो। सोच सकते हो कि आखिर इस साल हुआ क्या। बाहर की दुनिया में नहीं, आपके अंदर। जहां चित्रगुप्त का असली हिसाब-किताब चल रहा है।

1. 2024 में मेरा कौन-सा ‘सॉफ्टवेयर अपडेट’ हुआ? कंप्यूटर को हम अपडेट करते रहते हैं, नहीं तो वो स्लो हो जाता है। इसी तरह हमारे पर्सनल कंप्यूटर- यानी दिमाग को भी अपडेट की जरूरत होती है। खासकर, जब घर के बच्चे बड़े होने लगते हैं। जैसे आपकी बेटी की नौकरी लग गई, और वो आपको किसी अच्छे रेस्तरां में खाना खिलाने के लिए ले गई।

मेन्यू में आपकी नजर सिर्फ राइट साइड पर है, जहां दाम लिखा है। महंगा खाना आपके गले नहीं उतर रहा। आपको फिजूलखर्ची पसंद नहीं। लेकिन आज वो हालात नहीं जहां पाई-पाई बचाना पड़े। तो आपका सॉफ्टवेयर अपडेट हुआ ः पैसा खर्च करना, उसे एंजॉय करना भी मुझे आता है। आपका भी कोई ना कोई पुराना प्रोग्राम अपडेट हुआ होगा। विचार कीजिए, नोट कीजिए। चलते हैं दूसरे सवाल पर।

2. 2024 में आप को किस चीज के लिए अवॉर्ड मिलना चाहिए? यूं तो आए दिन पेपर में पढ़ते हैं- फलाना को पुरस्कार मिला। फिर सोचते हैं, मैं कोई सेलिब्रिटी नहीं, उद्योगपति नहीं, मुझे कौन पुरस्कार देगा। भाई, पहले आप खुद तो पहचानिए कि मैंने कौन-सा ऐसा काम किया, जो अवॉर्ड के लायक है।

शायद आपके घर पर कोई महीनों तक बीमार था, आपने उसकी सेवा की। दुनिया जाने न जाने, आप जानते हो कि कितने धैर्य से अपनी जिम्मेदारी निभाई। तो आंख बंद करके मन के परदे पर एक चित्र लाइए। अनाउंस हो रहा है- ‘अवार्ड फॉर मोस्ट डेडिकेटेड फैमिली मेंबर’।

आप स्टेज पर जाकर रिसीव कर रहे हो। अगर आपका दिल भर आया, तो बस। चाहे कोई शाबासी दे या नहीं, आपको यूनिवर्स से सराहना मिल गई है। आप अपने आपको वो अवॉर्ड दीजिए, एहसास कीजिए। और अब आते हैं सवाल नंबर तीन पर।

3. 2024 में ऐसा क्या था जो आप डर की वजह से कर नहीं पाए? हमारे अंदर एक इच्छा उमड़ती है। एक छोटी-सी नाव, जो डर की लहरों से थपेड़े खाकर डूब जाती है। कि ऐसा करने से कुछ खराब हो जाएगा, फ्यूचर बर्बाद हो जाएगा। तो डर के मारे आप थम गए। कभी बैठे थे, अब जम गए।

भाई, अंदर की आग को जरा जलाओ, उस जमी हुई बर्फ को पिघलाओ। फेल हो भी गए तो क्या, कदम तो बढ़ाया; जीवन से कुछ सीखा या किसी को िसखाया। घर पर अगर हो मार-पिटाई, क्यों सहते हो आप अन्याय। सिंगल होना कोई शाप नहीं, बच्चा पल सकता है फिर भी सही। ये तो एक उदाहरण है, वैसे डर के कई कारण हैं।

आपको एक खास प्याले में किसी खास के हाथ की चाय पीने की आदत है, एक दिन वो इंसान दुनिया में रहा नहीं, अब कयामत है। जीने वालों के दिल में खौफ है मरने का। लेकिन वो तो होना ही है, तो फिर क्या डरने का।

2025 में जीना है खुलकर, खड़े मत रहो आशंका के पुल पर। आर लगाओ या पार, लेकिन चलते रहो मेरे यार। नया साल, नया जोश। जब तक है जान, जब तक है होश। (ये लेखिका के अपने विचार हैं)

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