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भिवानी. गंगा मइया के दर्शन और स्नान के बाद बेटा मां बाप को 300 किमी कंधों पर उठाकर घर पहुंचा. कलियुग में भी सतयुग के श्रवण कुमार की झलक देखने को मिली है. मामला हरियाणा के भिवानी जिले का है. यहां पर दो युवक श्रवण कुमार बनकर अपने माता-पिता को हरिद्वार से कांवड़ में बैठा घर तक लेकर आए. जिला प्रशासन ने इनका जोरदार स्वागत किया.
जानकारी के अनुसार, भिवानी ज़िला के ढाणी माहू गाँव के दो युवकों ने कलियुग में श्रवण कुमार के चरित्र को चरितार्थ कर दिया. दोनों अपने माता-पिता को हरिद्वार स्नान करवाकर वहाँ से कंधों पर उन्हें कावड़ में बैठा कर अपने गाँव लाए. यहां गांव में ज़िला प्रशासन की तरफ़ से एसडीएम मनोज दलाल ने दोनों बेटों और उनके माता-पिता को सम्मानित किया.
युवक अशोक ने बताया कि 10 जुलाई को वह हरिद्वार से चले थे और हर रोज 10 घंटे में 22-25 किलोमीटर की दूरी तय करते थे. उन्होंने कहा कि जब हम माता-पिता की सेवा करेंगे, तभी भगवान मेवा देगा. साथ ही कहा कि अपने माता-पिता को लाते समय तय किया कि अगले साल से वो बिना बच्चों के बुजुर्गों को ऐसे ही हरिद्वार में स्नान करवाकर कांवड़ में लाया करेंगे.
उधर, अपने बेटे से सम्मान पाकर माँ राजबाला बेहद खुश नज़र आई और कहा कि भगवान ऐसे बेटे हर मां बार को दे. उधर, अशोक और उसके भाई तथा इनके माता-पिता के गाँव में पहुँचने पर एसडीएम मनोज दलाल ने कहा कि ये सतयुग के इतिहास की पुनरावर्ती है. हर माँ बाप को अपने बच्चों को ऐसे संस्कार देने चाहिए. उन्होंने कहा कि वो यहां अधिकारी के बजाए अपनी संस्कृति से प्रेरित होकर हिन्दू के रूप में आए हैं. साथ ही कहा कि माता-पिता और शिक्षक भगवान का रूप होते हैं और अपने बच्चों और शिष्यों की तरक्की चाहते हैं. गौरतलब है कि सावन के महीने में हज़ारों लोग हरिद्वार से कावंड लेकर आते है और कोई इच्छा या मनोकामना रखते हैं. भिवानी के इन युवाओं ने अपने माता-पिता की श्रवण कुमार बनकर जो सेवा की है, वो दूसरे लोगों के लिए मिसाल है.
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