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यूके-यूएस के लोग भी भारत में कराएंगे इलाज, 2047 तक इतनी तरक्की कर लेगा देश का हेल्थ सेक्टर Health Updates

यूके-यूएस के लोग भी भारत में कराएंगे इलाज, 2047 तक इतनी तरक्की कर लेगा देश का हेल्थ सेक्टर Health Updates

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हेल्थ सेक्टर में भारत लगातार अपने कदम बढ़ा रहा है. दावा किया जा रहा है कि 2047 में भारत दुनिया का सबसे बड़ा स्वास्थ्य केंद्र बन सकता है. यही वजह है कि केंद्रीय बजट 2024-25 में 2047 तक देश के हेल्थ सेक्टर में कई अहम बदलाव करने का लक्ष्य रखा गया. ऐसे में यहां तक कहा जा रहा है कि भारत इस सेक्टर में इतनी तरक्की करेगा कि ब्रिटेन और अमेरिका जैसे अमीर देशों के लोग भी अपना इलाज कराने भारत आएंगे. कैसे सच होंगी ये चीजें? क्या है भारत का रोडमैप और अब तक क्या हो चुका हासिल? आइए जानते हैं. 

भारत पहले से ही मेडिकल टूरिज्म का बड़ा केंद्र

देश में इलाज कराने विदेशी मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. 2024 में मेडिकल टूरिज्म का बाजार करीब 7.69 अरब डॉलर यानी लगभग 64 हजार करोड़ रुपये का था. इस दौरान करीब 73 लाख विदेशी मरीज इलाज के लिए भारत आए. ये मरीज मुख्य रूप से हार्ट सर्जरी, कैंसर ट्रीटमेंट, ऑर्थोपेडिक और कॉस्मेटिक सर्जरी के लिए आते हैं. दरअसल, अमेरिका और ब्रिटेन में ये इलाज बहुत महंगे हैं, जबकि भारत में 60 से 80 पर्सेंट तक सस्ते हैं. उदाहरण के लिए, अमेरिका में हार्ट बाइपास सर्जरी लाखों रुपये की पड़ती है, लेकिन भारत में लाखों में ही हो जाती है।

लगातार बढ़ रहे विदेशी मरीज

मॉर्डर इंटेलिजेंस की रिपोर्ट के मुताबिक, 2022 में मेडिकल टूरिज्म से भारत को 9 अरब डॉलर की कमाई हुई थी, जबकि 2023 में 5 लाख से ज्यादा मेडिकल टूरिस्ट आए. इनमें अफ्रीका, मध्य पूर्व, बांग्लादेश और नेपाल के लोग सबसे ज्यादा थे, लेकिन अब यूके और यूएस से भी मरीज बढ़ रहे हैं. चेन्नई को भारत की हेल्थ कैपिटल कहा जाता है, क्योंकि यहां 45 पर्सेंट विदेशी मरीज आते हैं. अपोलो, फोर्टिस और मेदांता जैसे अस्पताल NABH एक्रेडिटेड हैं, जो इंटरनेशनल लेवल की स्वास्थ्य सुविधाएं देते हैं. EY-FICCI रिपोर्ट कहती है कि 2012 से 2023 तक मेडिकल टूरिस्ट की संख्या में 10.32 पर्सेंट की सालाना बढ़ोतरी हुई.

2047 में ग्लोबल हेल्थ टूरिज्म हब कैसे बनेगा भारत?

सरकार का लक्ष्य है कि 2047 तक भारत ग्लोबल हेल्थ टूरिज्म हब बने. मेडिकल बायर और ट्रैवल एंड टूर वर्ल्ड की रिपोर्ट्स में कहा गया है कि इसके लिए इंफ्रास्ट्रक्चर, डिजिटल हेल्थ और रिसर्च में बड़ा निवेश होगा. NITI आयोग के मेंबर वीके पॉल कहते हैं कि विकसित भारत 2047 में स्वास्थ्य क्षेत्र आधार बनेगा. जीवन प्रत्याशा 71 साल से बढ़कर 85 साल हो जाएगी. डॉक्टरों की संख्या 50 लाख और नर्सों की 1.25-1.5 करोड़ हो जाएगी. हर जिले में मेडिकल कॉलेज और 100% हेल्थ इंश्योरेंस कवरेज होगी. 

2047 के लिए क्या हैं टारगेट?

EY-FICCI रिपोर्ट ‘डिकोडिंग इंडियाज हेल्थ लैंडस्केप’ में 2047 के लिए कई टारगेट तय किए गए हैं. इनमें 30 लाख एक्स्ट्रा हॉस्पिटल बेड्स, डिजिटल हेल्थ में डिवेलपमेंट और मेडिकल टूरिज्म में लीडरशिप हासिल करना शामिल है. फ्यूचर मार्केट इनसाइट्स की रिपोर्ट कहती है कि 2025 में मेडिकल टूरिज्म 18.2 अरब डॉलर का होगा. वहीं, 2035 तक इसके 58.2 अरब डॉलर पहुंचने की उम्मीद है. इसका मतलब है कि इसमें 12.3% सालाना का इजाफा होगा. 

हेल्थ सेक्टर में कैसे होगी इतनी तरक्की?

  • आयुष्मान भारत योजना: यह दुनिया की सबसे बड़ी हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम है, जिससे देश के 12 करोड़ परिवारों यानी करीब 55 करोड़ लोगों को पांच लाख रुपये तक का फ्री इलाज मिलता है. इसमें अब 70 साल से ज्यादा उम्र के सभी बुजुर्गों को कवर किया गया है. इससे गरीबों का इलाज आसान हुआ और अस्पतालों में निवेश बढ़ा. 
  • प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन (PM-ABHIM): इसके लिए 64 हजार करोड़ का बजट अलॉट किया गया है. इसके तहत गांव से जिला स्तर तक अस्पताल, लैब और ICU बनाने का प्लान है. कोविड महामारी के दौरान इससे ICU बेड और वेंटिलेटर बढ़े.
  • आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (ABDM): देशभर में 67 करोड़ ABHA आईडी बन चुकी हैं. यह हर व्यक्ति का डिजिटल हेल्थ रिकॉर्ड है. इससे टेलीमेडिसिन से दूर गांवों में डॉक्टर की सलाह मिलती है. e-संजीवनी से लाखों कंसल्टेशन हो चुके हैं.
  • हील इन इंडिया और आयुष वीजा: विदेशियों के लिए मेडिकल वीजा आसान किया गया है. आयुष (आयुर्वेद और योग) को प्रमोट किया जा रहा है. योग और आयुर्वेद से वेलनेस टूरिज्म बढ़ेगा.
  • इंफ्रास्ट्रक्चर और वर्कफोर्स: 2 लाख से ज्यादा आयुष्मान आरोग्य मंदिर बन चुके हैं. मेडिकल कॉलेज लगातार बढ़ रहे हैं. IBEF रिपोर्ट कहती है कि हॉस्पिटल मार्केट 2023 में 99 अरब डॉलर था. उम्मीद है कि यह 2032 तक 194 अरब डॉलर हो जाएगा.
  • फार्मा और मेडटेक: भारत दुनिया की 60 पर्सेंट वैक्सीन बनाता है. फार्मा एक्सपोर्ट 27.9 अरब डॉलर हो चुका है. वहीं, R&D में निवेश लगातार बढ़ रहा है.

यूके-यूएस के मरीज क्यों आएंगे भारत?

यूके में NHS में लंबा वेटिंग टाइम है. अमेरिका में इलाज बहुत महंगा है. वहीं, ब्रिटिश मरीज भारत में 70 पर्सेंट सस्ता इलाज करा रहे हैं. कैंसर, जॉइंट रिप्लेसमेंट और फर्टिलिटी ट्रीटमेंट में भारत आगे है. 2024 में 73 लाख मेडिकल टूरिस्ट पश्चिमी देशों से भारत आए थे, जो लगातार बढ़ रहे हैं. 

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Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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