म्यूचुअल फंड (Mutual Funds) को निवेश का एक स्मार्ट और सुविधाजनक विकल्प माना जाता है, जहां आपके पैसे का प्रबंधन विशेषज्ञ फंड मैनेजर्स द्वारा किया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपके द्वारा निवेश की गई राशि से कुछ शुल्क भी काटे जाते हैं, जो आपके फाइनल रिटर्न को प्रभावित कर सकते हैं? निवेश से पहले इन चार्जेज को समझना न केवल जरूरी है, बल्कि एक बेहतर फाइनेंशियल प्लानिंग का हिस्सा भी है.
फंड मैनेजमेंट कैसे होता है?

जब आप म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं, तो आपका पैसा एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) को सौंपा जाता है. यह कंपनी उस स्कीम के लिए एक फंड मैनेजर नियुक्त करती है, जो एक एक्सपर्ट टीम की सहायता से बाजार का विश्लेषण कर आपके पैसे को अलग-अलग शेयरों, बॉन्ड्स या अन्य निवेश विकल्पों में लगाता है. इस पूरी प्रक्रिया में लागत आती है, जिसे पूरा करने के लिए AMC निवेशकों से अलग-अलग तरह के शुल्क लेती है.
1. एंट्री लोड (Entry Load)
यह वह शुल्क है, जो पहले म्यूचुअल फंड की यूनिट खरीदते समय निवेशकों से वसूला जाता था. लेकिन अच्छी खबर यह है कि भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने 2009 में इक्विटी म्यूचुअल फंड पर एंट्री लोड पूरी तरह खत्म कर दिया है. यानी अब आपको फंड में प्रवेश के समय कोई शुल्क नहीं देना पड़ता.
2. एग्जिट लोड (Exit Load)
अगर आप म्यूचुअल फंड की यूनिट्स को तय समय से पहले बेचते हैं या रिडीम करते हैं, तो आपको एग्जिट लोड देना पड़ सकता है. यह शुल्क फंड हाउस द्वारा इसीलिए लगाया जाता है ताकि निवेशक लंबे समय तक निवेशित रहें. यह स्कीम के आधार पर बदलता है और आमतौर पर 0.25 फीसदी से 4 फीसदी तक हो सकता है.
3. मैनेजमेंट शुल्क या एक्सपेंस रेश्यो (Expense Ratio)
यह सबसे अहम शुल्क है जिसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता. फंड मैनेजर और उनकी टीम की सेवाओं के लिए AMC यह शुल्क लेती है. इसे एक्सपेंस रेश्यो कहा जाता है, जो सालाना आधार पर कुल निवेश राशि का एक निश्चित प्रतिशत होता है. यह शुल्क आपकी कुल होल्डिंग से हर दिन प्रॉपोर्शनली काटा जाता है.
4. अकाउंट फीस (Account Fees)
कुछ AMC निवेशकों से अकाउंट फीस भी लेती हैं, खासकर तब जब निवेशक न्यूनतम बैलेंस या SIP राशि को बनाए नहीं रखते हैं. यह शुल्क सीधे निवेशक के पोर्टफोलियो से घटा दिया जाता है, इसलिए इसे जानना और ट्रैक करना जरूरी है.
5. सर्विस और डिस्ट्रीब्यूशन चार्जेज
AMC को अपनी सेवाओं की मार्केटिंग, दस्तावेजों की प्रिंटिंग, मेलिंग आदि जैसे कार्यों में भी खर्च होता है. इन खर्चों की भरपाई के लिए सर्विस और डिस्ट्रीब्यूशन चार्ज लगाए जाते हैं.
6. स्विच फीस (Switch Fees)
अगर आप एक फंड से दूसरे फंड में स्विच करना चाहते हैं, तो कुछ योजनाओं में आपको स्विच फीस चुकानी पड़ सकती है. हालांकि, कई स्कीमें यह सेवा मुफ्त भी देती हैं, इसलिए स्कीम चुनने से पहले इसकी शर्तें पढ़ना जरूरी है.
हर पहलू समझना है जरूरी
म्यूचुअल फंड में निवेश करने से पहले सिर्फ रिटर्न नहीं, बल्कि उससे जुड़े चार्जेज को भी अच्छी तरह समझना चाहिए. ये शुल्क आपके निवेश पर असर डालते हैं और सही जानकारी से आप बेहतर स्कीम का चयन कर सकते हैं. निवेश से पहले स्कीम डॉक्युमेंट्स और फंड फैक्टशीट को ध्यान से पढ़ें, ताकि आप फाइनेंशियल रूप से ज्यादा समझदारी से फैसला ले सकें.
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Source: https://www.abplive.com/business/many-types-of-taxes-are-deducted-in-mutual-fund-investments-half-of-india-does-not-know-why-money-is-deducted-2954802