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दरअसल मैग्नीशियम शरीर के नर्वस सिस्टम को शांत करता है और नींद से जुड़े न्यूरोट्रांसमीटर को सक्रिय करता है. यह GABA नामक शांत करने वाले न्यूरोट्रांसमीटर को बढ़ाता है, जिससे दिमाग की एक्टिविटी धीमी पड़ जाती है और नींद आने में मदद मिलती है. डॉक्टर के अनुसार मैग्नीशियम का असर पूरी तरह दिखने में लगभग दो महीने का समय लगता है..

मैग्नीशियम आपकी नींद को कंट्रोल और बेहतर बनाता है, लेकिन डॉक्टरों के अनुसार मैग्नीशियम के कई नुकसान भी हो सकते हैं. जिनमें दस्त, जी मिचलाना, पेट में ऐंठन और अनियमित दिल की धड़कन शामिल है. हालांकि इसे लेकर अच्छी बात यह भी मानी जाती है कि बाजार में यह सस्ते और आसानी से उपलब्ध होते हैं और मांसपेशियों को रिलैक्स करने में मदद करते हैं, जिससे बेहतर नींद आती है.

वहीं मेलाटोनिन एक नेचुरल हार्मोन है, जो दिमाग की पीनियल ग्रंथि से बनता है. यह शरीर को संकेत देता है कि अब सोने का समय है, जिससे शरीर का स्लीप वेक साइकिल यानी सर्केडियन रिदम कंट्रोल रहता है. मेलाटोनिन सप्लीमेंट लेने के लगभग 30 मिनट से 3 घंटे के अंदर असर दिखना शुरू कर देता है.

मैग्नीशियम की तरह मेलाटोनिन के भी कुछ साइड इफेक्ट्स होते हैं. जैसे मेलाटोनिन कुछ दवाइयों के साथ रिएक्शन कर सकता है. इसके अलावा लंबे समय तक इसके इस्तेमाल को लेकर सुरक्षा का कोई डेटा भी नहीं है. वहीं इसका असर डोज और टाइमिंग पर निर्भर करता है और बच्चों में यह प्यूबर्टी में देरी कर सकता है.

लेकिन मेलाटोनिन और मैग्नीशियम को साथ लेते समय ध्यान रखना चाहिए कि मैग्नीशियम शरीर में मेलाटोनिन का लेवल बढ़ा सकता है. इसलिए डोज कम रखनी चाहिए. वहीं इन दोनों में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो सूजन कम करते हैं और हेल्थ को भी बेहतर बनाते हैं.

कुछ रिसर्च के अनुसार 1.9 मिलीग्राम मेलाटोनिन और 200 मिलीग्राम मैग्नीशियम साथ में लेने से यह सही तरीके से काम करता है.
Published at : 30 Oct 2025 10:00 AM (IST)
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मेलाटोनिन या मैग्नीशियम… किसे खाने से आती है अच्छी नींद? जान लें अपने फायदे की बात


