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चंडीगढ़। सेक्टर-16 के पंजाब कला भवन में विश्व रंगमंच दिवस पर रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन किया गया। मौके पर पद्मश्री पूरनचंद वडाली सहित कई शख्सियतों को सम्मानित किया गया। यह कार्यक्रम अखिल भारतीय भारत जोड़ो संगठन, अकादमी ऑफ नेशनल लिटरेचर और कल्चरल इंडिया की ओर से हुआ। बड़ी संख्या में लोग कार्यक्रम में पहुंचे। पंजाब की लोक संस्कृति पर आधारित कार्यक्रम के अलावा मणिपुरी नृत्य का भी आयोजन किया गया। संस्था के अध्यक्ष आरआर गिल ने बताया कि पद्मश्री पूरनचंद वडाली को माई बन्नो अवाॅर्ड से सम्मानित किया गया।
इस मौके पर पद्मश्री पूरनचंद वडाली ने कहा कि मेरी लग्न तो सूफी में है। मैं तो रब को ही गाता हूं। जो चीज जिसे प्यारी लगती है वहीं गाता है। मुझे सूफी गीत अच्छे लगते हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें पद्मश्री पुरस्कार के लिए चुना गया। उनके पास सरकार का पत्र आया लेकिन वे पुरस्कार लेने नहीं पहुंचे, क्योंकि पुरस्कार में केवल उनका ही नाम था। उन्होंने कहा कि मेरा भाई भी मेरे साथ गाता है लेकिन उसका नाम नहीं है, इसलिए नहीं गया। अगले साल डीसी आए और कहा कि यह पुरस्कार आपको ही मिलेगा, क्योंकि आप ही गुरु और बड़े हो। लोगों के समझाने पर पुरस्कार लेने के लिए गए।
चंडीगढ़ बहुत अच्छा लगता है : वडाली
उन्होंने कहा कि उनके साथ पहले भाई गाते थे। अब बेटा गाता है। भाई की बहुत याद आती है। वे पंजाब कला भवन में कई बार आए हैं। कई कार्यक्रम किए हैं। चंडीगढ़ बहुत अच्छा लगता है। उन्होंने कहा कि वे साइकिल चलाकर दूर-दूर गए। अमृतसर से चंडीगढ़, अंबाला सहित अन्य जगहों पर गए। अब एक्टिवा लिया है। उसी पर आसपास में जाते हैं। उन्होंने कहा कि संगीत में परमात्मा का वास है।
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मेरी लग्न सूफी में, मैं तो रब को ही गाता हूं : पूरनचंद