in

मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने काशी, मथुरा व सम्भल को लेकर दिया बड़ा बयान – India TV Hindi Politics & News

मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने काशी, मथुरा व सम्भल को लेकर दिया बड़ा बयान – India TV Hindi Politics & News
#

[ad_1]

Image Source : FILE PHOTO
काशी, मथुरा और सम्भल के विवादित जगह

मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने आज नई दिल्ली में एक बड़ा बयान दिया है। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (MRM) ने देश के सभी मुसलमानों से अपील की कि संघ प्रमुख मोहन भागवत द्वारा राष्ट्रहित में 142 करोड़ लोगों को लेकर दिए बयान का सम्मान करते हुए, मुसलमानों को भी बड़ा दिल दिखाना चाहिए और भारत को विकास के रास्ते पर ले जाने का संकल्प लेना चाहिए। 

#

MRM के राष्ट्रीय संयोजक औक मीडिया प्रभारी शाहिद सईद ने कहा कि देश की अदालतें सर्वोपरि हैं लेकिन विवादित धर्मस्थलों को संवाद के जरिए हल निकाला जाना चाहिए। इससे देश की एकता, अखंडता, सौहार्द, भाईचारा और मेल-मिलाप बना रहता है, आपसी रंजिशें नहीं रहती हैं। अतः मंच का आह्वान है कि जहां कहीं भी दो पक्षों के बीच अदालत में झगड़ा चल रहा है, वहां दोनों पक्ष आपसी संवाद कर “आउट ऑफ कोर्ट सेटलमेंट” करें तो यह किसी भी बेहतर समाज के लिए बेहतर होगा। 

काशी, मथुरा और सम्भल पर बड़ा बयान

मंच के राष्ट्रीय संयोजक मंडल ने ऐलान किया कि संवाद के जरिए हिंदुओं की ऐतिहासिक इबादतगाहों को पुनर्स्थापित करते हुए काशी, मथुरा और सम्भल जैसी जगहों पर बने विवादित ढांचों को हिंदू समुदाय को संवाद के माध्यम से सौंपने का समर्थन किया जाना चाहिए। इसके साथ ही, मंच ने कहा कि ऐसी मस्जिदें जहां किसी कारणवश नमाज नहीं हो रही हो या जो वीरान पड़ी हों, उन मस्जिदों को मुसलमानों को सौंपा जाए ताकि वे उन्हें पुनः स्थापित कर आबाद कर सकें।

इस्लाम में बुतपरस्ती जायज़ नहीं

मंच ने इस्लामिक सिद्धांतों के आधार पर यह साफ किया कि बुतपरस्ती (मूर्ति पूजा) की इजाजत इस्लाम में नहीं है। जिन मस्जिदों में टूटी हुई मूर्तियां पाई गई हैं या जिन स्थानों पर मंदिर होने के ऐतिहासिक, सामाजिक या प्रत्यक्ष प्रमाण हैं, वहां नमाज पढ़ना इस्लामिक उसूलों के खिलाफ है और यह नमाज के लिए नापाक जगह है। ऐसी जगह नमाज कबूल नहीं होती। मंच ने कुरान और हदीस का हवाला देते हुए कहा कि जबरन कब्जा की गई भूमि पर मस्जिद बनाना इस्लाम के सिद्धांतों के खिलाफ है।

#

कई मुस्लिम संगठनों का समर्थन

4 जनवरी को लखनऊ में मंच का बड़ा कार्यक्रम है। उससे ठीक पहले शुक्रवार की सुबह लखनऊ की बैठक पर चर्चा और एजेंडा तय करने के लिए मंच की ऑनलाइन बैठक हुई। जिसमें 20 राज्यों और 6 यूनियन टेरोटरी मिलाकर 70 स्थानों से मंच की बैठक में लोग जुड़े। बैठक की अध्यक्षता मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने की, जिसमें देश भर के कई छोटे-बड़े मुस्लिम संगठनों और उनके नेताओं ने शिरकत की।

इस ऐतिहासिक बैठक में महिला बुद्धिजीवी ग्रुप, सूफी शाह मलंग संगठन, युवा शिक्षा एवं मदरसा संस्थान, विश्व शांति परिषद, भारत फर्स्ट, हिंदुस्तान फर्स्ट हिंदुस्तानी बेस्ट, गौ सेवा समिति, पर्यावरण एवं जनजीवन सुरक्षा संस्थान, जमीयत हिमायतुल इस्लाम, कश्मीरी तहफ्फुज आर्गेनाइजेशन और कश्मीर सेवा संघ के प्रतिनिधि उपस्थित रहे। मंच के सभी राष्ट्रीय संयोजक, प्रांत संयोजक और सह संयोजकों ने इस बैठक में भाग लिया और मंच के प्रस्तावों का समर्थन किया। सभी वक्ताओं ने इस्लामिक शिक्षाओं और भाईचारे के सिद्धांतों का अनुसरण करते हुए विवादित इबादतगाहों को हिंदू समुदाय को सौंपने का प्रस्ताव रखा।

इन संवेदनशील मुद्दों पर मंच की पहल

  • ऐतिहासिक प्रमाणों, पारंपरिक एवं प्रत्यक्ष साक्ष्यों, खुदाई में मिले प्रमाणों के आधार पर विवादित स्थलों को हिंदू समुदाय को सौंपा जाए।
  • मुसलमानों से इस्लामी सिद्धांतों का पालन करने और ऐसे स्थानों पर नमाज न अदा करने की अपील की जाए, जो विवादित हों या दूसरे धर्मस्थलों को तोड़कर बनाई गई हों।
  • सरकार से संवैधानिक उपायों के जरिए विवादित स्थलों को पुनर्स्थापित करने की मांग की जाए। 
  • अगर समस्या का समाधान संवाद या सरकार के साथ वार्ता से न निकल पाए तो अदालत का निर्णय सर्वोपरि होना चाहिए। जिस प्रकार अयोध्या प्रकरण में अदालत का फैसला सर्वमान्य रहा।
  • इस्लाम में मस्जिद का निर्माण तभी जायज़ माना जाता है जब वह अविवादित भूमि पर हो, जिसे किसी व्यक्ति या संगठन ने वक्फ (दान) कर दिया हो। 
  • वक्फ का मतलब है कि वह जमीन पूरी तरह से अल्लाह की इबादत के लिए समर्पित हो गई हो और उस पर किसी प्रकार का विवाद, जबरन कब्जा या गैर-कानूनी कार्यवाही न हो।
  • मस्जिद के लिए वक्फ की भूमि का महत्व इसलिए है क्योंकि इस्लामी शिक्षा के अनुसार, अल्लाह की इबादत के स्थान को शुद्ध और न्यायपूर्ण आधार पर स्थापित किया जाना चाहिए। 
  • अगर भूमि विवादित हो या किसी से छीनकर बनाई गई हो, तो वह मस्जिद इस्लामी मान्यता के अनुसार सही नहीं मानी जाएगी।
  • इस्लाम में मस्जिद को अल्लाह का घर कहा गया है, इसलिए इसे पवित्र और न्यायसंगत तरीके से स्थापित करना हर मुसलमान की ज़िम्मेदारी है।

हिंदू और मुसलमान पूर्वजों, परंपराओं और सभ्यताओं से एक हैं

मंच के सदस्य ठाकुर राजा रईस ने कहा कि, “मंच ने “आओ जड़ों से जुड़ो” अभियान के माध्यम से यह संदेश फैलाने का प्रयास किया है कि भारत के हिंदू और मुसलमान अपने पूर्वजों, परंपराओं और सभ्यताओं से एक हैं। मंच का मानना है कि भले ही धर्म अलग हों, लेकिन भारत की मिट्टी ने दोनों समुदायों को एक साझा इतिहास और परंपरा से जोड़ता है। हमारे पूर्वज, जाति, गोत्र, परंपराएं, भाषा आदि सभी सांझी रूप से हिंदुस्तानी थे, हैं, और रहेंगे।”

Latest India News



[ad_2]
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने काशी, मथुरा व सम्भल को लेकर दिया बड़ा बयान – India TV Hindi

चीन में 2001 में पहली बार मिला था HMPV, उस वक्त कितने लोग हुए थे इसके शिकार? Health Updates

चीन में 2001 में पहली बार मिला था HMPV, उस वक्त कितने लोग हुए थे इसके शिकार? Health Updates

निमिशा प्रिया मामले में भारत की नजर, जानें चीन और पाकिस्तान पर MEA ने क्या दिया जवाब – India TV Hindi Today World News

निमिशा प्रिया मामले में भारत की नजर, जानें चीन और पाकिस्तान पर MEA ने क्या दिया जवाब – India TV Hindi Today World News