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बीआर चोपड़ा का मानना था कि महाभारत, रामायण की तुलना में एक बड़ी चुनौती थी क्योंकि रामायण यह बताती है कि क्या करना चाहिए, जबकि महाभारत यह बताती है कि क्या नहीं करना चाहिए. रामायण को नैतिकता की कहानियों का कलेक्शन कहा गया, जबकि महाभारत को एक चेतावनी की कहानी के रूप में देखा गया. यह एक जटिल कहानी थी जो पीढ़ियों तक चलती है. इसमें ज्यादा किरदार न तो पूरी तरह से नायक हैं और न ही खलनायक, बल्कि इनमें दोनों के गुण थे. इसलिए जब बीआर ने महाभारत बनाने का निर्णय लिया, तो उन्हें पता था कि इसकी कुंजी लेखन में है. (फोटो साभार: IMDb)
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